शिव ने मुझे बचपन से प्यार किया… और शादी के बाद मैं समझ पाई कि मेरा पति कितना कीमती है।

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कुछ रिश्ते फॉर्मल नहीं होते…
न किसी दिन तय होते हैं और न ही किसी वादे से शुरू।
वो तो बस उम्र के साथ-साथ दिल में अपने आप जगह बनाते जाते हैं।

मेरी और शिव की कहानी भी ऐसी ही थी—
बिना कहे शुरू हुई, और बिना जाने दिल में बस गई।


🌸 हमारी कॉलोनी, हमारी छोटी दुनिया

मैं पूजा, और मेरे घर के ठीक सामने रहता था शिव
हमारी गली में खेलने वाले बच्चों का एक बड़ा-सा ग्रुप था,
लेकिन पता नहीं क्यों…
शिव सिर्फ मेरी ही तरफ खिंचा चला आता था।

मैं गुड़ियों से खेलती, तो वह हमेशा मेरा खेल बिगाड़ देता।
और जब मैं मिट्टी में घर बनाती,
तो वह पास बैठकर अपने हाथ गंदे कर लेता—
बस इसलिए कि मैं उससे नाराज़ न हो जाऊँ।

यह बात मुझे बड़े होने पर समझ आई कि…

वह बचपन से ही मेरी जिंदगी का हिस्सा बनने की कोशिश कर रहा था।


🎒 स्कूल की पहली याद

हम दोनों एक ही स्कूल में पढ़ते थे।
हर सुबह जैसे ही मैं तैयार होकर बाहर आती,
शिव पहले से गेट पर खड़ा इंतजार करता मिलता।

एक दिन मैंने पूछा,
“तू रोज़ इतना जल्दी क्यों आ जाता है?”

वह हँसकर बोला,
“क्योंकि मुझे डर लगता है कहीं तू अकेले चली गई तो?”

उस वक्त मुझे यह लाइन बस एक मज़ाक लगी…
आज लगता है कि वह पहला इशारा था उसकी पसंद का।


🎠 शिव की छोटी-छोटी हरकतें

  • मेरी टिफ़िन में जो भी पसंद हो—वह ले आता।

  • क्लास में कोई मुझे परेशान करे—तो वह सबसे पहले लड़ पड़ता।

  • मैं रो दूँ—तो वह बाकी दुनिया को भूलकर मुझे चुप कराता।

  • मैं बीमार पड़ूँ—तो दवाई से लेकर गर्म पानी तक मेरे दरवाज़े पर लाता।

उस वक्त मुझे लगता था कि वह बस ओवर-केयरिंग है,
पर सच में वह मुझे बचपन से ही…
दुनिया से ज्यादा चाहता था।


🌧️ एक घटना जिसने मुझे झकझोर दिया

एक दिन स्कूल से लौटते वक्त बारिश शुरू हो गई।
मैं छतरी लाई नहीं थी।
शिव के पास एक छोटी छतरी थी, जिसमें सिर्फ एक ही आ सकता था।

वह खुद बारिश में भीगता रहा,
और मुझे पूरी तरह छतरी में ढककर घर तक छोड़ गया।

मैंने कहा,
“शिव, तू खुद भीग गया!”

उसने बस इतना कहा—
“तो क्या हुआ? तुझे कुछ नहीं होना चाहिए।”

उस दिन पहली बार मेरे दिल में
शिव के लिए एक अलग ही अहसास जागा…
कुछ ऐसा जिसे मैं उस उम्र में समझ नहीं सकी।


🌟 माँ का सवाल, जिसने मुझे सोचने पर मजबूर किया

एक दिन मेरी माँ ने मज़ाक में मुझसे पूछा—
“पूजा, यह शिव तुम्हारे पीछे क्यों घूमता रहता है? कुछ है क्या?”

मैं हँस दी…
“माँ बस दोस्त है वो। ज़िद्दी है, इसलिए साथ रहता है।”

पर उस रात मैं पहली बार सोच में पड़ गई—
क्या शिव मुझे दोस्त से ज़्यादा मानता है?

पर मैं जवाब नहीं ढूँढ पाई।


🧸 बचपन की यही मासूमियत हमारी कहानी की असली नींव थी

तब हमें नहीं पता था कि
ये छोटी-छोटी बातें ही
कभी हमारी ज़िंदगी की सबसे बड़ी यादें बन जाएँगी।

शिव ने तब भी कुछ नहीं कहा था…
पर शायद वो उस उम्र में भी
मुझे अपना मान चुका था।

बचपन बीत चुका था।
हम दोनों अब टीनएज में थे—
नई उम्र, नए एहसास, नई शर्म…
और हमारे बीच एक अजीब-सी खामोशी।

शिव अब पहले जैसा शरारती नहीं था।
उसकी हरकतों में एक अजीब-सी परिपक्वता आ गई थी।
वह मुझे हर बात में समझने की कोशिश करता,
पर अब पहले जैसी खुलकर बात नहीं करता था।


🌸 मेरे बदलने से ज़्यादा… शिव बदल गया था

स्कूल में अब हमारी क्लासें अलग थीं।
वह मुझे कम मिलता,
पर हर तेज़ हवा, हर धूप, हर बारिश में
कहीं-न-कहीं मुझे ढूंढता जरूर था।

अगर मैं कभी गलती से उसे देख लेती,
तो वह नज़रें झुका लेता—
जैसे आँख मिलाने भर से
उसके दिल की सारी बातें बाहर आ जाएँगी।


🎧 वो छोटी-छोटी बातें जो प्यार की नींव बनीं

🔹 1. मेरी चुप्पी को भी सुनना

एक बार मैं किसी वजह से बहुत दुखी थी।
स्कूल के बाद अचानक शिव मेरे घर आया और बोला,
“पूजा, तू ठीक नहीं है… बता क्या हुआ?”

मैंने हैरानी से पूछा,
“तुझे कैसे पता?”

वह धीरे से बोला,
“तेरी आवाज़ में आज मुस्कान नहीं थी।”

मैं वहीं थम गई।
कौन इतनी गहराई से महसूस करता है किसी को?

🔹 2. मेरी खुशी उसका उत्सव

मेरे परीक्षा में अच्छे नंबर आए
तो उसने मेरे लिए चॉकलेट और एक छोटी-सी डायरी खरीदी।
डायरी के पहले पन्ने पर लिखा था—
“तू हर बार जीतती रहे, यही दुआ है।”

🔹 3. मेरा गुस्सा भी उसे अच्छा लगता था

कभी-कभी मैं उसे नजरअंदाज करती,
तो वह नाराज़ नहीं होता,
बस मुस्कुराकर कहता—
“ठीक है, जब मन हो बात कर लेना… मैं यहीं हूँ।”


🌧️ एक दिन ऐसा आया जब मैंने शिव को रोते हुए देखा

बारिश का दिन था।
मैं स्कूल से लौट रही थी कि रास्ते में शिव मंदिर के पास बैठा मिला।
उसके कपड़े भीगे हुए थे और आँखें लाल थीं।

मैं घबरा गई,
“शिव, क्या हुआ? तू रो क्यों रहा है?”

वह बस यही कह पाया—
“मुझे डर लगता है पूजा…
कभी तू मुझसे दूर न हो जाए…”

मैं पहली बार समझी कि
उसके डर में उसकी मोहब्बत छिपी थी।

उस पल मेरे दिल में हलचल हुई—
यह दोस्ती नहीं थी…
कुछ और था। कुछ बहुत गहरा।


🌙 एक रात जिसने सब बदल दिया

उस दिन मैं शिव से फोन पर बात कर रही थी।
रात के 11 बजे थे।
मैंने मज़ाक में कहा—
“अगर मैं किसी और से शादी कर लूँ तो?”

