मेरा नाम राधा है।
दिल्ली में रहती हूँ।
कॉलेज और पार्ट-टाइम जॉब,
दोनों मिलाकर लाइफ़ वैसे ही काफी मस्त चल रही थी।
प्यार-व्यार के चक्कर में पड़ने का
कोई इरादा नहीं था।
कॉलेज में किसको दिल लगा—किसको तोड़ा…
ये सब मेरे सीन में नहीं आता था।
लेकिन सच कहते हैं—
कुछ लोग अचानक नहीं आते,
तकदीर से आते हैं।
और मेरे लिए वो इंसान था — आरव।
✨ पहली मुलाक़ात — बिलकुल सिंपल, पर दिल पर छाप छोड़ देने वाली
मेरा फोन चार्ज पर लगाकर
मैं कॉलेज की लाइब्रेरी में नोट्स बना रही थी।
सामने वही पुराना टेबल,
वही बोरिंग किताबें,
और वही मैं।
तभी एक लड़का मेरे सामने वाली सीट पर बैठा।
मैंने ध्यान नहीं दिया।
पर अचानक उसने कहा—
“Excuse me, आपकी पेन गिरा है।”
मैं नीचे देखती हूँ—
सच में मेरा ही पेन था।
मैंने कहा,
“ओह, थैंक्यू।”
उसने मुस्कुराकर कहा—
“Welcome… वैसे आपकी handwriting काफी अच्छी है।”
मैंने चौंककर देखा—
कौन कोई बिना मतलब किसी की writing notice करता है?
उसका नाम था आरव मेहरा।
सादा, साफ-सुथरा,
थोड़ा इंट्रोवर्ट,
पर आँखों में अजीब-सी depth।
✨ **अजीब बात ये कि…
उसने मुझे पहली बार ही ऐसे देखा
जैसे मैं कोई ‘random girl’ नहीं,
कुछ ख़ास हूँ।**
वह मेरी किसी दोस्त की तरह नहीं बोला,
न किसी flirt की तरह।
उसकी बातों में
सीधी, सच्ची और साफ अपनापन था।
✨ थोड़ी देर बाद… उसने मेरी एक लाइन पढ़ी जो मैं नोट कर रही थी
वो बोला—
“तुम बहुत गहराई से सोचती हो…
हर कोई इतनी maturity से नहीं लिख पाता।”
और पता नहीं क्यों,
उस एक लाइन ने मेरी पूरी vibe बदल दी।
मैंने पहली बार
किसी अनजान की बात
दिल से सुनी।
✨ **जाने से पहले उसने एक बात कही
जो पूरे दिन मेरे दिमाग में घूमती रही**
आरव उठते हुए बोला—
“राधा…
तुमसे बात करके लगा
जैसे तुम बाकी लोगों जैसी नहीं हो…
थोड़ी अलग हो।”
ये लाइन किसी लड़की के दिल को
शोर नहीं…
सुकून से छू जाती है।
मैं बस मुस्कुरा दी।
कुछ कहा नहीं।
पर हक़ीक़त…?
मैंने उसे उसी समय
थोड़ी जगह दे दी थी…
दिल में।
✨ **घर पहुँची तो एहसास हुआ—
शायद मेरी लाइफ़ में
कुछ नया शुरू हो चुका है।**
और मुझे क्या पता था
कि ये “थोड़ा-सा” जुड़ाव
मेरी पूरी कहानी पलटने वाला है।
लाइब्रेरी में हुई पहली मुलाक़ात के बाद
मैंने सोचा था कि बस…
एक नॉर्मल इंट्रोडक्शन था,
आगे क्या ही होगा?
लेकिन किस्मत को
सीधी बातें पसंद नहीं होती।
अगले ही दिन,
जब मैं कॉलेज कैंटीन में कॉफी लेने गई—
आरव वहीं बैठा था।
मुझे देखते ही खड़ा हो गया।
जैसे मुझे देखकर
उसे खुशी सच में महसूस होती हो।
✨ उसकी पहली लाइन — जिसने मुझे अंदर से हिला दिया
मैं कॉफी ले रही थी,
तभी पीछे से एक धीमी आवाज़ आई—
“राधा… आज फिर मिलने का इत्तेफ़ाक़… या किस्मत?”
मैंने पलटकर देखा—
वो मुस्कुरा रहा था।
उसकी मुस्कान में
कोई चालाकी नहीं,
कोई इरादा नहीं—
सिर्फ सच्चाई थी।
और शायद इसी वजह से
मैंने पहली बार उसे
नज़रअंदाज़ नहीं किया।
✨ हमारी पहली ‘लंबी’ बातचीत
वह मेरे सामने वाली सीट पर बैठा।
मैंने पूछा—
“तुम हमेशा ऐसे formal रहते हो?”
वह हँसा—
“नहीं… बस तुम्हारे सामने थोड़ा संभल जाता हूँ।”
मैं चौंक गई—
“क्यों?”
उसका जवाब धीमा,
साफ़ और दिल में उतर जाने वाला था—
“क्योंकि तुम वो लड़की नहीं लगती
जिसके सामने मुझे casual होना चाहिए।”
पहली बार कोई लड़का
मेरी इज़्ज़त को शब्दों में रख रहा था।
✨ **थोड़ी देर बाद उसने एक बात कही
जिसने मेरे अंदर अजीब सी हलचल पैदा कर दी**
“राधा… तुम बोलती कम हो
पर सोचती बहुत ज्यादा हो।
तुम्हारी आँखें बहुत कुछ बताती हैं।”
मैं चौंक गई।
सही बात यह थी—
मैं अपनी फीलिंग्स
कभी चेहरे पर नहीं आने देती थी।
और यह लड़का…
पहली मुलाक़ात में ही
मेरे अंदर तक पढ़ लेता था।
मैंने पूछा—
“तुम मुझे इतना observe क्यों करते हो?”
