मेरा नाम अदिति है।
मैं एक शांत, पढ़ाकू, ज़्यादातर अपनी दुनिया में रहने वाली लड़की थी।
ना खास दोस्त,
ना कोई बड़ी बातें,
ना फैन्सी लाइफ।
और प्रेम?
मेरी जिंदगी में कभी जगह ही नहीं मिली।
लेकिन कहते हैं ना—
कुछ लोग आपके दिल में वो जगह बना लेते हैं,
जिसके बारे में आपने कभी सोचा भी नहीं होता।
मेरी जिंदगी में भी ऐसा ही कोई आया…
आरव।
💫 पहली मुलाकात — बिल्कुल अनजानी, पर दिल में गहराई तक उतरी
मैं कॉलेज की लाइब्रेरी से लौट रही थी।
रास्ते में घना कोहरा था
और सड़कें बिल्कुल खाली।
अचानक मेरी बाइक फिसल गई
और मैं नीचे गिर गई।
रात अंधेरी थी,
सड़क सुनसान,
और मेरे घुटने से खून बह रहा था।
तभी पीछे से किसी की आवाज़ आई—
“अरे, आप ठीक हैं?”
मैंने ऊपर देखा—
एक लड़का मेरी तरफ झुक रहा था।
साफ चेहरा, गर्म आँखें,
और आवाज़ में सच्ची चिंता।
वो बोला—
“मैं आरव हूँ। उठ सकेंगी या मदद करूँ?”
उसकी आँखों में कोई गलत इरादा नहीं था।
सिर्फ इंसानियत थी,
और… कुछ ऐसा
जिसे मैं शब्दों में नहीं रख पाई।
💙 पहली मदद जिसने दिल छु लिया
उसने मुझे उठा कर पास की बेंच पर बैठाया,
पानी दिया,
और अपना रुमाल निकालकर घुटने का खून साफ किया।
मैंने कहा—
“आपको परेशानी हो रही है…”
वो मुस्कुराया—
“परेशानी नहीं।
किसी का दर्द कम करने में परेशानी कैसी?”
उसने ये बात इतनी सादगी से कही
कि मुझे उसकी मुस्कान से ज़्यादा
उसका दिल खूबसूरत लगा।
**🌙 उस रात की वो 15 मिनट
मेरे दिल में हमेशा के लिए बस गए**
जाते-जाते उसने कहा—
“अदिति,
अगर कभी मदद चाहिए…
या सिर्फ बात करनी हो…
तो याद रखिएगा,
कोई है जो आपकी सुन सकता है।”
वो चला गया,
पर उसकी बात मेरे भीतर रह गई।
मैंने खुद को पहली बार महसूस किया—
“शायद कोई है…
जो मुझे समझ सकता है।”
💌 धीरे-धीरे हमारी बात शुरू हुई
अगले दिन उसका मेसेज आया—
“घुटना ठीक है?”
बस इतना…
लेकिन उस छोटे से मैसेज में इतना अपनापन था
जो मेरे किसी अपने ने भी कभी नहीं दिया।
धीरे-धीरे:
-
सुबह “Good morning”
-
दिन में थोड़ी बातें
-
रात को लंबे मैसेज
-
और कुछ चुप्पियाँ…
जो ज्यादा कुछ कह जाती थीं
हम करीब आने लगे।
पर सबसे बड़ी बात—
उसने कभी प्यार का इजहार नहीं किया।
ना मुझे प्रभावित करने की कोशिश।
ना कोई गलत इरादा।
उसका हर कदम…
धीमा,
साफ,
और सच्चा था।
🌧️ लेकिन प्यार की कहानी कभी आसान कहाँ होती है…
चार महीने बाद
हम दोनों कॉलेज के सबसे अच्छे दोस्त बन चुके थे।
लेकिन अचानक
आरव मुझसे दूर होने लगा—
-
कॉल कम
-
मैसेज लेट
-
मिलने पर नज़रें चुराना
-
चेहरे पर अजीब सी हलचल
मैं समझ ही नहीं पा रही थी
कि क्या हुआ?
क्या उसने मुझे गलत समझा?
क्या उसे मेरा साथ भारी लग रहा है?
या…
क्या वो मुझे पसंद करने लगा
और कहना नहीं चाहता?