कुछ सेकंड तक खामोशी रही।
फिर उसकी टूटी हुई आवाज़ आई—
“पूजा… ऐसा मत कहना।
तू मेरी है… बचपन से।”

उसकी आवाज़ में जो दर्द था, वह मैंने पहले कभी नहीं सुना था।

मैं घबरा गई।
लेकिन उसके डर ने मेरे अंदर कुछ जगा दिया—
मैंने पहली बार महसूस किया कि शिव मेरे लिए सिर्फ दोस्त नहीं है।


🌺 मेरे एहसास का जागना

अब जब वह कॉल करता तो मेरे चेहरे पर मुस्कान आ जाती।
जब वह स्कूल में नहीं आता,
तो पूरा दिन खाली-खाली लगता।

जब किसी लड़की की तारीफ़ करता,
तो अजीब-सी जलन होती।

और यह सब एहसास…
धीरे-धीरे सच्चाई बनते जा रहे थे।


🌟 पर शिव ने अब तक कुछ नहीं कहा था

वह मुझे हर दिन महसूस कराता था,
पर एक शब्द नहीं बोलता था।
जैसे उसने तय कर रखा हो कि
वो वक्त आने पर ही अपना दिल खोलेगा।

और मैं…
मैं पहली बार उसके बिना कुछ कहे
उसके इशारों को पढ़ना सीख रही थी।

स्कूल की आख़िरी घंटी के साथ
हमारा बचपन भी ख़त्म हो गया।
अब कॉलेज का समय था—
नई जगह, नए लोग, नई ज़िंदगी…
और इसी नई दुनिया के कारण
मेरे और शिव के बीच पहली बार दूरी आने लगी।


🎓 कॉलेज अलग—दिल अलग नहीं था

हम दोनों अलग-अलग कॉलेज में चले गए।
अब रोज़ सुबह का साथ,
स्कूल आने–जाने की बात,
लॉकर्स, क्लास, चिड़चिड़ापन—
सब अचानक गायब हो गया।

पहले हफ्ते तो मुझे लगा सब ठीक है…
पर जैसे-जैसे दिन गुज़रने लगे,
मुझे अपने अंदर एक खालीपन महसूस होने लगा।

✔ जब शिव कॉल न करे → बेचैनी

✔ सुबह उसका “गुड मॉर्निंग” न आए → अजीब उदासी

✔ कॉलेज से लौटकर उसे ना देख पाना → अजीब अकेलापन

शायद यह पहली बार था
जब मैं समझ रही थी कि
मैं उसे सिर्फ दोस्त नहीं मानती।


📱 शिव का कम बात करना… और मेरा परेशान हो जाना

कॉलेज शुरू होते ही
शिव पहले जैसा बातूनी नहीं रहा।
वह कम कॉल करता,
कम मैसेज करता,
और जब करता भी…
तो उसकी आवाज़ में एक बोझ होता।

मैंने एक दिन पूछा,
“शिव, तू परेशान है?”

वह बोला,
“नहीं… बस थोड़ा व्यस्त हूँ।”

पर मैं जानती थी—
उसके “व्यस्त” होने के पीछे
कुछ और था।


🌧️ एक दिन उसने फोन काट दिया… और मैं टूट गई

मैंने मज़ाक में कहा,
“शायद तू कॉलेज में नई फ्रेंड्स बना रहा है।
अब मुझे भूल न जाना।”

उसने अचानक फोन काट दिया।

मैं हिल गई।
उसने कभी ऐसा नहीं किया था।

रात तक उसने बात नहीं की।
मेरी आँखों में आँसू आ गए—
क्योंकि मुझे पहली बार
शिव को खोने का डर लगा था।


🥀 अगले दिन उसका मैसेज आया:

“पूजा, मैं तुझे खोने के डर से रोज़ खुद को पीछे खींच रहा हूँ।
मुझे लगता है तू अब बड़ी हो गई है…
और मैं बस वही पुराना शिव हूँ।”

उस मैसेज ने मेरा दिल एक पल के लिए रोक दिया।
जो बात वह पिछले कई सालों से नहीं बोला था,
वह अब धीरे-धीरे लिखकर बता रहा था।


🌙 मेरी बेचैनी बढ़ने लगी

अब मैं हर छोटी-छोटी बात में
शिव को ढूँढने लगी थी—
किसी लड़के की मज़ाक से ज्यादा
शिव का ध्यान अच्छा लगता,
किसी लड़के की तारीफ़ करने से पहले
शिव की नज़रों में खुद को देखने का मन करता,
और किसी भी लड़के से बात करने में
शिव के गुस्से का ख्याल आता।

मुझे एहसास हुआ—
मैं उससे प्यार करती हूँ
पर मैंने कभी उसे बताया नहीं।


🔥 एक दिन शिव अचानक मेरे कॉलेज आया

उस दिन मैं कैंटीन में थी।
अचानक पीछे से आवाज़ आई—
“पूजा…”

मुड़कर देखा तो शिव खड़ा था।
आँखों में नींद,
चेहरे पर थकान,
हाथ में बाइक की चाबी…
जैसे भागता-भागता आया हो।

मैंने पूछा—
“शिव, तू ठीक है?”

वह बस इतना बोला—
“मैं तेरे बिना रह नहीं पा रहा।”

उसकी आवाज़ कांप रही थी।
पहली बार मैंने उसकी आंखों में
खुला हुआ दर्द देखा।


💔 शिव का डर — मेरी चुप्पी

उसने कहा—
“पूजा, हमारे बीच दूरी बढ़ रही है।
मुझे लगता है कि तू किसी और को पसंद करने लगेगी।
मैं तुझे बचपन से चाहता हूँ…
पर तुझसे कहने की हिम्मत कभी नहीं हुई।”

उसके शब्द सुनकर मैं सुन्न रह गई।
शिव ने पहली बार
खुले तौर पर “चाहत” की बात की थी।

और मैं…
मैं बस खड़ी रह गई,
कुछ बोल नहीं पाई।
मेरी चुप्पी ने
शिव को और तोड़ दिया।


🌑 शिव वक़्त से पहले चला गया…

उस दिन वह बिना कुछ कहे चला गया।
लेकिन जाते-जाते उसने जो एक लाइन कही—
वह मेरे दिल में दीवार की तरह धस गई—

“पूजा, अगर तू खुश रहे…
तो मैं पीछे हट जाना भी सीख जाऊँगा।”

उस पल मुझे एहसास हुआ कि
यह लड़का मुझसे प्यार करता है…
उतना नहीं
बहुत ज्यादा

और मेरी चुप्पी ने उसे
उसके प्यार में अकेला कर दिया था।

उस दिन जब शिव मेरे कॉलेज आया था,
मेरी आँखों के सामने उसके चेहरे पर जो दर्द था—
वह मुझे रात भर सोने नहीं दिया।

मेरी चुप्पी ने उसे तोड़ दिया था।
और पहली बार मुझे एहसास हुआ कि
मैंने शिव को जितना हल्के में लिया,
वह उतना ही गहराई से मुझे चाहता था।


🌸 शिव ने खुद को मुझसे दूर करना शुरू कर दिया

पहले वह सुबह उठकर मैसेज करता था।
अब उसका “गुड मॉर्निंग” कई-कई दिन तक नहीं आता।

पहले वह कॉल करके पूछता था—
“पूजा, कॉलेज कैसे गया?”
अब वह खुद को ‘व्यस्त’ बता देता।

पहले वह हर बात में मेरे आसपास रहता था,
अब वह मुझसे दूर भागने लगा।

और इस दूरी ने मुझे बेचैन कर दिया।

मैं उसे कॉल करती—
वह कहता, “मैं ठीक हूँ।”
पर उसकी आवाज़ बता देती थी
कि वह बिलकुल ठीक नहीं है।


🥀 मुझे पहली बार महसूस हुआ — मैं उससे प्यार करती हूँ

उसकी कमी मेरे दिन को अधूरा कर देती।
उसकी उदासी मेरी नींद उड़ा देती।
उसकी चुप्पी मेरे दिल को चुभती।

और एक रात,
आँसू पलकों से निकल पड़े।

मैंने खुद को आईने में देखकर कहा—
“पूजा, तू उससे सिर्फ पसंद नहीं करती…
तू उससे प्यार करती है।”

यह एहसास बहुत देर से आया,
लेकिन आया दिल की गहराई से।


🌧️ शिव का बदलना मुझे और तोड़ रहा था

वो लड़का जो बचपन से मेरी परवाह करता था,
अब मेरी आँखों में देखकर भी नजरें चुरा लेता।
मेरे सामने भी मज़बूत बनकर खड़ा रहता,
पर दूर जाकर टूट जाता।

एक दिन उसकी माँ ने मुझे बताया—
“पूजा, शिव इन दिनों बहुत चुप रहता है…
ऐसा लगता है वो खुद से भी लड़ रहा है।”

शायद वह मुझे भूलना चाहता था,
या शायद वह मुझे परेशान नहीं करना चाहता था।

पर जो भी हो…
उसका दूर जाना
मुझे अंदर तक हिला रहा था।


📱 वो मैसेज जिसने मुझे रुला दिया

एक रात 12:30 बजे उसका मैसेज आया—
“पूजा, मैं कोशिश कर रहा हूँ तुझसे दूर रहने की…
क्योंकि तू कुछ नहीं कहती।
शायद मैं तेरी जिंदगी में जगह बनाने के काबिल नहीं…”

उस मैसेज ने मेरे दिल को जकड़ लिया।
मैं रो पड़ी।

मुझे लगा—अगर आज मैंने कुछ न कहा
तो शायद मैं उसे हमेशा के लिए खो दूँ।


🏃‍♀️ मैं उसी रात उसके घर पहुँच गई

बारिश हो रही थी।
मैं बिना छतरी, बिना सोचे भागती हुई शिव के घर गई।
दिल जोर-जोर से धड़क रहा था।

उसकी माँ ने दरवाज़ा खोला।
मैं भीगी हुई खड़ी थी।
उन्होंने कहा—
“पूजा? इस समय? सब ठीक है?”