वह बोला—
“क्योंकि तुम्हें समझना आसान नहीं है…
और यही मुझे तुम्हारी तरफ खींचता है।”
उसकी आवाज़ steady थी,
लेकिन आँखों में हल्की-सी घबराहट भी थी—
जैसे वह मेरे बारे में
सच बोलकर risk ले रहा हो।
✨ **उसी वक्त कैंटीन में हल्की-सी बहस हुई
और जो हुआ… उसने सब बदल दिया**
दो लड़के पीछे से किसी लड़की पर
फालतू कमेंट कर रहे थे।
मैंने बस पीछे मुड़कर देखा।
आरव ने देखा कि
मैं uncomfortable हुई हूँ।
उसने तुरंत मुड़कर
दोनों को calmly पर सख़्त आवाज़ में कहा—
“Respect सीखो…
वरना बात बढ़ भी सकती है।”
उन दोनों ने चुपचाप मुँह नीचे कर लिया।
उस पल मैंने समझा—
यह लड़का सिर्फ बातों में अच्छा नहीं,
असल में भी स्टैंड लेने वाला इंसान है।
और शायद…
पहली बार किसी के लिए
मेरे मन में “सुरक्षित” महसूस करने वाला एहसास आया।
✨ बात खत्म होने पर उसने मेरी तरफ देखा और कहा—
“Don’t worry… जब तुम सामने होती हो,
तो मैं किसी को भी गलत नहीं करने दूँगा।”
ये लाइन flirt नहीं थी।
ये “ownership” नहीं थी।
ये बस… protection थी।
सम्मान वाली।
और उसी समय
मेरे दिल ने पहली बार
हल्का-सा धड़कना मिस किया।
✨ **उस दिन घर लौटकर
मैंने सोचा—
ये लड़का बाकी सब जैसा नहीं है।**
वो दिखावा नहीं करता,
दिखने के लिए अच्छा बनने की कोशिश नहीं करता,
और सबसे खास—
वो मेरी चुप्पी बोलने से पहले सुन लेता है।
कई हफ्तों बाद
मेरे दिल में किसी के लिए
पहली बार
एक नर्म-सा, सच्चा-सा
जुड़ाव पैदा हुआ।
शायद यह कहानी
शुरू हो गई थी…
आरव और मेरी बातें
हर दिन बढ़ रही थीं।
न कॉल, न चैट…
हम बस जहाँ मिलते,
कुछ मिनट बात करते—
पर उन कुछ मिनटों की गर्माहट
पूरे दिन पर भारी पड़ती थी।
लेकिन प्यार की शुरुआत हमेशा
नर्म नहीं होती।
कभी-कभी दिल को
थोड़ा हिलाना पड़ता है
ताकि वो खुद को समझ पाए।
और मेरे साथ भी
यही होने वाला था।
✨ एकदम से, आरव बदल गया
एक हफ्ते तक
आरव रोज़ कैंटीन में मिलता था,
लाइब्रेरी में साथ पढ़ता था,
कभी-कभी बिना कुछ कहे
मेरे लिए पानी की बोतल तक रख देता था।
लेकिन अचानक…
वो दिखाई देना बंद हो गया।
-
न लाइब्रेरी
-
न कैंटीन
-
न कैंपस
-
न गलियारे में उसका “Hi”
जैसे वो कॉलेज आया ही नहीं।
पहले दिन मुझे लगा—
शायद व्यस्त होगा।
दूसरे दिन लगा—
शायद क्लास छोड़ दी होगी।
तीसरे दिन…
अंदर एक हल्की बेचैनी आई।
और चौथे दिन
वो बेचैनी सच में चुभने लगी।
✨ मैंने पहली बार खुद को उसकी तरफ खिंचता हुआ पाया
लाइब्रेरी में सीट खाली थी।
जहाँ वो बैठता था—
वही जगह,
वही खिड़की,
वही रोशनी…
लेकिन वह नहीं था।
कैंटीन में वही कॉफी,
वही वही भीड़,
पर उसकी हँसी नहीं।
मैंने खुद से पूछा—
“मैं उसे इतना क्यों ढूँढ रही हूँ?”
जवाब आसान था—
मैं उसे मिस कर रही थी।
पर दिल ने इसे मानने में
चार दिन ले लिए।
✨ पाँचवे दिन… जो हुआ उसने सब कुछ साफ़ कर दिया
कैंपस के बाहर अचानक
उसकी एक झलक मिली।
उसने मुझे देखा—
और नज़रें हटा लीं।
मैं चौक गई।
यह वही लड़का था
जो मुझे देखते ही मुस्कुरा देता था।
और आज?
वो बस चुपचाप
आगे बढ़ गया।
मुझे लगा कुछ गड़बड़ है।
मैंने दौड़कर कहा—
“आरव!”
वो रुक गया।
धीरे मुड़ा।
चेहरा थका हुआ था।
आँखों में अजीब-सी उदासी थी।
मैंने पूछा—
“तुम मुझसे बच क्यों रहे हो?”
उसने नजरें नीचे कर लीं।
✨ **फिर उसने वो कहा—
जिसने मेरे दिल के भीतर तक असर किया**
उसने धीमे से कहा—
“अगर मैं तुमसे दूर नहीं रहूँगा…
तो शायद मैं तुम्हारी दुनिया में
कहीं ज़रूरत से ज़्यादा जगह ले लूँगा।”
मैं समझ नहीं पाई—
“मतलब?”
