मेरा नाम अपूर्व है। और मैं आपको अपनी ज़िंदगी के सबसे ख़ूबसूरत भ्रम और सबसे कड़वी हक़ीक़त की कहानी बताने जा रहा हूँ।
मैं हमेशा से थोड़ा अंतर्मुखी था, अपने विचारों और भावनाओं को ख़ुद तक ही रखता था। लेकिन मेरी ज़िंदगी में प्रीति का आना एक ऐसी घटना थी, जिसने मेरे एकाकीपन को तोड़ दिया। हम कॉलेज के एक प्रोजेक्ट के दौरान मिले थे और जल्द ही हमारी दोस्ती गहरी हो गई।
प्रीति बहुत ज़िंदादिल थी। वह लगातार बातें करती थी, हँसती थी और उसकी बातों में एक ऐसी सादगी थी, जो मेरे शांत स्वभाव को बहुत भाती थी। वह मुझे हर शाम कॉल करती थी, बिना किसी नागा के।
वह कॉल मेरे लिए सिर्फ़ ‘बातचीत’ नहीं थी। वह मेरे पूरे दिन का सबसे ख़ास पल होता था। मैं इंतज़ार करता था कि कब शाम होगी और उसके फ़ोन की घंटी बजेगी। वह मुझे बताती थी कि उसने आज क्या किया, किससे झगड़ा हुआ, और कल उसे क्या पहनना है। मैं चुपचाप सुनता था, और उसकी हर बात को अपने दिल के किसी कोने में सँजोकर रखता था।
धीरे-धीरे, मुझे एहसास हुआ कि यह सिर्फ़ दोस्ती नहीं है। मेरे दिल में उसके लिए एक ऐसी भावना पलने लगी थी, जिसे सिर्फ़ प्यार कहा जा सकता है। वह मेरे लिए महज़ एक दोस्त नहीं थी; वह मेरी खुशी की वजह थी, मेरी हर प्रार्थना का जवाब थी।
मैं जानता था कि वह मुझसे रोज़ बातें करती है, मेरी सलाह लेती है, मुझ पर भरोसा करती है। मैंने इस नज़दीकी को अपने प्यार की मौन स्वीकृति मान लिया था। मुझे लगता था कि इतनी देर तक, इतनी गहराई से, कोई सिर्फ़ ‘दोस्त’ से बातें नहीं करता।
मैं हिम्मत करके उसे बताना चाहता था, पर डरता था। मुझे डर था कि अगर मैंने अपनी भावनाओं को ज़ाहिर कर दिया, तो कहीं हमारी रोज़ की यह ख़ूबसूरत बातचीत बंद न हो जाए। इसलिए मैंने इंतज़ार करने का फ़ैसला किया। मैं रोज़ उसके फ़ोन कॉल का इंतज़ार करता, यह सोचते हुए कि एक दिन वह ख़ुद ही इस दोस्ती को प्यार में बदल देगी।
मैं ख़ुश था, अपने ही बुने हुए भ्रम में। मेरे लिए, वह हर शाम की बातचीत एक मौन प्रेम-पत्र थी, जिसे मैं रोज़ उसके होंठों से सुनता था।
मुझे यह बिल्कुल अंदाज़ा नहीं था कि जिस वक़्त वह मुझे अपनी दुनिया की बातें बता रही थी, उसकी दुनिया का केंद्र, उसका दिल, किसी और के लिए धड़क रहा था। और यह सच्चाई, जल्द ही मेरी दुनिया को हमेशा के लिए तोड़ देगी।
मैं इंतज़ार कर रहा था कि कब प्रीति मुझसे अपने प्यार का इज़हार करेगी, लेकिन नियति ने कुछ और ही लिख रखा था।
एक रात, प्रीति ने मुझे कॉल किया। उसकी आवाज़ में वह हल्की ख़ुशी नहीं थी, जो अक्सर होती थी। वह टूटी हुई थी।
“अपूर्व… मैं बहुत परेशान हूँ,” उसने मुश्किल से कहा।
मेरा दिल घबरा गया। मैंने तुरंत पूछा, “क्या हुआ? तुम ठीक हो? मुझे बताओ।”
प्रीति ने लंबी साँस ली और जो बताया, वह मेरे लिए बिजली के झटके से कम नहीं था।
उसने बताया कि वह किसी लड़के से प्यार करती है—उसका नाम विकास है। विकास कॉलेज में नया आया था और प्रीति उस पर पूरी तरह फ़िदा थी।