मैं बोली—
“आंटी, शिव कहाँ है?”

वह बोले— “छत पर है।”

मैं बिना कुछ सुने ऊपर दौड़ी।


💔 छत पर जो देखा, उसने मुझे तोड़ दिया

शिव अकेला खड़ा था,
बारिश में भीगता हुआ,
आँखें लाल…
चेहरा थका हुआ…
जैसे वह खुद से हार चुका हो।

मैंने पीछे से पुकारा—
“शिव…”

वह मुड़ा।
मुझे देखकर हैरान।

“पूजा? तू यहाँ? इस हालत में?”

मैंने उसकी आँखों में देखा और कहा—
“शिव… तू क्यों दूर जा रहा है?”

उसने धीरे से कहा—
“क्योंकि तूने कभी मुझे रोका ही नहीं…
मैंने सोचा… शायद तू मुझे बस दोस्त मानती है।”

उसकी आवाज़ टूटी हुई थी।


🌺 मेरी ज़िंदगी का पहला सच्चा इज़हार

मुझे अब और चुप रहना नहीं था।
न डरना था,
न सोचने का समय था।
आज सिर्फ सच बोलना था।

मैं रोते हुए आगे बढ़ी,
उसका हाथ पकड़ा और कहा—

“शिव, मैं तुझसे प्यार करती हूँ।
बहुत… जितना तूने कभी सोचा भी नहीं होगा।
मैं बस समझने में देर कर गई।”

वह कुछ पल मुझे देखता रहा—
जैसे यकीन ही ना हो रहा हो।

मैंने फिर कहा—
“तू मुझे कभी खो नहीं सकता…
क्योंकि मैं खुद को तुझसे दूर कर ही नहीं सकती।”

उसकी आँखों से आँसू निकल आए।
उसने मेरे हाथों को कसकर पकड़ा और कहा—

“पूजा… मैं सिर्फ इसी पल का इंतज़ार कर रहा था।”

और पहली बार,
हम दोनों ने
स्‍वीकार किया कि
हम एक-दूसरे के लिए ही बने हैं।

उस रात छत पर
जहाँ शिव बारिश में अकेला खड़ा था
और जहाँ मैंने पहली बार
उससे अपने दिल की बात कही—
वहीं से हमारी कहानी ने
एक नया मोड़ लिया।

अब हम दोनों जानते थे
कि यह सिर्फ बचपन की दोस्ती नहीं थी…
यह वो रिश्ता था
जिसे हम दोनों दिल से निभाना चाहते थे।


🌸 हमारा रिश्ता पहले से ज़्यादा खूबसूरत हो गया

इज़हार के बाद शिव जैसे बदल गया था।
अब उसकी आँखों में पहले वाला डर नहीं,
बल्कि भरोसा था—
एक सुकून कि
मैंने उसे सच में अपना मान लिया है।

🌼 वह हर दिन और ज़्यादा केयरिंग हो गया

  • मेरे कॉलेज के गेट के बाहर इंतज़ार

  • घर के बाहर रात को खड़ा होकर देखना कि मैं सुरक्षित अंदर जा रही हूँ

  • छोटी-छोटी चीज़ें लाकर कहना, “तेरा मन किया था न?”

  • और मेरे हर मूड को पढ़ लेना

कभी-कभी मैं उसे देखती और सोचती—
किसे मिलता है ऐसा प्यार?


🧡 हमारी पहली फॉर्मल डेट — बिना कहे सब कह देने वाली

एक शाम उसने कहा—
“पूजा, कल थोड़ा तैयार रहना… कहीं चलेंगे।”

अगले दिन हम एक शांत झील के पास गए।
वहाँ हवा, पानी की खुशबू,
और हमारे बीच की खामोशी—
सब कुछ इतना खूबसूरत था कि
मुझे लगा जैसे समय रुक गया है।

शिव धीरे से बोला—
“पूजा, मैं बचपन से तेरा हाथ पकड़े हुए हूँ,
लेकिन आज पहली बार पूछ रहा हूँ…
क्या तू मेरे साथ हमेशा चलेगी?”

वह प्रपोज तो नहीं कर रहा था,
पर उसके हर शब्द में
शादी की हल्की-सी आहट थी।

मैं मुस्कुरा कर बोली—
“मैं तो पहले से तेरे साथ ही हूँ, शिव।”

उसकी आँखें चमक उठीं।


🎀 पर असली सफ़र अभी शुरू हुआ था — परिवारों को बताना

हमारे परिवार एक-दूसरे को जानते थे,
पर उनसे यह कहना
कि हम दोनो शादी करना चाहते हैं…
यह आसान नहीं था।

शिव ने एक दिन मुझसे कहा—
“पूजा, मैं सबको बता देना चाहता हूँ।
छुप-छुपकर क्यों रहें?
मुझे तुझ पर पूरा यकीन है।”

उसकी यह बात सुनकर
दिल को अजीब-सी शांति मिली।


🏠 पहला कदम — शिव ने अपनी माँ को बताया

शिव की माँ ने उसे सुनकर मुस्कुरा दिया।
उन्होंने कहा—
“शिव, मुझे पता था…
तुम दोनों का रिश्ता सिर्फ दोस्ती का नहीं है।”

शिव हैरान रह गया।
उसकी माँ ने उसके सिर पर हाथ रखा और बोलीं—
“अगर पूजा खुश है
तो मुझे कोई आपत्ति नहीं।”

शिव की आँखें भर आईं।

उसने मुझे कॉल करके कहा—
“पूजा… माँ मान गई!”

मेरे चेहरे पर भी अनजाने आँसू थे—
खुशी के।


🕊️ अब मेरी बारी थी — अपने घर में बताने की

मेरे लिए यह बहुत बड़ा कदम था।
शिव मेरे लिए सब कुछ था,
पर अपने माता-पिता से बात करना
मुझे डराता था।

शाम को मैंने हिम्मत करके माँ को कहा—
“माँ, मुझे आपसे एक बात करनी है…”

वे बोलीं— “हाँ, बोल।”

मैं काँपती आवाज़ में बोली—
“माँ… मुझे शिव पसंद है।
हम दोनों बचपन से साथ हैं…
और हम एक-दूसरे से शादी करना चाहते हैं।”

कुछ सेकंड के लिए खामोशी।

फिर माँ ने धीरे से पूछा—
“पूजा, तू खुश है न?”

मेरी आँखें भर आईं।
“हाँ माँ… बहुत खुश हूँ।”

माँ ने मुझे गले लगा लिया।
“अगर तू खुश है
तो हम भी खुश हैं।”

मैंने पहली बार
अपनी माँ की गोद में रोते हुए
इतनी राहत महसूस की थी।


🔔 **अब दोनों परिवारों को पता था —

और हमारी कहानी आगे बढ़ने वाली थी।**

शिव ने अगले दिन मुझे कहा—
“पूजा… अगला कदम शादी है।
मैं तैयार हूँ जब तू तैयार हो।”

मैंने उसकी आंखों में देख कर कहा—
“मैं भी उसी दिन से तैयार हूँ
जिस दिन मैंने तुझसे प्यार किया था।”

उसने मेरा हाथ पकड़ा
और कुछ न कहते हुए
एक लंबे सुकून भरे पल में
मेरी पूरी दुनिया महसूस हो रही थी।

जब दोनों परिवार मान गए,
तो ऐसा लगा जैसे हमारे रास्ते में
अब कोई रुकावट ही नहीं बची।

हम दोनों ने बचपन से
एक-दूसरे को सिर्फ दोस्त की तरह देखा था…
फिर धीरे-धीरे वो दोस्ती
ज़िंदगी बन गई।

अब बारी थी उस रिश्ते को
नाम देने की—
शादी।


शादी की तैयारियाँ शुरू हुईं

मेरे घर में रोज़ हलचल रहती—
रिश्तेदार, कपड़े, मेहंदी, संगीत…
सबकी बातों में मेरा और शिव का नाम शामिल था।

मेरा कमरा दुपट्टों, ज्वेलरी, कार्ड्स और
मेरी मुस्कुराती तस्वीरों से भरा रहता।

शिव हर शाम मेरे घर के बाहर आकर पूछता—

“पूजा, थक तो नहीं जाती?
ज़रूरत हो तो बता देना, मैं कर दूँगा।”

मैं हँसती— “तेरी आदत है न सब करने की?”