वो बोला—
“राधा, तुम बहुत अच्छी हो…
और मैं…
मैं तुम्हारे जैसी किसी लड़की के काबिल नहीं हूँ।”
उसकी आवाज़ टूटी हुई थी।
मेरे हाथ से कॉफी का कप थोड़ा कांप गया।
मैंने सोचा था
वो मुझे इग्नोर कर रहा है,
पर असल में
वो खुद को रोक रहा था।
✨ **उसकी बातों ने मेरे अंदर कुछ तोड़ दिया…
और कुछ नया बना भी दिया**
पहली बार
मैं उसकी आँखों में
“पसंद” नहीं,
बल्कि दर्द देख रही थी।
एक ऐसा दर्द
जो वो मुझसे छुपाना चाहता था।
मैंने खुद से पूछा—
“क्या मैं उसके लिए इतना मायने रखती हूँ
कि वो खुद को पीछे खींच रहा है?”
और उसी पल
दिल ने एक साफ-साफ जवाब दिया—
“हाँ।
और यही वजह है कि
तू उसे खोना नहीं चाहती।”
उस दिन मैंने पहली बार
साफ़ महसूस किया कि
आरव सिर्फ एक लड़का नहीं…
वो मेरी लाइफ़ में
कुछ गहरा बन चुका है।
आरव की बातों ने
मेरे दिल के अंदर
जैसे कोई ताला खोल दिया था।
उसने कहा था—
“मैं तुम्हारे लायक नहीं हूँ… इसलिए दूर रह रहा हूँ।”
और यह सुनकर
लग रहा था जैसे
किसी ने मेरी धड़कनों पर
सीधा हाथ रख दिया हो।
मैंने सोचा था
मैं बस उसे पसंद करती हूँ,
लेकिन उस दिन समझ आया—
जुड़ाव उससे कहीं गहरा था।
✨ उस रात मैं सो नहीं पाई
मैंने फोन उठाया,
उसकी प्रोफ़ाइल खोली,
फिर बंद कर दी।
मेरे हाथ काँप रहे थे।
मैं खुद से पूछ रही थी—
“अगर वो इतना irrelevant है…
तो उसके दूर जाने से दर्द क्यों हो रहा है?”
दिल ने कहा—
“क्योंकि तू उसे चाहने लगी है।”
लेकिन दिमाग बोल रहा था—
“Radha, control करो…
ये सिर्फ attraction है।”
पर इस बार
दिमाग हार रहा था।
✨ अगले दिन — मैंने पहली बार उसके लिए खुद कदम बढ़ाया
कॉलेज में मैं उसे ढूँढ रही थी।
पहले लाइब्रेरी,
फिर कैंटीन,
फिर पार्किंग।
वो कहीं नहीं था।
फिर अचानक
गैलरी के कोने में
वो अकेला बैठा मिला।
सर नीचे,
फोन हाथ में,
और चेहरा थका हुआ।
मैं उसके सामने जाकर खड़ी हो गई।
उसने ऊपर देखा—
चौंक गया।
वो सिर्फ एक शब्द बोल पाया—
“राधा…?”
मैंने गहरी सांस ली—
“मुझसे दूर क्यों जा रहे हो?”
वह चुप।
मैं उसके बिलकुल पास बैठ गई।
✨ मैंने सीधे सवाल पूछा — ऐसा पहली बार हुआ था
“आरव, बताओ…
तुम मुझसे दूर क्यों हुए?”
वह धीरे से बोला—
“क्योंकि मैं तुम्हें पसंद करने लगा हूँ।”
मेरी सांसे रुक गईं।
उसने आगे कहा—
“और मुझे डर था कि
मेरी feelings तुम्हें uncomfortable कर देंगी।
और तुम…
मुझे खोना मैं afford नहीं कर सकता।”
उसकी आवाज़ कमजोर थी,
लेकिन इतना साफ़
कि दिल में उतर जाए।
✨ **उसका डर सुनकर
मेरे अंदर कुछ पलट गया**
मैंने पहली बार
उसका हाथ पकड़कर कहा—
“तो तुम सोच रहे थे
कि मुझसे दूर रहकर
सब ठीक हो जाएगा?”
वह चुप रहा।
ये चुप्पी ही उसका जवाब थी।
मैंने उसके करीब एक कदम और बढ़ाया।
“आरव… तुम्हें पता भी है
तुम्हारे दूर जाने से कितना बुरा लगा?”