प्रीति रोते हुए बोली, “अपूर्व, मैं उसे बहुत चाहती हूँ, पर वह मुझे नोटिस ही नहीं करता। मैं क्या करूँ? वह मुझसे बात भी नहीं करता।”
उस रात, मेरे दिल पर चोट नहीं लगी, बल्कि मेरा दिल टूटकर चूर-चूर हो गया। जिस लड़की को मैंने अपनी पूरी दुनिया मान लिया था, वह मेरे कंधों पर सिर रखकर किसी और के लिए रो रही थी, किसी और की चाहत में दुखी थी।
मेरे अंदर एक तूफ़ान चल रहा था, लेकिन मैंने अपनी आवाज़ को स्थिर रखा, क्योंकि मैं उसका ‘सबसे अच्छा दोस्त’ था।
“प्रीति, तुम रोओ मत,” मैंने कहा, और यह कहते हुए मेरे होंठ काँप रहे थे। “मुझे बताओ, कैसा है वह? तुम उसे कैसे देखती हो?”
प्रीति ने अगले घंटों तक विकास के बारे में बात की। उसने बताया कि विकास कितना अच्छा दिखता है, वह कितना स्मार्ट है, और उसे देखकर वह कितनी नर्वस हो जाती है। उसने मुझसे पूछा कि उसे विकास के सामने कैसा दिखना चाहिए, क्या पहनना चाहिए, और उसे कैसे इंप्रेस करना चाहिए।
मैं चुपचाप सुनता रहा और सबसे कड़वा काम करता रहा—मैंने उसे टिप्स दीं। मैंने उसे समझाया कि लड़कों को क्या पसंद आता है, और उसे बताया कि वह कितनी ख़ूबसूरत है, और उसे बस थोड़ा आत्मविश्वास दिखाना चाहिए।
उसने मेरी हर बात को ध्यान से सुना। अंत में, उसने एक राहत की साँस ली।
“अपूर्व, तुम सच में मेरे बेस्ट फ्रेंड हो। तुम ही हो जो मुझे इस दुनिया में सबसे ज़्यादा समझते हो। तुम्हारी सलाह मेरे लिए बहुत मायने रखती है।”
उसने मुझे यह ‘कॉम्प्लीमेंट’ दिया, पर वह मेरे लिए किसी ज़हर से कम नहीं था। मुझे एहसास हुआ कि मैं उसकी इमोशनल डस्टबिन हूँ, जहाँ वह अपने प्यार की तकलीफ़ें फेंक देती है। वह रोज़ मुझसे बातें करती थी, लेकिन मेरा दिल, मेरी भावनाओं को उसने कभी नहीं देखा।
वह मुझसे अपने प्यार के बारे में बात करने के लिए कॉल करती थी, और मैं उस कॉल को अपने प्यार की उम्मीद मानकर सुनता था। यह जानकर कि उसका दिल किसी और के पास है, और वह मेरे भरोसे पर मुझसे रोज़ बात करती है, मेरे लिए सबसे बड़ा धोखा था—एक धोखा, जो मैंने अनजाने में ख़ुद को ही दिया था।
प्रीति की सलाह पर काम करने के बाद, उसके जीवन में विकास का दख़ल बढ़ गया। अब उसके कॉल का विषय बदल गया था। वह मुझे बताती थी कि विकास के साथ उसकी पहली मुलाक़ात कैसी रही, उसने क्या पहनकर उसे इंप्रेस किया, और कैसे उसकी सलाह ने काम किया।
मैं हर बात सुनता था, हर बार मुस्कुराने का दिखावा करता था। यह मेरे जीवन का सबसे कठिन अभिनय था—दिल में रोना और आवाज़ में हँसना।
मैं जानता था कि मैं एक पुल का काम कर रहा हूँ, जो प्रीति को उसके प्यार तक पहुँचा रहा था, और उस पुल का पार होते ही, मेरे अस्तित्व का कोई मतलब नहीं रह जाएगा।
एक शाम, मेरा इंतज़ार ख़त्म हुआ। प्रीति ने मुझे कॉल किया, और इस बार उसकी आवाज़ में ख़ुशी का एक सैलाब था।
“अपूर्व! तुम्हें पता है? यह तुम्हारी वजह से हुआ है! विकास ने मुझे आज प्रपोज़ कर दिया! हम अब ‘ऑफ़िशियल’ कपल हैं!”
