जिस लड़की से शादी का सपना देखा, उसी की शादी के कार्ड पर मेरा नाम गेस्ट में था | Sad Love Stories

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मेरा नाम अर्जुन है। और यह कहानी सिर्फ़ मेरे दिल टूटने की नहीं है, बल्कि उस विश्वास के टूटने की है, जिसे मैंने रिया के नाम पर अपनी पूरी ज़िंदगी का आधार बनाया था।

रिया और मैं कॉलेज के दिनों से प्यार में थे। हमारा रिश्ता इतना गहरा था कि हम एक-दूसरे की आँखों को देखकर ही दिल की बात जान लेते थे। रिया मेरी सबसे अच्छी दोस्त थी, मेरी प्रेरणा थी। मैंने अपने भविष्य की कोई योजना उसके बिना नहीं बनाई। मेरे बैंक के हर बचत खाते पर, मेरे हर छोटे-बड़े लक्ष्य पर—एक अनकहा नाम लिखा था: रिया।

हम अक्सर देर रात कॉफ़ी शॉप पर बैठते और अपनी शादी के सपने देखते थे। रिया हँसते हुए कहती थी, “हमारी शादी बहुत सादगी से होगी, अर्जुन। मैं बस तुम्हारी सफ़ेद शर्ट और एक साधारण-सी साड़ी पहनूँगी।” और मैं उसे देखता रहता था, यह सोचकर कि मैं दुनिया का सबसे ख़ुशक़िस्मत इंसान हूँ। मैंने उसे अपनी आख़िरी मंज़िल मान लिया था।

हमारे रिश्ते में कोई दिखावा नहीं था, सिर्फ़ अटूट, पवित्र विश्वास था।

लेकिन रिया का परिवार बहुत पारंपरिक और सामाजिक रुतबे को मानने वाला था। मुझे पता था कि उनके सामने जाने से पहले, मुझे ख़ुद को स्थापित करना होगा। मैं दिन-रात मेहनत कर रहा था, अपनी पहली बड़ी पदोन्नति (Promotion) का इंतज़ार कर रहा था, ताकि मैं आत्मविश्वास के साथ रिया के पिता के सामने खड़ा हो सकूँ।

फिर, सच्चाई सामने आई। जब रिया के पिता को हमारे रिश्ते की गहराई का पता चला, तो उन्होंने साफ़ इनकार कर दिया। उनका मानना था कि मैं ‘उनके स्तर’ का नहीं हूँ—न दौलत में, न नाम में।

रिया ने मेरे लिए बहुत लड़ाई की। उसने अपने पिता को समझाने की बहुत कोशिश की, लेकिन उसके पिता अपनी ज़िद पर अड़े रहे। उन्होंने रिया पर भावनात्मक दबाव डालना शुरू कर दिया, जो रिया को अंदर से तोड़ रहा था।

एक दिन, रिया ने मुझे फ़ोन किया। उसकी आवाज़ में दर्द नहीं था, बस एक अजीब-सी हार थी।

“अर्जुन,” उसने कहा, “मैं नहीं लड़ सकती। मेरे पापा की तबीयत… और उन्होंने मेरी शादी कहीं और तय कर दी है।”

मेरा दिल धड़कना भूल गया। मैं साँस नहीं ले पा रहा था। “क्या कह रही हो? तुमने मेरी तरफ़ से क्यों नहीं लड़ा? क्या हमारे सारे वादे झूठ थे?”

रिया ने बस इतना कहा, “मुझे माफ़ कर दो। मैं मजबूर हूँ।” और उसने फ़ोन काट दिया।

वह हमारा आख़िरी संवाद था। मेरे सारे सपने, मेरे सारे वादे, मेरे सारे लक्ष्य—एक पल में बिखर गए।

रिया का फ़ोन कटने के बाद, मेरी ज़िंदगी एक भयानक, अंतहीन ख़ामोशी में डूब गई। मैंने उसे मैसेज किए, कॉल किए, लेकिन उसका फ़ोन बंद था। मुझे पता चला कि उसके परिवार ने उसे पूरी तरह से दुनिया से काट दिया है और उसकी शादी किसी बड़े व्यापारी के बेटे से तेज़ी से आगे बढ़ रही है।

मैं हर रात रोता था, यह सोचते हुए कि मेरा प्यार इतना कमज़ोर कैसे पड़ गया कि वह दो महीनों में ही मिट गया।

एक शाम, मैं दफ़्तर से थका-हारा लौटा। मेरे मेज पर एक चमकदार, सुनहरा लिफ़ाफ़ा रखा था। मेरा दोस्त पास खड़ा था।

“अर्जुन, लगता है किसी ख़ास की शादी है! कितना शानदार कार्ड है,” उसने उत्सुकता से कहा।

मेरे हाथ काँपने लगे। मैं जानता था कि यह लिफ़ाफ़ा किसका है।

मैंने धीरे से लिफ़ाफ़ा खोला। अंदर एक बेहद महंगा, सुंदर शादी का कार्ड था। कार्ड पर रिया और उसके मंगेतर—आलोक—का नाम सुनहरे अक्षरों में लिखा था। मैंने आँखें बंद कर लीं। उस नाम को पढ़ते ही, मेरे दिल में जैसे किसी ने गरम लोहा डाल दिया हो।