वह नेत्र झुका कर बोला—
“इसलिए तो दूर हुआ…
क्योंकि मैं नहीं चाहता
कि मैं तुम्हें परेशान करूँ।
तुम deserve करती हो किसी perfect लड़के को…
और मैं—”
मैंने उसकी बात काट दी—
“तुम perfect नहीं हो
पर तुम सच्चे हो।”
वह चौंक गया।
मेरी आँखों में सीधे देख रहा था।
✨ मेरे दिल की सच्चाई आखिर निकल ही गई
मैंने धीरे से कहा—
“तुम्हारे बिना…
मेरे दिन खाली लगते हैं।”
वह सांस रोककर सुन रहा था।
मैंने आगे कहा—
“मैं तुम्हें miss करती हूँ,
आरव…
और ये बात मैं खुद से भी
नहीं छुपा पाई।”
जो बात मैं हफ्तों से दिमाग में दबाए बैठी थी—
वो आज पहली बार
मेरे मुँह से निकली थी।
उसकी आँखें चमक उठीं।
जैसे उसे भरोसा भी न हो
कि मैं ये सब कह रही हूँ।
✨ **फिर उसने वो किया…
जिसने मेरा पूरा दिल जीत लिया**
वह धीरे से बोला—
“राधा…
अगर तुम्हें एक भी बार
कुछ गलत लगता,
तो मैं खुद को जिंदगी भर
तुमसे दूर रख लेता।”
उसने यह बात
इतनी इज़्ज़त से,
इतनी नर्मी से कही
कि मैंने महसूस किया—
ये लड़का प्यार नहीं,
पहले सम्मान देता है।
और किसी लड़की के लिए
इससे खूबसूरत कुछ नहीं होता।
🌙 **उस दिन…
मैंने खुद से स्वीकार किया—
कि आरव मेरे लिए सिर्फ एक लड़का नहीं रहा।
वो मेरी लाइफ़ का हिस्सा बन चुका है।**
और जो आगे आने वाला था,
वह हमारी कहानी को
और ज्यादा गहराई देने वाला था।
आरव और मेरी वो बातचीत
मेरी ज़िंदगी का टर्निंग पॉइंट थी।
उसने पहली बार स्वीकार किया
कि वह मुझे पसंद करता है…
और मैंने पहली बार माना
कि मैं उसे याद करती हूँ।
पर दिल की बातें इतनी आसानी से
पूरी नहीं होतीं।
उनके लिए एक सही वक्त चाहिए होता है—
और वो वक्त उसी दिन आने वाला था।
✨ **उस शाम हम दोनों एक ही रास्ते पर थे
लेकिन बात करने की हिम्मत किसी में नहीं थी**
क्लास खत्म होने के बाद
हम दोनों कॉलेज के गेट पर मिले।
वो मेरे सामने आया—
लेकिन न मैं कुछ बोली,
न वो।
हम बस…
एक-दूसरे को देख रहे थे।
और उस नज़र में
इतनी बातें थीं
कि अगर कोई तीसरा होता
तो समझ ही नहीं पाता
कि ये दो लोग
चुप रहकर भी
एक-दूसरे की दुनिया बन रहे हैं।
✨ अचानक उसने कहा—
“चलो कहीं चलते हैं।”
मैंने पूछा—
“कहाँ?”
वह बोला—
“जहाँ तुम बिना डर अपने दिल की बात कह सको।”
और पता नहीं क्यों
उसकी बात पूरी सच्ची लगी।
✨ हम दोनों कॉलेज की टॉप टेरेस पर गए
शाम हो चुकी थी।
हवा ठंडी थी।
शहर की लाइट्स नीचे टिमटिमा रही थीं।
आरव रेलिंग के पास खड़ा था
और मैं थोड़ी दूरी पर।
कुछ देर चुप्पी रही।
फिर वह धीरे से बोला—
“राधा… तुम्हें सच में फर्क पड़ता है?”
मैंने उसकी तरफ देखा—
वह मेरी आँखों में
जवाब ढूँढ रहा था।
मैंने हिम्मत करके कहा—
“हाँ, पड़ता है।”
✨ **उसकी आँखों में जो चमक आई—
मैंने कभी किसी में नहीं देखी**
वह हल्की सी मुस्कान के साथ बोला—
“मैंने कभी सोचा नहीं था
कि तुम भी… मुझे इतना सोचोगी।”
मैंने उसके पास जाकर कहा—
“सोचती हूँ…
शायद जितना तुम्हें अंदाज़ा भी नहीं।”
उसने धीरे-धीरे पूछा—
“और… डर?”
मैंने सिर झुकाया—
“डर भी है।”
वह नरम आवाज़ में बोला—
“क्यों?”
मैंने दिल की बात पहली बार खुलकर कही—
“क्योंकि तुम्हें खोने का डर
तुम्हें पाने की खुशी से भी बड़ा लग रहा है।”
मेरी आवाज़ कांप गई।
✨ वो पल… जब उसने पहली बार मुझे दिल से समझा
वह मेरे बिल्कुल करीब आया
जितना कि एक आदमी
बिना इरादा, बिना छूए
एक लड़की का सम्मान रखते हुए आ सकता है।
उसने धीरे कहा—
“राधा…
तुम मुझे खो नहीं सकती।
मैं खुद भी नहीं चाहता कि
मैं तुम्हारी ज़िंदगी से दूर जाऊँ।”
मेरी आँखें नम हो गईं।
उसी पल—
हमारे बीच की हवा
पूरी तरह बदल गई।
✨ और फिर… वो खामोशी
वो खामोशी
जहाँ कुछ बोला नहीं गया
पर सब कुछ कहा गया।
हवा चल रही थी।
शहर की लाइट्स चमक रही थीं।
और मैं और आरव—
एक-दूसरे की आँखों में वो बातें पढ़ रहे थे
जो शब्दों में नहीं उतर सकती थीं।
ये प्यार नहीं था अभी—
पर ये शुरुआत
किसी बहुत गहरी चीज़ की थी।
उसने धीरे से कहा—
“राधा, एक बात बोलूँ?”
मैंने पूछा— “क्या?”
वह बोला—
“तुमसे बात करना…
मेरी जिंदगी के सबसे अच्छे पलों में से है।”
मेरे होंठों पर मुस्कान आ गई।
दिल की धड़कनें तेज़ थीं।
उस पल
मेरे दिल ने
एक बात साफ़ कह दी—
मैं आरव को चाहने लगी हूँ।
शायद उससे भी ज्यादा…
जितना मैंने खुद से सोचा था।
टेरेस वाली रात के बाद
मेरे और आरव के बीच कुछ बदल चुका था।
हम दोनों ने कुछ कहा नहीं था,
कोई “प्रपोज़” नहीं,
लेकिन दिल से दिल की दूरी
पहली बार खत्म हो गई थी।
हम दोनों एक-दूसरे के और करीब हो चुके थे—
बिना नाम दिए,
बिना रिश्ता बनाए…
पर असली मोड़
अभी शुरू होने वाला था।
✨ **अगले दिन —
मैंने आरव को किसी और लड़की के साथ देखा**
कैंटीन की लाइन में थी।
आरव आगे खड़ा था।
लेकिन अकेला नहीं।
एक लड़की उससे हँस–हँस कर बात कर रही थी।
वह भी थोड़ी मुस्कुरा रहा था।
और पता नहीं क्यों—
मेरी छाती में अचानक
एक अजीब-सी टीस उठी।
पहली बार…
मेरे अंदर जलन हुई।
मैंने खुद से कहा—
“राधा, पागल मत बन…
वो तुम्हारा क्या है?”