उसने ख़ुशी से चीख़ते हुए कहा। मेरी आँखों में एक पल में आँसू आ गए, लेकिन मैंने उन्हें गले तक ही रोक लिया। मैंने अपने दिल के टूटने की आवाज़ को दबाते हुए, ज़ोरदार और ख़ुशमिज़ाज आवाज़ में कहा:
“ओह माय गॉड, प्रीति! यह तो बहुत-बहुत अच्छी ख़बर है! मुझे पता था कि तुम उसे पटा लोगी! अब तो पार्टी बनती है!”
प्रीति की ख़ुशी सच में देखने लायक थी। उसने मुझसे कहा कि वह विकास को बताएगी कि मैंने ही उसकी मदद की थी, और मैं उसका ‘लकी चार्म’ हूँ।
उस रात, फ़ोन काटने के बाद, मेरे अंदर का सारा बांध टूट गया। मैं रोया नहीं, मैंने बस अपने हाथ में अपना फ़ोन पकड़ा और घंटों छत की तरफ़ देखता रहा।
मैंने महसूस किया कि मैं हार गया हूँ—न सिर्फ़ प्यार में, बल्कि अपनी पहचान में भी। मेरा रोज़ का इंतज़ार, मेरी सारी भावनाएँ… सब कुछ बर्बाद हो गया था।
मैंने स्वीकार किया कि मेरा प्यार, मेरा रोज़ का साथ, प्रीति के लिए कभी प्यार नहीं था। वह मेरे पास आती थी, क्योंकि मैं सबसे भरोसेमंद ‘अजनबी’ था—जो उसकी हर बात सुनता था, उसे जज नहीं करता था, और उसे उसके प्यार तक पहुँचने में मदद करता था।
मैंने उसी रात तय किया कि मैं प्रीति से दूरी बना लूँगा। मैं उसका नंबर डिलीट नहीं किया, पर मैंने उसे कॉल करना बंद कर दिया। जब वह कॉल करती, तो मैं धीरे-धीरे बहाना बनाकर कॉल काट देता।
प्रीति ने शुरू में पूछा भी, “क्या हुआ? तुम आजकल बहुत व्यस्त रहते हो।”
मैंने कहा, “हाँ, काम ज़्यादा है।”
वह समझ गई, क्योंकि अब उसके पास विकास था, और उसे मेरे वक़्त की उतनी ज़रूरत नहीं थी।
आज, प्रीति अपनी ज़िंदगी में ख़ुश है। वह रोज़ अपनी तस्वीरें सोशल मीडिया पर डालती है, जिसमें विकास के हाथ में उसका हाथ होता है।
मैं आज भी अकेला हूँ। लेकिन मैं अब जानता हूँ कि उस रोज़ की बातचीत का मतलब क्या था:
“वह रोज़ मुझसे बातें करती थी, पर उसका दिल किसी और के पास था, और मैं बेख़बर होकर उस दिल की धड़कनों को सुनने की कोशिश करता रहा।”
यह मेरे मौन प्रेम और मौन विदाई की कहानी है।