वह धीरे से कहता—
“तेरे लिए तो ज़िंदगी भी कर दूँ, पूजा।”

उसके इस एक वाक्य से
दिल पूरा दिन मुस्कुराता रहता।


💌 मेहंदी की रात — शिव का सबसे सच्चा इज़हार

मेहंदी लगी हुई थी,
हाथों में उसका नाम चमक रहा था।
शाम को शिव मेरे घर आया।
दूर खड़ा बस मुस्कुरा रहा था—
जैसे मुझे देखकर
उसकी सारी दुनिया वहीं रुक गई हो।

मैं बोली—
“इतनी दूर क्यों खड़ा है?”

वह बोला—
“आज पहली बार मुझे डर लग रहा है पूजा…
तू इतनी खूबसूरत लग रही है
कि कहीं मैं सपना तो नहीं देख रहा।”

मैं हँसी, लेकिन उसके चेहरे पर
एक अलग-सी चमक थी।

फिर उसने आगे बढ़कर
मेरे हाथ देखे और बहुत धीरे से बोला—

“पूजा… तू जानती है
मैं तुझे कब से चाहता हूँ?”

मैंने उसकी आँखों में देखते हुए कहा—
“नहीं… कब से?”

उसने सांस रोककर कहा—

“मैं तुझे बचपन से प्यार करता हूँ।
जितनी मेरी उम्र है…
उतनी ही मेरी मोहब्बत है तुझसे।”

मेरी आँखें नम हो गईं।
इसने पहली बार इतने साफ़ शब्दों में कहा था।

मैंने पूछा—
“फिर तूने कभी बताया क्यों नहीं?”

उसका जवाब मुझे वहीं पिघला गया—

“क्योंकि पूजा…
मुझे डर था कि अगर मैंने कह दिया
और तूने ना कह दिया…
तो तू मुझसे दूर हो जाएगी।
और मैं तुझे खो नहीं सकता था।”

उस पल लगा—
शिव जैसा प्यार हर किसी को नहीं मिलता।


❤️ शादी का दिन — सबसे खूबसूरत सुबह

सुबह सूरज की रोशनी
मेरी खिड़की से ऐसे आई
जैसे किसी नई जिंदगी का स्वागत हो।

मेरे हाथों में मेहंदी,
चेहरे पर दुल्हन वाली चमक…
और दिल में बस शिव का नाम।

जब मैं शादी के मंडप में पहुँची,
शिव मुझे देखकर कुछ पल
बोल ही नहीं पाया।

उसने मुझे देखकर सिर्फ इतना कहा—

“पूजा… तू मेरी ज़िंदगी का
सबसे सुंदर फैसला है।”


🔥 फेरे — जिन्होंने हमें हमेशा के लिए जोड़ दिया

आग के सात फेरे लेते हुए
मुझे वह हर पल याद आ रहा था—
गली में खेलना,
स्कूल जाना,
उसकी देखभाल,
उसका डर,
उसका प्यार,
मेरा स्वीकार…

हर फेरा जैसे
हमारे बचपन से आज तक की कहानी दोहरा रहा था।

जब हम सातवाँ फेरा ले रहे थे,
शिव ने मेरे कान में धीरे से कहा—

“अब तू सिर्फ बचपन की नहीं…
मेरी पूरी ज़िंदगी की पूजा है।”

मेरे दिल ने उसी वक्त
उसे हमेशा के लिए अपना मान लिया।


🌺 हमारी शादी के बाद — मेरी दुनिया पूर्ण हो गई

शादी के बाद जब मैं उसकी घर की दहलीज़ पर पहुँची,
शिव ने मेरा हाथ पकड़कर कहा—

“पूजा, तू जहाँ है…
वही मेरा घर है।”

उस पल मुझे लगा—
जिंदगी ने मुझे वही दिया
जिसकी मैंने बिना मांगे
हमेशा से चाहत रखी थी।

अब हमारी सुबह साथ शुरू होती है,
रात साथ खत्म होती है।
वो अभी भी उतना ही ध्यान रखता है,
जितना बचपन में रखता था।

और मैं…
हर दिन भगवान का धन्यवाद करती हूँ
कि जिसने मुझे बचपन से चाहा,
अंत में उसी ने मुझे अपना बनाया।

शादी के बाद जिंदगी हर दिन जैसे
एक नई कहानी बनाती थी।
बचपन का साथी अब मेरा पति था—
मेरी सुबह की पहली मुस्कान
और रात का आखिरी सुकून।

लेकिन शादी के बाद मुझे
शिव के प्यार की असली गहराई पता चली…
वो बातें भी,
जो उसने सालों तक दिल में छुपा कर रखी थीं।


🌸 हमारी पहली सुबह — जो कभी भूल नहीं सकती

शादी की पहली सुबह
मैं नींद से जागी तो देखा
शिव रसोई में कुछ बना रहा था।

मैं हैरान—
“शिव, तू? सुबह-सुबह?”

वह मुस्कुराया—
“अरे, आज से तू मेरी पत्नी है।
पहली सुबह तेरे लिए कुछ खास बनाना था।”

उसने मेरे लिए चाय बनाई थी—
वैसी ही चाय
जैसी मुझे बचपन से पसंद थी।
कम मीठी, ज्यादा अदरक वाली।

मैंने पूछा—
“तुझे पता कैसे?”

वह बोला—
“पूजा, मैं तेरे बारे में वो भी जानता हूँ
जो तू खुद नहीं जानती।”

उसकी यह बात सुनकर
दिल भीग गया।


💛 शिव का ख्याल… हर छोटी चीज़ में

  • अगर मैं चुप रहती, वह बिना पूछे समझ जाता कि क्यों।

  • मैं थक जाती, तो बिना बोले पानी लेकर आ जाता।

  • रात को ठंडी हवा लग रही हो, तो कंबल ठीक कर देता।

  • मुझ पर गुस्सा आता भी तो दो मिनट में पिघल जाता।

एक दिन मैंने हँसकर कहा—
“शिव, तेरी कोई गलती नहीं होती क्या?”

वह बोला—
“होती है… जब तू नाराज़ होती है
तो मुझे अपनी सारी गलतियाँ याद आ जाती हैं।”

उसका यह प्यार मुझे
हर दिन और ज्यादा बाँधता चला गया।


🌧️ एक शाम मुझे वो डायरी मिली… जिसने सब बदल दिया

शादी के दो हफ्ते बाद
मैं अलमारी ठीक कर रही थी
तभी एक पुरानी, धूल भरी डायरी मुझे मिली।

उस पर लिखा था—
“पूजा के लिए नहीं… पूजा के बारे में।”

दिल धड़कने लगा।

मैंने डायरी खोली…
पहले पेज पर लिखा था—

“क्लास 5: आज पूजा रोई।
कोई उसे चिढ़ा रहा था।
मन कर रहा है उस लड़के को मार दूँ।”

मेरी आंखें भर आईं।

फिर…

“क्लास 8: आज उसे बारिश में भीगते देखा।
चलकर छतरी दी।
खुद भीग गया… पर उसे कुछ नहीं होने दिया।”

“क्लास 10: पूजा ने कहा,
वो बड़ी होकर किसी अच्छे लड़के से शादी करेगी।
दिल अंदर से टूट गया…
लेकिन मुस्कुरा दिया।”

पन्ने पलटते-पलटते
दिल काँपने लगा।

आखिरी पन्ने पर लिखा था—

“अगर भगवान मुझे एक चीज़ दे सकता
तो मैं बस इतना मांगूँगा—
पूजा को हमेशा सुरक्षित रख सकूँ।
चाहे वो मेरी बने या न बने…”

मैं रो पड़ी।
ये प्यार नहीं…
यह पूजा था जो उसने मुझे जीवनभर दिया।

इतने साल से वह सब महसूस कर रहा था
और मैंने कभी नहीं देखा।


🥺 शिव कमरे में आया और मुझे रोते देखा

वह घबरा गया—
“पूजा! क्या हुआ? तू ठीक है?”

मैंने डायरी उसकी तरफ बढ़ाई—
“शिव… यह क्या है?”

वह धीरे से बोला—
“ये वो बातें हैं
जो मैं कभी तुझसे कह नहीं पाया।”

मैंने आँसू रोकते हुए पूछा—
“तूने इतना कुछ अकेले कैसे झेला?”