पर दिल बोला—
“वो तुम्हारा है… बस बोलना बाकी है।”
✨ मैंने उससे बात avoid की
वह मेरी तरफ आ रहा था—
मैं तेज़ी से पलटकर लाइब्रेरी की तरफ चल दी।
कुछ देर बाद
वह पीछे-पीछे आया।
“राधा?”
मैंने किताब पलटने का नाटक किया।
वह धीरे से बोला—
“तुम मुझसे नाराज़ हो?”
मैंने देखा भी नहीं—
“क्यों होऊँगी?”
वह मेरे सामने बैठ गया—
“क्योंकि तुम avoid कर रही हो।”
मैं चुप।
उसने मुस्कुराकर कहा—
“मुझे लगा था हम कल… थोड़ा करीब आए थे।”
यह लाइन सुनकर
मेरे दिल की धड़कन बढ़ गई,
पर मैं शांत बनी रही।
✨ वह अचानक सीरियस हो गया
“राधा… तुमने मुझे आज देखा, ना?”
मैं रुक गई।
उसने सीधे पूछा—
“तुम्हें बुरा लगा?”
मैंने झूठ बोलना चाहा—
“नहीं, मुझे क्यों…”
पर मेरा चेहरा
मेरी बात को गलत साबित कर रहा था।
वह थोड़ा करीब आकर बोला—
“राधा, please…
एक बार आँखों में देखकर बोलो—
तुम्हें फर्क नहीं पड़ा।”
मेरी आँखें झुक गईं।
उसने बहुत धीरे से कहा—
“मैं किसी और से बात करूँ…
और तुम्हें फर्क न पड़े?
Impossible.”
मेरी सांस अटक गई।
✨ **फिर उसका सवाल—
जिसने मुझे पूरी तरह बेनकाब कर दिया**
वह बोला—
“राधा…
अगर मैं सच में किसी और को पसंद करूँ
तो तुम्हें कैसा लगेगा?”
मेरी आँखों में हल्की नमी भर आई।
मैंने धीमे से कहा—
“मत करो ऐसी बातें…”
वह रुक गया।
मेरी आवाज़ काँप रही थी।
आरव ने मेरी तरफ झुककर
बहुत ही नरमी से कहा—
“तो फिर स्वीकार क्यों नहीं करती
कि तुम्हें मुझसे… कुछ महसूस होता है?”
मेरी आँखें चौड़ी हो गईं।
ये पहला मौका था
जब उसने सीधे मेरे दिल पर
सवाल रखा था।
✨ **और अभी मैं कुछ बोल पाती—
उसने वो किया जिसकी उम्मीद नहीं थी**
वह खड़ा हुआ,
किताबें मेरे पास रखीं
और मेरी कुर्सी के पास आकर धीमे से बोला—
“राधा…
मैं सिर्फ तुम्हें देखता हूँ।
किसी और को नहीं।”
मेरे हाथ काँपने लगे।
उसने आगे कहा—
“और अगर तुम्हें सच में फर्क पड़ा…
तो इसका मतलब है
कि तुम भी मुझे खोना नहीं चाहती।”
मेरी आँखों में आँसू थे—
खुशी के,
डर के,
और एहसास के।
मैं कुछ बोल पाती
उससे पहले वह बहुत धीरे से बोला—
“मैं तुम्हें अपना बनाने की जल्दी नहीं कर रहा…
मैं बस चाहता हूँ
कि तुम मुझे अपने दिल में जगह देने से
डरो मत।”
उसकी आवाज़ टूट रही थी…
सच्चाई से।
🌙 **उस पल मुझे एहसास हुआ—
आरव मेरे लिए कुछ नहीं था…
वो सब कुछ बन चुका था।**
दिल में पहली बार
प्यार की असली हलचल उठ चुकी थी—
और असली confession
अब बस एक ही कदम दूर था।
दिन भर की बेचैनी के बाद
मैंने खुद से साफ़ कहा—
“राधा… अब और नहीं।
या तो कह दो,
या खुद को दर्द देना बंद कर दो।”
आरव से दूर रहना
अब नामुमकिन हो गया था।
और उसके करीब आने में
अब कोई डर नहीं बचा था।
उसकी आँखें,
उसकी बातें,
उसकी नर्मी,
उसका सम्मान—
सब मेरे दिल में गहराई तक उतर चुका था।
और उस रात
सब कुछ साफ होना था।
✨ **उसी जगह जाना था जहाँ सब शुरू हुआ था—
कॉलेज की टेरेस**
मैंने मैसेज किया—
“Can we talk?”
उसने तुरंत जवाब दिया—
“Where?”
मैंने लिखा—
“Terrace. Now.”
वो 5 मिनट में ही वहाँ था।
सांस थोड़ी तेज़,
चेहरा थोड़ा टेंशन में,
जैसे डर हो कि आज कुछ बड़ा होने वाला है।
और सच में… होने वाला था।
✨ **हम दोनों चुप-चाप खड़े थे
जैसे हवा भी हमारी धड़कनों को सुन रही हो**
आरव ने धीरे से पूछा—
“तुम ठीक हो?”
मेरी आवाज़ बंद लग रही थी।
मैंने हाँ में सिर हिलाया।
वह मेरी तरफ थोड़ा बढ़ा—
“राधा… तुम रो रही हो?”