मैं उलझ गई थी।
बहुत उलझ गई।
और एक दिन…
उसका एक छोटा सा वाक्य
मेरी पूरी दुनिया बदल गया।
आरव पिछले कुछ दिनों से
अजीब तरह से दूर होने लगा था।
पहले वो
मुझे हँसाता था,
मेरी बातों पर ध्यान देता था,
हर छोटी परेशानी का हल ढूंढता था।
पर अब?
-
कॉल मिस
-
मेसेज Seen करके भी Reply नहीं
-
मिलने पर सिर्फ आधी-अधूरी बातें
-
मेरी ओर देखकर भी नज़रें झुका लेना
ये सब देखकर
मेरे अंदर एक डर पैदा होने लगा।
क्या मैं बोझ बन गई हूँ?
क्या उसे मेरी जरूरत नहीं रही?
या… उसे मुझसे प्यार हो गया है, और वो डर रहा है?
दिल में इतने सवाल थे
कि साँस लेना मुश्किल हो गया था।
🌧️ “अदिति… हमें बात करनी चाहिए” — यह सुनते ही दिल बैठ गया
एक शाम
जब मैं कैंपस की पुरानी सीढ़ियों पर बैठी थी,
आरव धीरे से मेरे पास आया।
उसकी आँखों में नमी थी।
गहरी…
दबी हुई…
जैसे बहुत समय से कुछ अंदर छुपा रखा हो।
उसने धीरे से कहा—
“अदिति… मुझे तुमसे कुछ कहना है।”
मेरा दिल धड़कना भूल गया।
मैंने डरते हुए पूछा—
“क्या हुआ?”
उसने लंबी सांस ली,
और बोला—
“मुझे नहीं पता तुम इसे कैसे लोगी…
लेकिन मैं… मैं टूट चुका हूँ।”
मैं चौंक गई—
“क्या?? क्यों??”
वो पहली बार
मेरी आँखों में देखकर बोला—
“क्योंकि मुझे तुमसे प्यार हो गया है।”
मेरे शरीर में झनझनाहट दौड़ गई।
दिल जैसे रुक गया।
लेकिन उसके चेहरे पर खुशी नहीं…
दर्द था।
💔 “प्यार हो गया है… पर मैं तुम्हें अपनी जिंदगी में लाने के लायक नहीं”
आरव के शब्द मेरे दिल में चाकू की तरह लगे—
“अदिति… मैं तुम्हें deserve नहीं करता।
तुम बहुत अच्छी हो…
बहुत ज्यादा।”
मैंने हैरानी से पूछा—
“क्या बकवास बोल रहे हो?”
उसने थरथराती आवाज में कहा—
“मेरे पिता नहीं हैं…
माँ बीमार रहती हैं…
घर की जिम्मेदारी मेरे कंधों पर है।
मेरा करियर शुरू भी नहीं हुआ…
और मैं तुम्हें वो जिंदगी नहीं दे पाऊँगा
जो तुम deserve करती हो।”
मेरी आँखें भर आईं।
वो आगे बोला—
“मुझे डर लगता है…
कि मैं तुम्हें कहीं तकलीफ ना दूँ।
मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ…
पर मैं तुम्हें अपनी परेशानी क्यों बनाऊँ…?”
उसकी आवाज टूट रही थी।
🌙 वो पल… जिस पल मैंने फैसला कर लिया
उसके हर शब्द में दर्द था।
उस दर्द में प्यार था।
और उस प्यार में
एक ऐसा डर…
जो सिर्फ सच्चा प्यार ही पैदा करता है।
मैंने उसके हाथ पकड़ लिए—
जोर से।
वो चौंक गया।
मैंने कहा—
“पागल हो तुम?”
वो चुप।
आँखें नीची।
मैं उसके और करीब गई और बोली—
“तुम्हें लगता है प्यार perfect life से होता है?
नहीं आरव… प्यार दिल से होता है।
तुम्हारी मुश्किलें मेरी मुश्किलें हैं।
तुम्हारी जिम्मेदारियाँ मेरी जिम्मेदारियाँ हैं।”
आरव की आँखें भर आईं।
उसने पहली बार अपने डर को छुपाना छोड़ दिया।
💙 वही पल जिसने हमारी कहानी की दिशा बदल दी
मैंने उसके गालों को हाथ से पकड़कर कहा—
“आरव… तुम चलो,
मैं हर कदम पर तुम्हारे साथ हूँ।”
उसने सिर उठाया…
आँखों में चमक,
चेहरे पर आँसू,
और दिल में राहत।
उसने धीरे से पूछा—
“क्या तुम्हें सच में… कोई डर नहीं?”