वह मुस्कुराया—
“क्योंकि पूजा…
तुझे खो देना
मेरे लिए दुनिया खो देने जैसा था।
इसलिए जो दर्द था
वो मैंने खुद में रख लिया।”

मैंने उसे गले लगाते हुए कहा—
“शिव… तूने मुझे कितना चाहा…
मुझे पता ही नहीं था…”

उसने मेरी पीठ पर हाथ रखते हुए कहा—

“मुझे कोई शिकायत नहीं पूजा।
मेरा प्यार बस तुझे पाना नहीं था…
तुझे खुश देखना था।”

उस पल मैं खुद को
सबसे ज्यादा खुशकिस्मत महसूस कर रही थी।


🌼 शादी के बाद की जिंदगी — और भी खूबसूरत

हम अब पति-पत्नी थे
पर महसूस ऐसा होता था
जैसे दो दोस्त
नई कहानी शुरू कर रहे हों।

  • हम साथ में खाना बनाते

  • साथ फिल्म देखते

  • गली में पुराने दिनों की तरह टहलते

  • और हर रात सोने से पहले
    शिव धीरे से कहता—
    “अच्छा लगा आज भी तुझे अपने पास पाकर।”

और मैं हर बार मुस्कुराकर कहती—
“मैं जाने ही कब रही हूँ, शिव।”


❤️ **अब मुझे सबसे ज़्यादा समझ आया—

शिव को बचपन से प्यार था…
लेकिन मैंने उसे शादी के बाद सच में जाना।**

हमारी कहानी यहाँ खत्म नहीं होती—
यह तो अभी शुरू हुई है।

शादी के बाद के कुछ महीनों में
मेरी और शिव की जिंदगी
इतनी खूबसूरत और शांत थी कि
मुझे हमेशा लगता था—
क्या प्यार सच में इतना प्यारा हो सकता है?

पर असली जादू तो अभी बाकी था…


🌸 हमारी रोज़मर्रा की रोमांटिक लाइफ़

शिव मेरी जिंदगी का
सबसे प्यारा हिस्सा बन चुका था।
और उसके करीब रहने पर
मुझे लगता था कि दुनिया की सारी खुशियाँ
मुझे बिना मांगे मिल गई हैं।

🌼 हम दोनों की छोटी-छोटी आदतें जो हमारे प्यार को खास बनाती थीं:

  • मैं सुबह उठती तो शिव पहले से चाय बनाकर रखता

  • मैं रसोई में जाती तो वह पीछे-पीछे आकर झुककर कहता
    “तू काम करे, ऐसा दिल नहीं मानता… पर साथ खड़ा रहूँगा।”

  • मैं गुस्सा करती तो वह मेरी नाक खींचकर मुस्कुरा देता

  • रात को मेरी पसंद का गाना चलाकर अपने सीने पर सुलाता

वह मुझे ऐसे देखता था
जैसे मैं उसके लिए दुनिया की सबसे कीमती चीज़ हूँ।

और धीरे-धीरे
मैं उसके हर कदम पर
और गहराई से उससे जुड़ती चली गई।


🎁 शिव का पहला बड़ा सरप्राइज़ — जिसने मुझे रुला दिया

एक शाम शिव घर जल्दी आ गया।
उसके हाथ में एक छोटी-सी बॉक्स थी।
मैंने पूछा—
“ये क्या है?”

वह मुस्कुराया—
“तेरे लिए एक छोटा-सा तोहफा।”

मैंने बॉक्स खोला…
उसके अंदर एक नन्हा सा सिल्वर पेन्डेंट था।
दिल के आकार का।
जिसके पीछे बहुत छोटे अक्षरों में लिखा था—

“Since Childhood – Yours, Shiv”

मेरी आँखें नम हो गईं।
मैंने पूछा—
“तूने ये कब बनवाया?”

वह बोला—
“जब हम दसवीं में थे।
तब सोचा था एक दिन तुम्हें दूँगा…
अगर किस्मत ने साथ दिया।”

मैं हैरान रह गई।
इतने साल से उसने ये तोहफा संभालकर रखा था!

मैंने उसे गले लगाकर कहा—
“शिव, तूने इतने साल तक इसे क्यों संभाला?”

वह बोला—
“क्योंकि पूजा…
मुझे यकीन था एक दिन तू मेरी होगी।”

यह उसकी मोहब्बत का
सबसे खूबसूरत सबूत था।


⚡ **लेकिन सबसे बड़ा पल अभी बाकी था…

जब शिव ने मेरी जान बचाई।**

एक दिन शाम को
मैं बाजार से घर लौट रही थी।
सड़क पर बहुत भीड़ थी।
अचानक एक बाइक तेज़ी से मेरी तरफ आ गई।

मैं समझ भी नहीं पाई—
बस एक तेज़ खिंचाव महसूस हुआ।

मैं गिरने वाली थी
कि किसी ने मेरी कलाई पकड़कर
जोर से अपनी तरफ खींच लिया।

मैं सीधे शिव की बाँहों में आ गिरी।

भीड़ के बीच
वह खड़ा था—
पसीना, गुस्सा, डर
सब उसकी आँखों में साफ़ दिख रहा था।

वह चिल्लाया—
“पूजा! तुझे कुछ हो जाता तो…
मैं खुद को माफ नहीं करता!”

उसकी आवाज़ काँप रही थी।
उसने मुझे कसकर पकड़ा हुआ था
जैसे अगर छोड़ दिया
तो मैं कहीं खो जाऊँगी।

मैंने धीरे से कहा—
“शिव… मैं ठीक हूँ।”

वह बोला—
“नहीं पूजा…
तू मेरी ज़िंदगी है।
तुझे कुछ हो जाए
तो मैं जी नहीं पाऊँगा।”

उसके शब्दों ने मुझे
अंदर से हिला दिया।
इतना प्यार?
इतनी चिंता?
इतनी गहराई?

तभी मुझे महसूस हुआ—
शिव का प्यार सिर्फ एहसास नहीं,
उसकी सांस है।


🌺 उस रात उसने मेरा हाथ पकड़कर कहा—

“पूजा, मैं तेरा पति हूँ…
लेकिन उससे पहले
तेरा बचपन का शिव हूँ।
जिसे तुझे हर कीमत पर बचाना,
सहेजना और संभालना है।”

मैं उसकी आँखों में देख रही थी—
उन आँखों में कोई शक,
कोई डर,
कोई सवाल नहीं था…
सिर्फ प्यार था।
सिर्फ मेरा।
सिर्फ पूजा का।

मैंने उसके सीने पर सिर रखकर कहा—

“और मैं तेरी पूजा…
हमेशा से तेरी थी, शिव।
बस दुनिया को देर से पता चला।”

शादी को कुछ महीने हो चुके थे।
हमारी जिंदगी में प्यार, शांति और एक अनकही समझ इतनी गहरी हो चुकी थी
कि कभी-कभी लगता था—
क्या हर शादी इतनी खूबसूरत होती है?

शिव एक दिन घर आया और बोला—

“पूजा, बैग पैक कर। हम कहीं जा रहे हैं।”

मैं हैरान—
“कहाँ?”

वह मुस्कुराया—
“जगह सरप्राइज़ है… लेकिन साथ चलना जरूरी है।”

उसकी आँखों की चमक से पता चल रहा था,
कुछ बहुत खास होने वाला है।


🏔️ हमारी पहली ट्रिप — पहाड़ों की शांति और हमारे प्यार की गर्माहट

हम मनाली पहुँचे।
ठंडी हवा, पहाड़ों की खुशबू,
और शिव का हाथ मेरे हाथ में—
सब कुछ इतना जादुई था कि
जैसे दुनिया हमारी ही बनाई हुई हो।

शिव रास्ते भर बस मुझे देखता रहा।
मैंने पूछा—
“क्या देख रहा है?”

वह बोला—
“मैं सोच रहा हूँ कि
जिस लड़की को मैंने बचपन में गाल खींचकर चिढ़ाया था,
वो आज मेरी पत्नी है…
ये यकीन अभी भी नहीं होता।”

उसके शब्दों में इतना सच्चापन था
कि मुझे खुद से ज्यादा
उस पर भरोसा होने लगा।


🛶 झील वाला पल — जहाँ शिव ने अपना एक और बचपन का राज़ बताया

हम दोनों एक शांत झील के पास बैठे थे।
हवा ठंडी थी,
और सूरज पहाड़ों के पीछे छिप रहा था।

शिव धीरे-धीरे पानी में कंकड़ फेंक रहा था।
फिर अचानक बोला—

“पूजा… एक बात बताऊँ?”

मैंने कहा—
“हाँ, बोल।”

वह गहरी सांस लेकर बोला—

“तुझे याद है स्कूल का वो वार्षिक कार्यक्रम?”

मैं हँसी—
“हाँ, तू स्टेज पर चढ़कर गिर गया था!”

शिव शर्माते हुए बोला—
“हाँ, वो इसलिए गिरा था…
क्योंकि मैं तुझे ढूँढ रहा था।”

मैं चौंक गई—
“क्यों?”

वह धीमे से बोला—

“क्योंकि उस दिन मैं तुझे फूल देना चाहता था…
पर तू कहीं दिखी ही नहीं।
और जब तू दर्शकों में बैठी मिली,
तुझे देखते-देखते स्टेज देखना भूल गया।”

मैं ठहाके लगाकर हँस पड़ी।
पर उसकी आँखों में जो मासूमियत थी
वह मुझे पिघला गई।

फिर उसने धीरे से कहा—

“पूजा… तुझे पता है?
मैंने बचपन में तेरे लिए दो बार रिजेक्ट होने का डर झेला है।”

मैं चौंक गई—
“कब?”