मैंने सांस अंदर ली—
“आरव… मुझे तुमसे कुछ कहना है।”
उसकी आंखों में हल्की घबराहट आ गई।
जैसे वह भी इस पल का इंतज़ार कर रहा था
और डर भी रहा था।
✨ **मैंने बोलना शुरू किया—
और आवाज़ खुद-बखुद काँप गई**
“तुम्हें पता है,
ये सब कब शुरू हुआ?”
वह सुन रहा था।
“जब तुमने मुझे ignore किया था…
तब मुझे एहसास हुआ
कि तुम्हारे बिना मैं कितनी खाली हूँ।”
उसकी पलकें झपकना बंद हो गईं।
“मैंने सोचा था कि तुम बस एक दोस्त हो…
लेकिन जब तुम दूर गए
तब दिल ने कहा—
‘नहीं… ये उससे कहीं ज़्यादा है।’”
मेरी आँखें नम हो गईं।
✨ **उसका चेहरा बदल गया—
पहली बार मैंने उसे इतना vulnerable देखा**
वह धीरे से बोला—
“राधा… please आगे बोलो… मैं सुन रहा हूँ।”
मैंने गहरी सांस ली
और वही कहा
जो इतने दिनों से दिल में कैद था—
“आरव…
मुझे तुमसे फर्क पड़ता है।”
वह जम-सा गया।
मैंने आगे कहा—
“बहुत फर्क पड़ता है।
तुम्हारे जाने से दर्द होता है,
तुम्हारी हँसी से खुशी,
और तुम्हें किसी और के साथ देखकर…
जलन।”
उसने एक कदम मेरी तरफ बढ़ाया।
पहली बार
उसके होंठों पर मुस्कान थी
और आँखों में नमी।
✨ **फिर मैंने वो कहा
जो अभी तक सिर्फ दिल जानता था**
“आरव…
मैं तुम्हें पसंद करने लगी हूँ।
शायद…
बहुत ज्यादा।”
मेरी आवाज़ टूट गई।
मैं डर रही थी
कि वह क्या सोचेगा।
पर जो हुआ
उसके लिए मैं तैयार नहीं थी।
✨ **आरव धीरे-धीरे मेरे पास आया—
इतना करीब कि उसकी सांसें मेरे चेहरे को छू रही थीं**
उसने बहुत ही नर्मी से कहा—
“राधा…
तुम्हें अंदाज़ा भी नहीं है
कि मैं ये शब्द कितने समय से सुनना चाहता था।”
मैंने आँखें उठाईं—
वह सच में रो रहा था।
“तुम्हें पता है मुझे किसका डर था?”
वह बोला।
मैं चुप रही।
“कि कहीं मैं तुम्हें पसंद करके
तुम्हें खो न दूँ।”
मेरी साँसें अटक गईं।
“और आज—
तुमने खुद कह दिया
कि तुम मुझे चाहती हो…
तो अब मुझे किसी चीज़ का डर नहीं।”
उसने मेरी उंगलियाँ पकड़ लीं—
बहुत हल्के से,
बहुत सम्मान से।
✨ **उस पल में…
यह रिश्ता आधा नहीं रहा
पूरा हो गया।**
हम दोनों चुप थे—
पर हमारी खामोशी में
इज़हार था,
जुड़ाव था,
और एक अनकही मोहब्बत थी
जो धीरे-धीरे हमारा दिल भर रही थी।
उस रात
हम दोनों वही थे
लेकिन हमारा रिश्ता
पूरी तरह बदल चुका था।
टेरेस की उस रात
मैंने अपनी दिल की सारी बातें कह दीं।
आरव ने भी सुना, समझा,
और आँखों में वो चमक ले आया
जो सिर्फ सच्चे प्यार में होती है।
लेकिन इज़हार…
अभी पूरा नहीं हुआ था।
जो होने वाला था
वो सिर्फ confession नहीं—
हमारे रिश्ते को नाम देने की शुरुआत थी।
✨ अगले दिन — दिल में अजीब-सी बेचैनी थी
सुबह से आरव का कोई मैसेज नहीं।
ना कॉल।
ना मिस्ड कॉल।
दिल बार-बार वही डर दिखा रहा था—
“कहीं कल वाली बात के बाद
वह दूर न हो जाए?”
पर दिमाग जानता था—
वह ऐसा करने वाला लड़का नहीं है।
फिर दोपहर 3 बजे
मेरे फोन पर मैसेज आया—
“Terrace. 10 minutes.”
दिल की धड़कनें बढ़ गईं।
✨ मैं पहुँची… और सब कुछ बदल गया
टेरेस पूरी तरह खाली थी।
पर बीच में
एक छोटा-सा setup था—
-
फेयरी लाइट्स
-
दो कोल्ड कॉफी
-
और एक नोटबुक
मैंने धीरे से पूछा—
“आरव… ये सब?”
वो पीछे से आया,
हल्की सी मुस्कान के साथ।
“कल तुमने जो कहा…
उसे आधा मैंने सुना,
आधा मेरी धड़कनों ने।”
मेरे होंठ अपने आप मुस्कुरा दिए।
✨ पहली बार… उसने मेरे लिए कुछ प्लान किया था
वह मेरी तरफ बढ़ा
और बहुत धीरे से बोला—
“राधा…
मैंने कभी किसी को अपनी feelings
इतनी साफ़ नहीं बताई।”
मैं चुप।
“और तुम…
तुम वो पहली लड़की हो
जिसने मुझे
मेरी ज़िन्दगी से भी ज्यादा कीमती लगने लगी हो।”
मेरी आँखें नम हो गईं।
✨ **फिर उसने वो कहा
जिसने मेरे पूरे अस्तित्व को छू लिया**
आरव मेरे सामने आया
इतना करीब
जितना एक इंसान
गरिमा और इज़्ज़त के साथ आ सकता है।
उसने कांपती आवाज़ में कहा—
“राधा, I like you.