मैं मुस्कुराई—
“डर तो है…
लेकिन छोड़ने का नहीं,
तुम्हें खोने का।”
उसने मुझे अपने सीने से लगा लिया।
पहली बार
हम दोनों की धड़कनों ने
एक जैसा लय पकड़ा।
वो पल…
हमारी True Love Story का असली जन्म था।
आरव और मैंने एक-दूसरे को स्वीकार कर लिया था।
पर असली जिंदगी सिर्फ “I love you” से नहीं चलती।
उसके पीछे
कई जिम्मेदारियाँ,
कई डर,
और कई मजबूरियाँ होती हैं।
और अब
हम उसी रास्ते पर जाने वाले थे
जहाँ हर कदम पर एक नई परीक्षा खड़ी थी।
🌧️ घर की सच्चाई… जिसने मुझे झकझोर दिया
एक दिन आरव ने कहा—
“अदिति…
तुम्हें एक जगह ले जाना है।”
हम दोनों चुपचाप उसके घर पहुँचे।
एक छोटा-सा कमरा,
पुराना फर्नीचर,
सीलन की हल्की गंध,
और दीवारों पर समय की मार के निशान।
मैंने चारों तरफ देखा
और अचानक मेरी नजर
एक महिला पर पड़ी—
बहुत कमजोर…
सांस लेने में तकलीफ…
आरव ने धीरे से कहा—
“ये मेरी माँ हैं।”
माँ ने मुझे देखकर मुस्कुराया—
धीमी, थकी हुई, पर सच्ची मुस्कान।
मैं उनके पास बैठ गई।
उन्होंने काँपती आवाज़ में कहा—
“आरव ने आज तक किसी लड़की को घर नहीं लाया…
तुम बहुत खास लगती हो।”
मेरे गले में शब्द अटक गए।
मैं पहली बार
उसके संघर्ष को इतनी नजदीक से देख रही थी।
💔 आरव की जिम्मेदारी कितनी भारी थी… वो अब समझ आया
माँ औज़ारों के बिना भी कह रही थीं—
आरव ही इस घर का सबकुछ है।
वो कमाता भी है,
पढ़ता भी है,
माँ की सेवा भी करता है,
और खुद भी टूटता है…
लेकिन अंदर ही अंदर।
मैं चुपचाप उसे देख रही थी
जब वो माँ के लिए दवा लाया,
पानी दिया,
कंबल ठीक किया।
उसकी आँखों में कोई शिकायत नहीं थी।
सिर्फ कर्तव्य था—
और एक अनकही थकान।
उसने मुझे देखा और धीरे से कहा—
“यही वजह थी…
कि मैं तुम्हें प्यार बताने से डर रहा था।”
मेरे दिल में चुभन हुई।
मैंने उसका हाथ पकड़ा—
“आरव…
तुम अकेले थोड़ी हो।”
🌙 घर जाते वक्त उसने कुछ ऐसा कहा जो दिल चीर गया
हम दोनों पैदल जा रहे थे।
रात सन्नाटा थी।
सड़क खाली थी।
अचानक वह रुक गया।
धीरे से बोला—
“अदिति…
अगर कभी मेरी माँ की तबीयत और बिगड़ गई…
अगर कभी मुझे पढ़ाई छोड़नी पड़ी…
अगर कभी मुझे तुम्हारे सपनों से समझौता करना पड़ा…
तो क्या तुम…”
उसकी आवाज काँप गई।
“…क्या तुम मेरे साथ रह पाओगी?”
मेरे दिल में ढेरों दर्द तीरों की तरह चुभे।
मैं उसकी आँखों में देखकर बोली—
“आरव…
मैं प्यार में किसी महल की तलाश नहीं कर रही।
मैं बस तुम्हारी तलाश में हूँ।”
उसने पहली बार राहत की सांस ली
और मेरी पेशानी को हल्के से छुआ।
🔥 असली तूफान तब आया… जब मैंने घरवालों को उसके बारे में बताया
अगले दिन
मैंने माँ-पापा को सब बता दिया।
सन्नाटा।
फिर धीरे-धीरे
तूफान उठने लगा।
माँ ने कहा—
“अदिति, प्यार ठीक है…
लेकिन जिम्मेदारियाँ?