शिव मुस्कुराया—

“एक बार जब तूने कहा था कि
तू बड़े होकर किसी हीरो जैसी शख्सियत से शादी करेगी…
और दूसरी बार जब तूने पहली बार किसी और लड़के की कहानी सुनाई थी।
तब मुझे लगा था कि मैं तेरे लायक नहीं हूँ…”

उसकी आवाज़ धीमी हो गई—

“…पर फिर भी, मेरा दिल कभी तुझसे दूर नहीं हुआ।”

मैं उसके पास जाकर बैठ गई और धीरे से उसका हाथ थाम लिया।


💞 **उस रात— जब मुझे सच में एहसास हुआ कि

शिव मुझे सिर्फ प्यार नहीं करता…
वह पूजता है।**

अपने होटल के कमरे की बालकनी में
हम दोनों सर्द रात में बैठे थे।
चाँद की रोशनी थी,
हवा की ठंडक थी,
और शिव की गर्म हथेलियाँ मेरे हाथों पर।

वह अचानक बोला—

“पूजा, मेरी एक आदत है…”

मैंने पूछा—
“कौन सी?”

उसने मेरी उंगलियों को अपने हाथों में लेकर कहा—

“मैं रोज़ सोते समय
तेरा चेहरा देखता हूँ।
क्योंकि मुझे डर लगता है कि
कहीं कल सुबह उठकर
ये सब सपना न निकले।”

मेरे दिल में कुछ टूटकर गिरा…
और उसी पल
कुछ बेहद खूबसूरत बनकर जुड़ गया।

मैंने उससे पूछा—
“शिव, तू इतना क्यों प्यार करता है?”

उसका जवाब
मेरी जिंदगी का सबसे खूबसूरत वाक्य था—

“क्योंकि पूजा…
तू मेरी नहीं होती
तो मैं पूरा जीवन अधूरा रह जाता।”

उस दिन पहली बार
मैंने उसकी आँखों में वह गहराई देखी
जो प्यार से आगे की होती है—
इबादत।
पूजा।
समर्पण।

और मुझे लगा—
सच में, शिव मुझे सिर्फ प्यार नहीं करता…
वह मुझे पूजता है।

मनाली की ठंडी रातें
और शिव का साथ—
यह संयोजन ऐसा था
जैसे मेरी ज़िंदगी किसी खूबसूरत फिल्म में बदल गई हो।

पर इस फिल्म का
सबसे भावुक, सबसे सच्चा और
सबसे दिल छू लेने वाला दृश्य
अब आने वाला था…


वह रात जब पहाड़ भी हमारे प्यार के गवाह बने

उस रात आकाश में बादल थे
पर बीच-बीच में तारे झिलमिला रहे थे।
शिव ने कहा—

“पूजा… चल, एक जगह दिखाता हूँ।”

हम दोनों होटल से ऊपर पहाड़ी रास्ते पर चले।
वहाँ एक छोटी-सी लकड़ी की झोपड़ी के पीछे
खुला मैदान था।
शांति… इतनी कि
सिर्फ हमारी धड़कनों की आवाज़ आती थी।

शिव ने अपना जैकेट उतारकर मेरे कंधों पर रख दिया।
फिर मेरे सामने खड़ा होकर बोला—

“पूजा, यहां लेकर आने का एक कारण है…”

मैंने पूछा—
“क्या?”

उसकी आँखें अचानक नम हो गईं।


🌧️ शिव का सबसे बड़ा बचपन का सच — जिसे उसने सालों तक छुपाया था

शिव ने गहरी सांस ली
और बहुत धीमी आवाज़ में बोला—

“पूजा… एक बार मैं तुझे खोते-खोते बचा था।”

मैं चौक गई—
“क्या? कब?”

उसने धीरे-धीरे बताना शुरू किया—

“हम दोनों शायद 7–8 साल के थे।
एक दिन तू पूजा (मंदिर) से लौट रही थी
और सड़क पार कर रही थी…
तब एक तेज़ गाड़ी आई थी।
तू सामने चल रही थी और
मैं पीछे-पीछे।”

मैं चौंककर बोली—
“मुझे तो कुछ याद नहीं!”

वह बोला—

“क्योंकि तू बेहोश हो गई थी।”

मेरी साँस अटक गई।
शिव रुका नहीं—

“मैंने तुझे धक्का देकर बचा लिया था
और खुद गिर गया था।
मेरे पैर में जो वो बचपन का गहरा निशान है…
वो उसी दिन का है।”

मैं पूरी तरह सुन्न हो गई।

“तूने कभी बताया क्यों नहीं?”

वह मुस्कुराया… आँखें भीगी थीं—

“क्योंकि पूजा…
अगर बता देता कि मैंने तुझे बचाया
तो लोग कहते कि मैंने तुझ पर एहसान किया है।
और मैं तुझ पर कभी कोई एहसान नहीं चाहता था…
मैं सिर्फ तुझे चाहता था।”

मेरे अंदर जैसे कुछ टूटकर रो पड़ा।
शिव ने मुझे बचपन में भी बचाया था…
और आज भी मेरी दुनिया बना रहा था।


💔 **मैं रो पड़ी… और शिव ने पहली बार मुझे ऐसे गले लगाया जैसे…

जैसे उसके लिए मैं सांस से भी ज्यादा जरूरी हूँ।**

मैंने trembling आवाज़ में पूछा—

“शिव… तूने अपने पैर का वो निशान कभी मुझे क्यों नहीं बताया?”

वह बोला—

“क्योंकि पूजा…
अगर तूने दया में मुझसे प्यार किया होता
तो मुझे खुद से नफरत हो जाती।
मेरा प्यार बेइज्जत लगने लगता।”

उसकी बात पत्थर की तरह दिल में उतर गई।

मैंने उसका चेहरा पकड़कर कहा—

“शिव… अगर तू उस दिन मुझे बचाता नहीं
तो शायद मैं आज यहाँ ही नहीं होती।
और अगर तू मेरी जिंदगी में नहीं होता
तो शायद मैं अधूरी रह जाती।”

शिव की आँखें भर आईं।

“पूजा… तू मेरी कमजोरी नहीं,
मेरी ताकत है।”


फिर आया वह पल… जिसे मैं जिंदगीभर याद रखूँगी

शिव मेरे सामने घुटने पर बैठ गया।
हाथ मेरे हाथ में लेकर बोला—

“पूजा…
अगर अगले जन्म भी मिला,
तो फिर से मुझे ही चुनना।
मैं हर जन्म में
तुझे ऐसे ही बचाऊँगा,
ऐसे ही चाहूँगा,
ऐसे ही पूजूँगा।”

मेरी आँखों से आँसू बहने लगे…
लेकिन वो दुख के नहीं,
पूरी दुनिया की ख़ुशी के आँसू थे।

मैंने उसे उठाकर अपनी बाँहों में भर लिया
और कहा—

“शिव… मैंने सिर्फ इस जन्म में नहीं,
हर जन्म में तुझे ही चुना है।
बस मुझे पता नहीं था
कि तू मुझे बचपन से ही इतने हक़ से अपना मानता था।”

हम दोनों उस रात
उन पहाड़ों, उन तारों,
और उस हवा के बीच
एक-दूसरे में खो गए।

वह रात…
हमारे प्यार की सबसे खूबसूरत रात थी।


❤️ **उस पल समझ आया—

शिव सिर्फ मुझे चाहता नहीं…
वह मुझे पूजता है।
और मैं…
मैं उसके प्यार की सबसे बड़ी ख़ुशकिस्मत हूँ।**

ट्रिप से लौटने के बाद
हमारी जिंदगी में एक और खूबसूरत अध्याय शुरू हुआ।
बाहर की दुनिया भले ही वही थी,
लेकिन हमारे बीच का रिश्ता
पहाड़ों जितना सुदृढ़,
और आकाश जितना गहरा हो चुका था।

शिव के साथ रहते-रहते
अब मैं समझने लगी थी कि
प्यार सिर्फ “मैं तुझे याद करूँ” वाला एहसास नहीं है…
प्यार वह होता है
जहाँ सामने वाला
आपके चेहरे की परछाई देखकर
आपका मन पढ़ ले।

और शिव…
वह तो मेरी धड़कनें भी पढ़ लेता था।


हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी — छोटी-छोटी बातें, बड़े एहसास

शादियों में कहा जाता है
कि वक्त के साथ प्यार कम हो जाता है।

लेकिन हमारे बीच
हर दिन प्यार बढ़ता ही जा रहा था।

💛 कुछ पल जो मेरे दिल में हमेशा रहेंगे:

  • सुबह उठकर शिव का मेरे माथे पर चुम्बन देना

  • नाश्ता मैं बनाती पर टोस्ट वही सबसे पहले मेरे प्लेट में रखता

  • मैं काम में थक जाऊँ तो मेरे कंधे दबा देना

  • रात को सोने से पहले मेरे बाल सहलाना

  • और हमेशा यह कहना—
    “पूजा, तू मेरे साथ हो… यही मेरी खुशकिस्मती है।”

कभी-कभी मैं सोचती…
क्या सच में किसी को इतना खूबसूरत प्यार मिलता है?