Not casually.
Not temporary.
I like you in a way
that scares me…
क्योंकि तुम्हें खोने का डर
मेरी हर खुशी से बड़ा है।”
मेरी सांसें अटक गईं।
✨ **मैं कुछ बोलूँ उससे पहले—
वह असली प्रपोज़ल कर गया**
उसने जेब से
एक छोटा-सा पेपर निकाला।
कोई रिंग नहीं थी।
कोई सीन नहीं।
बस उसकी सच्चाई थी।
उस पेपर पर लिखा था—
“Will you allow me to be a part of your life?”
यानी—
“क्या मैं तुम्हारी जिंदगी का हिस्सा बन सकता हूँ?”
ये दुनिया का
सबसे खूबसूरत,
सबसे respectful
और सबसे pure proposal था।
✨ मेरी आँखों से आँसू बह गए
मैंने काँपते हुए कहा—
“आरव…
मैंने कल ही कह दिया था…
कि मुझे तुम्हें खोने से डर लगता है।”
वह मुस्कुराया—
“यानी तुम भी मुझे चाहती हो?”
मैंने उसकी आँखों में देखकर कहा—
“हाँ…
बहुत ज्यादा।”
✨ **वह पहली बार मुझे गले से लगाना चाहता था—
पर रुका…**
उसने पूछा—
“Can I…?”
मैंने सिर हिलाकर कहा—
“Yes.”
और वो पल…
कोई फिल्म नहीं,
कोई कहानी नहीं—
एक सच्चा एहसास था।
उसने मुझे बहुत हल्के से,
बहुत सम्मान से गले लगाया।
न कोई जल्दी,
न कोई गलत इरादा,
बस एक सुकून…
एक एहसास—
कि अब हम दो लोग नहीं,
एक रिश्ता हैं।
✨ उसने फुसफुसाकर कहा—
“राधा…
अब मैं तुम्हें खोने नहीं दूँगा।
कभी भी नहीं।”
और उस क्षण
मुझे लगा—
मेरी जिंदगी का सबसे सही इंसान
मुझे मिल चुका है।
टेरेस वाली रात के बाद
हम दोनों के बीच एक अनकहा रिश्ता बन चुका था।
नाम किसी ने नहीं दिया था,
पर दिल…
वो तो बिना बताए ही सब समझ जाता है।
अब आरव मेरे लिए
कॉलेज का एक लड़का नहीं था।
वह वह इंसान था
जिसके बिना मेरा दिन अधूरा लगता था।
पर प्यार का पहला स्टेप
हमेशा उतना आसान नहीं होता।
उसमें excitement भी होती है,
और insecurity भी…
और यही insecurity
आज पहली बार आने वाली थी।
✨ हम दोनों अब आधिकारिक तौर पर एक-दूसरे की लाइफ़ का हिस्सा थे
-
सुबह की “Good morning? 🙂”
-
क्लास के बीच की छोटी-छोटी बातें
-
उसके लिए extra coffee
-
मेरे लिए उसकी नोट्स sharing
-
और सबसे प्यारी…
वह मुझे बिना वजह देखता था
जैसे उसे यकीन ही नहीं हो रहा था
कि मैं उसकी हूँ।
सब कुछ smooth चल रहा था।
जब तक…
✨ वो लड़की फिर से उसके पास आई—और इस बार मुझे सच में बुरा लगा
कैंटीन में मैं waiting line में थी।
आरव आगे खड़ा था।
वही लड़की—
जो पहले भी उससे बातें कर रही थी—
फिर उसके पास आई।
इस बार उसने
उसके कंधे को हल्का सा टच किया
और हंसने लगी।
आरव ने कुछ गलत नहीं किया…
वह बस हँसकर reply दे रहा था।
पर मेरे दिल में
एक छोटी-सी चुभन हुई।
“क्यों ऐसा लग रहा है
कि कोई मेरी जगह छीन रहा है?”
यह सवाल
मेरी सांस रोक देने के लिए काफी था।
✨ **मैंने पलटकर जाने की कोशिश की—
पर आरव ने पकड़ लिया**
उसने मेरा हाथ हल्के से पकड़ा—
“राधा… कहाँ जा रही हो?”
मैंने कहा—
“कहीं नहीं, बस काम था।”
वह मेरी आँखों में देख रहा था।
और मेरी आँखें
सब कुछ बोल चुकी थीं।
उसने धीरे से पूछा—
“तुम्हें बुरा लगा?”
मैंने झूठ बोला—
“नहीं।”
वह मुस्कुराया,
एक ऐसी मुस्कान
जो सब समझ चुकी थी।
✨ **फिर उसने वो किया—
जिसने मेरी सारी insecurity खत्म कर दी**
वह उस लड़की से एकदम distance बनाकर
सीधे मेरे पास आया
और बोला—
“राधा, listen…
I should’ve told you earlier.”
मैंने confused होकर देखा।
वह बोला—
“उस लड़की का मेरे लिए कोई meaning नहीं है।
सिर्फ classmate है—
बस.”
मैं चुप।
फिर उसने वो कहा
जो मुझे एक सेकंड में शांत कर गया—
“And YOU…
you are my priority.”
मेरे दिल की धड़कनें रुक गईं।
उसने और स्पष्ट कहा—
“पहली priority.
Always.”
✨ **पहली बार…
उसने ऑफिसली मुझे अपनी बना दिया**
उसने मेरा हाथ पकड़ा
और बहुत हल्के स्वर में बोला—
“मैं किसी को भी
हमारे बीच confusion नहीं बनने दूँगा।”
मैंने पूछा—
“और अगर मुझे फिर भी insecurity हुई तो?”