क्या तुम ऐसे घर में खुशी से रह पाओगी?”
पापा ने सख्त आवाज में कहा—
“उसके पास ना पैसा है,
ना भविष्य।
कल को तुम दोनो भूखे मरोगे।
ये प्यार नहीं…
दिल की गलती है।”
मैं रो पड़ी—
“पापा, वो बहुत अच्छा है… वो मेरी जिंदगी बदल देगा।”
पापा चिल्लाए—
“वो अपनी जिंदगी ही नहीं संभाल पा रहा!
तुम्हें क्या संभालेगा??”
ये सुनकर
मेरी दुनिया हिल गई।
लेकिन मेरे अंदर की आवाज
मुझे एक ही बात कह रही थी—
“सच्चा प्यार संघर्ष से डरता नहीं…
उसमें चल देता है।”
🔥 और उस रात… मैंने सबसे बड़ा फैसला लिया
मैंने फोन उठाया
और आरव को कॉल किया—
उसने तुरंत पूछा—
“क्या हुआ, अदिति? रो क्यों रही हो?”
मैंने धीमी आवाज में कहा—
“आरव…
मेरे घर वाले तुम्हारे खिलाफ हैं।”
वो कुछ सेकंड चुप रहा।
फिर बोला—
“…ठीक है।”
मैं डर गई—
“तुम मुझे छोड़ दोगे?”
उसने इतनी शांति से कहा
कि मेरी रूह काँप गई—
“अदिति…
तुम चलो।
मैं हर कदम पर तुम्हारे साथ चलूँगा।
चाहे दुनिया खिलाफ हो जाए।”
मेरी आँखें फूट-फूटकर बहने लगीं।
इतनी सच्चाई…
इतनी गहराई…
इतना भरोसा—
आज तक किसी ने नहीं दिया था।
मेरे घरवालों ने साफ शब्दों में कह दिया था—
“आरव से कोई रिश्ता नहीं होगा।
वो इस परिवार में फिट नहीं बैठता।”
पापा गुस्से में थे।
माँ डर में।
और मैं…
मैं दो दुनियाओं के बीच फँस गई थी—
एक तरफ
वही लोग जिनके लिए मैं जीती थी।
दूसरी तरफ
वो लड़का,
जिसने मुझे जीना सिखाया था।
💔 घरवालों का फैसला बहुत कठोर था
माँ ने मेरे कमरे में आकर कहा—
“बेटा, प्यार ठीक है…
लेकिन जिंदगी जिम्मेदारियों से चलती है।
तुम उस माहौल में रह नहीं पाओगी।”
मैंने रोते हुए कहा—
“माँ, उसने कभी मुझसे कुछ नहीं माँगा।
वो सिर्फ सच्चा प्यार देता है।”
माँ चुप हो गईं।
उनकी आँखें भीगी थीं।
पर वो मजबूर थीं।
पापा ने डरावनी सख्ती से कहा—
“या तो उस लड़के को छोड़ दो…
या घर छोड़ दो।”
ये सुनते ही
मेरी दुनिया बिखर गई।
मैं पत्थर-सी हो गई।
आँखें बहती रहीं,
शब्द अटक गए,
और दिल डर से ठंडा पड़ गया।
🌙 उसी रात… आरव को मैंने सब बताया
मैंने काँपती आवाज़ में कहा—
“आरव…
पापा कह रहे हैं कि या तो तुम्हें छोड़ दूँ…
या घर छोड़ दूँ।”
थोड़ी देर खामोशी रही।
बहुत लंबी।
फिर उसने भारी आवाज़ में कहा—
“अदिति…
अगर तुम्हें लगता है कि मैं तुम्हारे लायक नहीं…
तो मैं अभी हट जाता हूँ।”
मैं चौंक गई—
“ये क्या बोल रहे हो?”
उसकी आवाज टूट गई—
“मुझे तुम्हारे घर से लड़ने का हक नहीं…
लेकिन तुम्हें दुख देने का भी हक नहीं।”
मैं फूट-फूटकर रो पड़ी—
“तुम क्यों नहीं समझते?