🌧️ फिर एक दिन शिव का सबसे मासूम बचपन का सच सामने आया

शिव अपने ऑफिस के लिए जल्दी गया था।
मैं अलमारी साफ कर रही थी
तभी कपड़ों के बीच मुझे
एक और पुरानी डायरी मिली।

मैंने सोचा यह भी किसी सामान्य नोट जैसी होगी,
लेकिन जैसे ही खोली…
मेरा दिल धड़कना भूल गया।

पहले ही पन्ने पर लिखा था—

“उम्र 6 साल
आज पूजा पहली बार मेरे घर आई।
मैंने उसके लिए अपनी चॉकलेट छुपा दी
ताकि वह रोए नहीं।”

मैं मुस्कुराई…
लेकिन अगले पन्ने ने मुझे रुला दिया—

“उम्र 9 साल
पूजा को बुखार आया था।
मैंने भगवान से कहा—
मेरा बुखार ले लो, उसे ठीक कर दो।
और अगले दिन मुझे तेज़ बुखार आया।”

मैंने हाथ मुंह पर रख लिया…
मैं सच में रो पड़ी।

एक और जगह लिखा था—

“उम्र 12 साल
पूजा ने कहा वो बड़ी होकर
किसी हैंडसम लड़के से शादी करेगी।
मैंने घर जाकर शीशे में खुद को देखा…
मैं रो रहा था।”

और आखिरी में—

“अगर दुनिया पूछे कि
मेरा पहला प्यार कौन है…
तो मैं कहूँगा—
मैं बचपन से पूजा को ही चाहता हूँ।”

मेरे हाथ काँप रहे थे।

शिव ने बचपन से
हर एहसास, हर डर, हर खुशी
मेरे लिए ही महसूस की थी…
और मैं अनजान थी।


💔 शिव घर लौटा और मुझे रोता देखा

वह भागा हुआ आया—
“पूजा! क्या हुआ? कोई बात हुई?”

मैंने डायरी उसकी तरफ बढ़ाई।
शिव की आँखें फैल गईं।

मैंने आँसू पोंछते हुए पूछा—

“शिव… तूने इतनी छोटी उम्र से
मुझसे इतना प्यार कैसे किया?”

वह धीरे से मुस्कुराया।
मेरी ठुड्डी उठाते हुए बोला—

“पूजा… तू पूछ रही है कि
मैंने तुझसे प्यार क्यों किया?”

मैं चुप रही।

वह बोला—

“मैं पूछूँ—
तुझे सांस लेने की वजह पता है क्या?”

मेरी आँखें नम थीं— “नहीं…”

वह बोला—

“जैसे सांस लेना ज़िंदगी है…
वैसे तू मेरी पूजा है।”

मैं वहीं टूटकर उससे लिपट गई।

उसके शब्द
मेरी आत्मा तक उतर गए।


✨ **फिर वो पल आया जब मुझे लगा—

मैंने सच में सही इंसान चुना है**

अगले दिन मैं थोड़ी बीमार थी।
हल्का बुखार था।

पर शिव ऐसा घबरा गया
जैसे किसी ने उसकी दुनिया छीन ली हो।

  • बार-बार पानी देना

  • दवा अपने हाथ से खिलाना

  • माथे पर ठंडी पट्टी लगाना

  • और हर पाँच मिनट में पूछना—
    “पूजा, अब कैसी हो?”

जब मैं सो गई
तो उसने मेरे बालों में हाथ फेरते हुए कहा—

“अगर तुझे एक भी दर्द होता है
तो मुझे लगता है
भगवान मेरी परीक्षा ले रहे हैं।”

मैंने आँखें खोलकर देखा…
उसकी आँखों में नींद नहीं थी,
सिर्फ चिंता थी,
सिर्फ प्यार था।

तभी मुझे पूरा यकीन हुआ—

मैंने सिर्फ पति नहीं चुना,
मैंने अपने जीवन का
सबसे सही इंसान चुना है।


❤️ **शिव सच में सिर्फ मुझे चाहता नहीं…

वह मुझे दिल से पूजता है।
और मैं—
उसकी पूजा बनकर खुश हूँ।**

शादी को कई महीने हो चुके थे।
हम दोनों की दुनिया अब पूरी तरह बस चुकी थी—
छोटी-छोटी हँसी,
हमारी नोंक–झोंक,
और रात को एक-दूसरे का हाथ पकड़े सो जाना।

पर इस शांत रिश्ते में भी
शिव का प्यार हर दिन
एक नए रूप में सामने आता था…
कभी मासूम,
कभी गहरा,
कभी इतना कि मैं खुद को संभाल न पाऊँ।


हमारी शामें—जहाँ प्यार दुनिया से ज़्यादा ज़िंदा था

शाम को हम अक्सर छत पर बैठते।
शिव मेरा सिर अपनी गोद में रखता
और मेरे बालों को सहलाते हुए
धीरे-धीरे बात करता।

एक दिन उसने मुझे देखते हुए कहा—

“पूजा, तूने किसी जिंदगी को
इतना खूबसूरत बनाया है…
तुझे पता भी नहीं।”

मैंने उसकी उंगलियों को पकड़कर कहा—
“और तूने मुझे बचपन से प्यार करके
मुझे सारे डर भुला दिए।”

उसने मेरे माथे पर चुम्बन दिया—
“मैं हमेशा तेरे साथ हूँ… हर सांस तक।”

शिव ये बात ऐसे कहता था
जैसे उसकी रूह सच में मेरी रूह से बंधी हो।


🌧️ फिर एक दिन शिव का छुपा हुआ बचपन का डर सामने आया

एक रात मुझे तेज़ सिरदर्द था।
मैं लेटी हुई थी,
शिव मेरे पास बैठा
मेरे सिर की मालिश कर रहा था।

मैंने कहा—
“शिव, थोड़ा आराम कर ले… मैं ठीक हूँ।”

वह अचानक चुप हो गया।
उसकी उंगलियाँ काँपीं।

मैं उठकर बैठ गई—
“क्या हुआ?”

उसने बड़ी धीमी आवाज़ में कहा—

“पूजा… मुझे बीमारी से बहुत डर लगता है।”

मैं हैरान— “क्यों?”

उसने गहरी साँस ली—

“क्योंकि बचपन में…
मैंने किसी अपने को खोते देखा था।
और हर बार जब तू थोड़ा भी बीमार पड़ती है
तो मुझे लगता है कहीं… कहीं मैं तुझे खो न दूँ।”

उसकी आँखें नम हो गईं।

मैंने पूछा— “कौन?”

वह धीमे से बोला—

“मेरी नानी…
मैं 7 साल का था।
वो बीमार हुईं…
और एक रात अचानक चली गईं।
मैं तब से किसी बीमारी के नाम से डर जाता हूँ।”

मेरी आँखें भर आईं।

फिर उसने कुछ ऐसा कहा
जिसने मुझे तोड़कर भी जोड़ दिया—

“मैं किसी और को नहीं खोना चाहता।
मैं तुझे नहीं खो सकता, पूजा।”

मैंने उसका चेहरा पकड़कर
उसके आँसू पोंछे और कहा—

“शिव… मैं कहीं नहीं जाने वाली।
तूने बचपन से मेरा हाथ नहीं छोड़ा…
अब मैं कैसे छोड़ दूँ?”

शिव ने मुझे कसकर अपनी बाँहों में भर लिया—
सारी दुनिया से ज्यादा मजबूती से।


💞 एक खास दिन—जिसने मेरी आत्मा तक छू ली

मेरे जन्मदिन से एक दिन पहले
शिव सुबह-सुबह कहीं चला गया।
मैंने पूछा तो बोला—
“सरप्राइज़ है।”

शाम को उसने मुझे आँखों पर पट्टी बाँधी
और बाइक पर बिठाया।

जब पट्टी हटाई—
मैं दंग रह गई।

हम दोनों हमारे बचपन वाली गली में खड़े थे।
वही पुराना पेड़,
वही दुकान,
वही रास्ता…

शिव ने कहा—

“यहीं से सब शुरू हुआ था…
आज मैं फिर से शुरुआत करना चाहता हूँ।”

मैंने पूछा—
“क्यों?”