वह मुस्कुराया—
“तो मैं हर बार
तुम्हें उसी तरह समझाऊँगा
जैसे अभी समझा रहा हूँ।”
वह पूरी sincerity से बोला—
“राधा, तुमने कहा था
कि तुम्हें मुझे खोने का डर है…
तो अब सुनो—
मैं खुद को तुम्हारे पास रखने के लिए
हर possible कोशिश करूँगा।”
उसके शब्द
इतने सच्चे थे
कि मुझे जवाब नहीं मिला।
सिर्फ एक हक भरी चुप्पी मिली।
✨ **फिर उसने वो बात कही—
जिससे मेरा पूरा दिल भर आया**
“राधा,
मुझे किसी और की जरूरत नहीं है।
मुझे बस तुम चाहिए।”
और उस पल
मेरे अंदर जो हलचल हुई
वह किसी कहानी की नहीं—
एक असली एहसास की थी।
मुझे पहली बार लगा—
ये लड़का सिर्फ मुझसे प्यार नहीं करता,
मुझे सबसे पहले रखता है।
🌙 **यही वो रात थी…
जब मैंने खुद से स्वीकार किया—
आरव सिर्फ पसंद नहीं…
मेरी जिंदगी का हिस्सा बन चुका है।**
और अभी कहानी का
सबसे खूबसूरत part बाकी है।
आरव और मैं
अब एक-दूसरे के लिए
सिर्फ “important” नहीं,
एक-दूसरे की आदत बन चुके थे।
लेकिन हर कहानी में
एक ऐसा दिन आता ही है
जो पूरी कहानी को
एक ही पल में परफेक्ट बना देता है।
मेरी और आरव की कहानी का
वो दिन…
आज था।
✨ उस दिन उसने मुझे बिना बताए बुलाया
शाम के 6 बजे
मेरे फोन पर एक मैसेज आया—
“Terrace. Alone. Don’t be late.”
मैं हँस पड़ी।
हमारी कहानी की शुरुआत भी टेरेस से हुई थी…
और वो मुझे फिर वहीं बुला रहा था।
दिल में अलग ही हलचल थी।
✨ मैं पहुँची—और जो देखा… आँसू अपने आप गिर पड़े
पूरी टेरेस फेयरी लाइट्स से भरी थी।
बीच में एक छोटा-सा टेबल,
दो कॉफी,
और उन कॉफी के बीच
एक कागज़ का छोटा-सा बॉक्स।
जैसे ही मैं आगे बढ़ी,
आरव धीमे से मेरे सामने आया—
थोड़ा नर्वस,
थोड़ा excited,
पर सबसे ज्यादा… सच्चा।
✨ वह मेरे सामने रुका और बोला—
“राधा… याद है?
मैंने कहा था कि तुम मेरी पहली priority हो।”
मैं मुस्कुराई—
“हाँ, याद है।”
वह बोला—
“आज… मैं इसे official करने आया हूँ।”
मेरे दिल की धड़कनें रुकने लगीं।
✨ **फिर उसने वह कहा…
जो कोई लड़की भूल नहीं सकती**
आरव ने गहरी सांस ली
और मेरे बिलकुल करीब आकर कहा—
“राधा…
तुम्हें पसंद करना मेरी पसंद थी,
पर तुम्हें अपनी जिंदगी बनाना—
यह मेरी किस्मत है।”
मेरी आँखों से आँसू गिर पड़े।
वह बोला—
“तुमने मुझे समझा,
सहारा दिया,
मेरा डर सुना,
मेरी गलती माफ़ की…
अगर यह प्यार नहीं,
तो कुछ भी नहीं।”
मैं कुछ बोल ही नहीं पाई।
✨ **वह घुटनों पर बैठा…
पर गुलाब लेकर नहीं—
एक नोट लेकर**
उस नोट में लिखा था—
“I don’t promise a perfect life…
But I promise YOU in every life.”
(“मैं परफेक्ट लाइफ़ का वादा नहीं करता…
लेकिन हर जन्म में तुम्हारा वादा करता हूँ।”)
उसने नोट मुझे देते हुए कहा—
“राधा…
Will you be my peace?
My person?
My life?”
यह प्रपोज़ल नहीं…
एक सम्मान था।
एक समर्पण था।
एक रिश्ता था।
✨ मैं रो पड़ी… पर यह रोना दुख का नहीं था
मैंने धीरे से कहा—
“आरव…
तुम वह इंसान हो
जिसकी कमी मुझे उससे पहले महसूस हुई
जब तुमने जाना भी नहीं था।”
वह मुस्कुराया,
मेरी आँखें पोंछीं
और बोला—
“तो जवाब?”
मैंने उसकी उंगलियाँ पकड़कर कहा—
“YES.
हर तरीके से YES.”
✨ **उसने मुझे गले लगाया—
जैसे पूरी दुनिया से बचा रहा हो**
यह कोई फिल्मी hug नहीं था।
कोई possessiveness नहीं,
कोई intention नहीं।
बस शांति।
सुकून।
और belonging।
पहली बार लगा—
मैं किसी की अपनी हूँ।
सच में।
और वह मेरा है—
इज़्ज़त, प्यार और पूरा दिल से।
🌙 **कहानी का आखिरी वाक्य…
राधा की आवाज़ में**
“हमने अपने रिश्ते को नाम नहीं दिया…
नाम खुद हम पर फिट हो गया—
‘हम।’”
और इस तरह
मेरी और आरव की कहानी
प्यार, इज़्ज़त, सच्चाई
और एक खूबसूरत अंत के साथ
पूरी हो गई।