मैं तुम्हें छोड़ नहीं सकती।”
तभी वो एकदम शांत होकर बोला—
“अदिति,
अगर तुम चलना चाहो…
तो मैं हर कदम पर तुम्हारे साथ हूँ।
लेकिन अगर तुम रुकना चाहो…
तो मैं तुम्हारे फैसले का सम्मान करूँगा।”
उसके शब्द…
उसकी सच्चाई…
उसकी खामोशी…
सब मेरे दिल में उतर गया।
🔥 अगले दिन — मेरे घर में बड़ी बहस हुई
पापा ने कहा—
“अदिति, तुम एक पढ़ी-लिखी लड़की हो।
तुम्हें ऐसी जगह जीवन नहीं बिताना चाहिए।”
मैंने शांत होकर कहा—
“पापा…
गरीबी गुनाह नहीं होती।
और अमीरी खुशियाँ नहीं देती।”
पापा गुस्से में बोले—
“तुम्हें ये लड़का इतना क्यों दिखता है?”
मेरी आवाज़ काँप गई,
पर मैंने सच बोल ही दिया—
“क्योंकि
जब मेरे पास कोई नहीं था…
तब भी वो था।”
कमरा शांत हो गया।
पापा ने नजरें फेर लीं।
माँ रोने लगीं।
मैं टूट रही थी…
लेकिन प्यार से ज्यादा
मैं अपने सच में खड़ी थी।
🌧️ आखिरकार… पापा ने अंतिम फैसला सुनाया
शाम को पापा मेरे पास आए।
चेहरा सख्त था,
लेकिन आँखें भारी।
उन्होंने कहा—
“मैं तुम्हारी जिंदगी खराब नहीं होने दूँगा।
तुम उस लड़के से कोई संबंध नहीं रखोगी।
ये अंतिम फैसला है।”
ये सुनते ही
मेरे अंदर कुछ टूट गया।
जैसे दिल पर किसी ने चाकू रखा हो।
उस रात
मैं अपनी ही सांसों में घुट रही थी।
और तभी
मेरे पास आरव का मैसेज आया—
“अदिति…
तुम बुलाओगी तो आ जाऊँगा।
चाहे घरवाले, समाज, दुनिया—
कोई भी क्यों ना रुके।
तुम्हें अकेला कभी नहीं छोड़ूँगा।”
मैंने फोन सीने से लगा लिया।
रोते-रोते एक ही बात महसूस हुई—
“ये लड़का मेरा नहीं…
मेरी जिंदगी है।”
पापा ने साफ कह दिया था—
“आरव से कोई रिश्ता नहीं।
यही हमारा अंतिम फैसला है।”
उनकी आवाज सख्त थी,
पर मेरा दिल…
पूरी तरह टूट चुका था।
उस रात मैं अपने कमरे में बैठी
दीवार को घूरती रही।
सवालों का तूफान दिमाग में चल रहा था—
क्या मैं किसी को खुश करने के लिए
अपने सच्चे प्यार को खो दूँ?
या
जिसने मेरे हर गिरने पर हाथ पकड़ा,
उसे इसी मोड़ पर अकेला छोड़ दूँ?
मेरे अंदर आवाज आई—
“अदिति,
अगर अभी डर गई,
तो ये प्यार कभी सच्चा कहलाने लायक नहीं रहेगा।”
🌙 उसी रात… मैंने सबसे बड़ा फैसला लिया
फ़ोन उठाया
और आरव को कॉल किया।
मेरी आवाज काँप रही थी—
“आरव… मैं सब छोड़ने को तैयार हूँ… क्या तुम मेरे साथ हो?”
उसने बिना एक सेकंड सोचे कहा—
“अदिति…
तुम चलो,
मैं हर कदम पर तुम्हारे साथ हूँ—
भले दुनिया खिलाफ खड़ी हो।”
मेरी सारी ताकत,
सारी हिम्मत उसी एक लाइन में लौट आई।
🔥 अगली सुबह — मैंने घर छोड़ दिया
मैंने सुबह-सुबह एक छोटा बैग उठाया।
घर में सब सो रहे थे।
दरवाजे पर थोड़ी देर रुकी—
दिल काँप रहा था,
आँखों से आँसू टपक रहे थे।
लेकिन फिर मैंने खुद को याद दिलाया—
“सच्चे रिश्ते साथ से चलते हैं,
दबाव से नहीं।”
मैं बाहर निकली।
गेट बंद किया।
और पहली बार महसूस हुआ—
मैं अपने लिए चल रही हूँ।
💙 बाहर सड़क पर… आरव मेरा इंतज़ार कर रहा था
वो मुझे देखकर भागता हुआ आया—
चेहरे पर डर और राहत दोनों।
उसने मेरी आँखों को देखा—
“क्या तुम्हें कोई पछतावा…?”