उसने मेरा हाथ थामा—

“क्योंकि मैं चाहता हूँ
कि तू जाने कि बचपन से लेकर
आज तक
मेरे हर कदम में तू थी…
और मैं अपनी हर अगली सुबह
तेरे साथ शुरू करना चाहता हूँ।”

फिर वह मेरे सामने घुटने पर बैठ गया
(पति होकर भी…!)
और बोला—

“पूजा, मैं हर दिन तुझसे
थोड़ा और प्यार करने का वादा करता हूँ.”

मेरा दिल उसी वक्त पिघल गया।
मैंने उसे गले से लगा लिया।

उस शाम मुझे समझ आया—
कि कुछ आदमी
प्यार नहीं करते,
पूजा करते हैं।

और मेरा शिव—
मेरी जिंदगी का सबसे खूबसूरत एहसास है।


❤️ **हमारी कहानी यहाँ खत्म नहीं होती…

हर दिन हम एक-दूसरे को
और ज्यादा प्यार करना सीख रहे हैं।**

उस दिन मैं ऑफिस से लौटते समय
अचानक सड़क पर गिर पड़ी।
चक्कर जैसा आया।
राहगीरों ने पानी दिया और मुझे संभाला।

मैंने शिव को कॉल किया—
पर आवाज़ इतनी कमजोर थी
कि मैं बस इतना ही बोल पाई—

“शिव… मुझे लगता है मैं गिर गई हूँ…”

फोन कट गया।

कुछ ही मिनटों में
शिव पागलों की तरह वहाँ पहुँचा।
बिना हेलमेट,
बिना चप्पल पहने,
सांस फूलती हुई।

लोगों ने कहा—
“भाईसाहब, आपकी पत्नी गिर गई थी—
हमने उठाया है।”

शिव ने मुझे गले लगाया
जैसे मैं कहीं खोने वाली हूँ।

उसने मेरा चेहरा पकड़कर कहा—

“पूजा! तुझे चोट लगी?
दर्द हो रहा है?
कहां लगी? बोल न!”

उसकी आँखें लाल थीं—
दर्द, डर और बेचैनी से भरी हुई।

मैंने कहा—
“शिव… मैं ठीक हूँ।”

पर वह टूट चुका था।
वह वहीं सड़क पर बैठ गया
और बोला—

“अगर तुझे कुछ हो जाता न…
तो मैं कैसे जीता, पूजा?”

मेरी आँखें भर आईं।
उसकी आवाज़ में इतनी सच्चाई,
इतनी मोहब्बत थी
कि मेरा दिल काँप गया।


🕊️ उस शाम शिव ने कुछ कहा— जिसे मैं कभी नहीं भूलूँगी

घर लौटकर
वह मेरे पास बैठ गया।
मेरे पैरों पर हाथ रखकर बोला—

“पूजा, तू समझती क्यों नहीं?
मैं तेरे बिना कुछ भी नहीं हूँ।”

मैंने उसका हाथ पकड़ा—
“शिव… मैं कहीं नहीं जा रही हूँ।”

वह मेरी आँखों में देखकर बोला—

“वादा कर…
तू मुझे कभी अकेला नहीं छोड़ेगी।”

मैंने उसकी हथेलियाँ अपने चेहरे से लगाकर कहा—

“शिव… मैं सिर्फ तेरी हूँ।
और मरते दम तक तेरी ही रहूँगी।”

उस पल शिव ने मेरे माथे पर
सबसे लंबा, सबसे प्यारा चुम्बन दिया।

उसकी आँखें बंद थीं
और वह बस इतना कह रहा था—

“मेरी पूजा…
मुझे पूरा कर देती है तू।”


❤️ **उस दिन मुझे एहसास हुआ—

शिव मेरा पति नहीं,
मेरी किस्मत है।**

कुछ लोग शादी से जीवन में आते हैं,
और कुछ…
जीवन देने आते हैं।

शिव मेरे लिए
दूसरा वाला व्यक्ति था।

वह मेरी कमजोरी नहीं—
मेरी ताकत बन चुका था।

शिव से शादी करके
मुझे हर दिन कोई न कोई
नई वजह मिलती थी उससे प्यार बढ़ाने की।
पर जो होने वाला था,
उसने मेरी जिंदगी की सबसे गहरी जगह को
प्यार से भर दिया…


शिव का अजीब-सा व्यवहार—कुछ होने वाला था

लगातार 4–5 दिन
शिव मुझे अलग ही तरीके से देखता था।

कभी-कभी मुस्कुराता,
कभी कुछ कहना चाहता,
पर रुक जाता।

मैं पूछती—
“क्या हुआ शिव? कुछ बात करनी है?”

वह मुस्कुरा देता—
“हूँ… सही समय आने दो।”

उसकी आँखों में एक रहस्य था
और मैं हर दिन बेचैन हो रही थी
कि आखिर वह करना क्या चाहता है।


🌄 एक सुबह—शिव ने मुझे जल्दी उठाया

वह बोला—

“पूजा, आज मेरी पत्नी नहीं…
मेरी बचपन वाली पूजा चलेगी।”

मैं हँस पड़ी—
“मतलब फिर से वही गाल खींचना, वही शरारतें?”

वह बोला—
“हाँ, सब कुछ।
आज का दिन सिर्फ हमारे बचपन और हमारी मोहब्बत का है।”

मुझे तो उसके इस अंदाज़ से ही
दिल भर आया।


🌿 **वह मुझे एक ऐसी जगह ले गया

जिसके बारे में मैं सोच भी नहीं सकती थी**

हम दोनों गाँव के बाहर
एक छोटे-से शांत खेत में पहुँचे।
पेड़ों के बीच में
एक प्यारा-सा लकड़ी का घर।

मैंने पूछा—
“शिव… यह जगह कौन-सी है?”

वह धीरे से बोला—

“पूजा… यह वो जमीन है
जो मैंने 19 साल की उम्र में खरीदी थी।”

मैं चौंक गई—
“क्यों?”

वह मेरी आँखों में देखकर बोला—

“क्योंकि मैंने सोचा था कि
अगर कभी तू मेरी बनी
तो मैं तुझे ऐसी जगह लाऊँगा
जहाँ सिर्फ हम दोनों की दुनिया हो।”

मेरी आँखें नम हो गईं।


💝 **फिर उसने वह तोहफा दिया

जो मेरी जिंदगी का सबसे बड़ा उपहार था**

वह मुझे उस छोटी लकड़ी की झोपड़ी में ले गया।
अंदर एक खाली कमरा था,
दीवार पर सिर्फ एक फ्रेम रखा था,
जो उल्टा रखा हुआ था।

उसने कहा—
“पूजा, यह तोहफा मैंने आज नहीं…
कई साल पहले बनवाया था।”

मैंने धीरे से उस फ्रेम को पलटा…

और जैसे ही देखा—
मेरी साँसें रुक गईं।

उस फ्रेम में
हम दोनों की बचपन से अब तक की
हर तस्वीर थी।

  • बचपन की स्कूल वाली तस्वीर

  • कॉलोनी में खेलते हुए

  • पहली बार शिव मुझे देखते हुए

  • कॉलेज के समय की

  • शादी की तस्वीर

  • और हमारे हाल के मुस्कुराते पलों की

और बीच में बड़े अक्षरों में लिखा था—

“My Life – पूजा”

मेरी आँखों से आँसू बह निकले।
मैंने काँपते हुए पूछा—

“शिव… तूने ये कब बनवाया?”

वह बोला—

“जब मैं 17 का था।
तब मैंने पहली बार तय किया था
कि एक दिन मैं तुझे अपनी जिंदगी का
सबसे खास हिस्सा बना दूँगा।”

मैं वहीं खड़े-खड़े रो पड़ी…
ऐसे आँसू जो किसी दर्द के नहीं,
बल्कि किसी पवित्र एहसास के थे।


🤲 **वो पल—जब मुझे लगा

कि शिव मेरे लिए भगवान की दुआ है**

शिव मेरे सामने आया,
मेरे आँसू पोंछे
और मेरी हथेलियाँ पकड़कर कहा—

“पूजा…
मैंने तुझे सिर्फ प्यार नहीं किया।
मैंने जिंदगी भर बस तुझे ही चाहा है।
और यह जगह…
ये सब कुछ…
सिर्फ इसलिए बनाया
क्योंकि मुझे विश्वास था
कि भगवान मुझे तू जरूर देगा।”

उस क्षण
मेरे दिल ने स्वीकार किया—

“यह प्यार इंसानी नहीं…
यह भगवान की मेहर है।”

उसने मुझे अपनी बाँहों में लिया
और बोला—

“तू मेरी दुनिया नहीं…
तू मेरी वजह है, पूजा।”

मैंने फुसफुसाकर कहा—

“शिव… मैं सच में तेरी किस्मत हूँ…
पर तू मेरी दुआ है।”

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