यह मेरे सपनों की अंतिम शवयात्रा थी।

मैंने कार्ड को खोला, मेरे होंठ सूखे थे, और मेरी साँसें तेज़ हो रही थीं। मैंने विवाह समारोह के विवरण देखे, और फिर मेरी नज़र सबसे नीचे, छोटे अक्षरों में छपी मेहमानों की सूची पर पड़ी।

और वहाँ, मेरे नाम के आगे जो लिखा था, उसने मेरे दिल को सिर्फ़ तोड़ा नहीं, बल्कि मेरी पूरी पहचान को चूर-चूर कर दिया।

मेरा नाम लिखा था:

“श्री अर्जुन—आपका इस शुभ अवसर पर सादर आमंत्रण है।”

रिया ने मुझे अपना जीवनसाथी नहीं चुना था। उसने मुझे बाराती नहीं बनाया था। उसने मुझे एक अजनबी के तौर पर बुलाया था।

‘सादर आमंत्रण’

यह एक औपचारिकता थी, एक क्रूर इशारा था। रिया ने मुझे यह जता दिया था कि मैं अब उसके लिए कोई ज़रूरी व्यक्ति नहीं हूँ, बल्कि समाज के एक सदस्य की तरह हूँ, जिसे दूर से खड़े होकर उसकी ख़ुशी देखनी है।

यह जानकर, मेरा दिल सिर्फ़ ग़म से नहीं भरा। यह अपमान से भरा। मैंने जिसके साथ सात फेरे लेने का सपना देखा था, उसने मुझे उन फेरों में सिर्फ़ एक मेहमान बना दिया था।

मैं कार्ड को मुट्ठी में भींचकर वहीं बैठ गया। मेरा दोस्त मेरे पास आया। मैंने उसे कार्ड नहीं दिखाया। मेरे लिए यह सिर्फ़ एक कार्ड नहीं था—यह मेरे टूटते हुए विश्वास का अंतिम दस्तावेज़ था।

शादी का दिन आ गया। यह वह दिन था जिसका सपना मैंने रिया के साथ हज़ारों बार देखा था। लेकिन आज मैं दूल्हा नहीं था। मैं घर में अकेला बैठा था, मेरे हाथ में वह चमकदार शादी का कार्ड था।

मैं शादी में नहीं गया।

मैं जानता था कि मैं रिया को दुल्हन के लिबास में किसी और का हाथ थामते हुए नहीं देख सकता। मैं वहाँ जाकर उस ‘मेहमान’ की भूमिका नहीं निभा सकता था, जिसे दूर से खड़े होकर मुस्कुराने का दिखावा करना होता है, जबकि उसका दिल अंदर ही अंदर चीख़ रहा होता है।

मैंने उस दिन अपनी आँखें बंद कर लीं और अपने आपको याद दिलाया कि मैंने रिया से कितना टूटकर प्यार किया था। और फिर, मैंने उस दर्दनाक सच्चाई को स्वीकार किया: वह प्यार मेरे लिए सब कुछ था, पर उसके लिए वह एक ऐसा अध्याय था जिसे उसने मुस्कुराकर बंद कर दिया था।

उसने मुझे नफ़रत करने का भी मौक़ा नहीं दिया। उसने मुझे औपचारिक रूप से बुलाकर यह साफ़ कर दिया था कि मेरे दिल टूटने से उसे कोई फ़र्क नहीं पड़ता। उस कार्ड पर लिखा ‘सादर आमंत्रण’ मेरे लिए सबसे बड़ा अपमान था, जो मुझे हमेशा याद दिलाता रहेगा कि मैं उसके जीवन में कभी भी ज़रूरी व्यक्ति नहीं था, बस एक अतीत था।

आज कई महीने बीत चुके हैं। रिया अब अपने नए जीवन में व्यस्त है।

मैं अब भी अकेला हूँ, लेकिन मैंने जीना सीख लिया है। मैंने अपने टूटे हुए दिल के टुकड़ों को समेटा है और उन्हें फिर से जोड़ने की कोशिश कर रहा हूँ। मेरा दिल अभी भी धड़कता है, लेकिन अब वह उस दर्द के साथ धड़कता है, जो कभी ख़त्म नहीं होगा।

मुझे पता है कि रिया की शादी का वह कार्ड हमेशा मुझे याद दिलाएगा: मैंने अपनी पूरी दुनिया किसी ऐसे व्यक्ति पर न्योछावर कर दी थी, जिसने मुझे अपने सबसे बड़े ख़ुशी के समारोह में सिर्फ़ एक अजनबी का दर्ज़ा दिया।

मेरा प्यार अटूट था, लेकिन मेरा दर्जा हमेशा ‘मेहमान’ का ही रहा। और यही वह सबसे बड़ी कड़वाहट है जिसके साथ मैं अपनी बाक़ी ज़िंदगी जीने वाला हूँ।

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