मैंने सिर हिलाया—
“तुम्हारे साथ? कभी नहीं।”
वो एक पल के लिए रुक गया,
फिर मुझे बाँहों में ले लिया।
सड़क पर,
हवा के बीच,
दुनिया की परवाह किए बिना।
मैंने पहली बार महसूस किया—
सच्चे प्यार को किसी मंजूरी की जरूरत नहीं होती।
**🌧️ लेकिन तूफान खत्म नहीं हुआ था —
आरव की माँ की हालत अचानक बिगड़ गई**
हम दोनों हॉस्पिटल पहुँचे।
माँ बेहोश थीं।
डॉक्टर ने कहा—
“काफी समय से तनाव और कमजोरी है।
अब बहुत ध्यान रखना होगा।”
मैंने आरव को देखा—
उसकी आँखें लाल थीं।
वो टूटने की हद तक थक चुका था।
मैंने उसका हाथ पकड़ा—
“आरव…
मैं हूँ ना।
अब हम दोनों मिलकर सब Sambhaleँगे।”
उसका सिर मेरे कंधे पर गिर गया।
वो बच्चा बनकर रो पड़ा।
उस पल…
मुझे लगा
यही मेरी जगह है—
उसकी मुश्किलों में,
उसके साथ खड़े रहने में।
🌤️ तीन दिन बाद — मेरे घर से फोन आया
पापा की आवाज भारी थी—
“अदिति… वापस आ जाओ।”
मैंने शांत होकर कहा—
“पापा… मैं अकेली नहीं हूँ अब।
मैंने आरव को चुना है।”
कुछ सेकंड सन्नाटा रहा।
फिर पापा की आवाज आई—
“…और आरव ने भी तुम्हें नहीं छोड़ा, है ना?”
मेरी सांस रुक गई।
ये पहली बार था
जब पापा ने उसकी सच्चाई स्वीकार की।
मैंने धीरे से कहा—
“नहीं पापा…
उसने मुझे हर कदम पर संभाला है।”
पापा की आवाज टूट गई—
“तो तुम दोनों घर आ जाओ।
मुझे तुमसे नहीं…
तुम्हारे दर्द से समस्या थी।”
मेरी आँखें भर आईं।
मैं भागकर आरव को बताने गई।
🌈 घर लौटने पर — सबसे बड़ा चमत्कार हुआ
पापा ने पहले आरव को लंबे समय तक देखा—
गुस्से से नहीं,
समझ से।
फिर कहा—
“तुम गरीब हो…
पर इरादों में अमीर हो।”
माँ ने आरव की माँ का हाथ पकड़ा और बोलीं—
“अब हम सब मिलकर संभालेंगे।”
आरव के आँसू बह निकले।
मेरी भी।
और वहाँ,
उस छोटे से कमरे में
दो परिवार मिलकर
इंसानियत और प्रेम का सबसे बड़ा सबक दे रहे थे—
दिलों को जोड़ने के लिए
पैसा नहीं…
सच्चाई चाहिए।
**💍 कुछ महीनों बाद —
हमने एक सादी, प्यारी शादी की**
कोई शोर नहीं,
कोई दिखावा नहीं…
सिर्फ चार लोग,
थोड़ी-सी हँसी,
और ढेर सारा प्यार।
फेरे लेते समय
आरव ने मेरी आँखों में देखकर कहा—
“अदिति…
मैं वादे नहीं करता।
मैं निभाता हूँ।
तुम चलो…
मैं हर कदम पर साथ हूँ।”
मेरी आँखों से आँसू बह निकले।
उसी पल मुझे लगा—
सच्चा प्यार जीत चुका है।
✨ कहानी का संदेश
सच्चा प्यार वही है—
जहाँ दो लोग
एक-दूसरे की कमजोरी नहीं,
ताकत बनते हैं।
जहाँ डर नहीं,
भरोसा होता है।
जहाँ हालात मुश्किल हों,
फिर भी दोनों कहें—
“तुम चलो…
मैं हर कदम पर तुम्हारे साथ हूँ।”















