मेरा नाम ईशा है और मुझे आर्यन ने धोखा दिया | Sad Love Stories

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मेरा नाम ईशा है और मुझे आर्यन ने धोखा दिया | Sad Love Stories
मेरा नाम ईशा है और मुझे आर्यन ने धोखा दिया | Sad Love Stories

मेरा नाम ईशा है। जब मैं अपनी कहानी शुरू करती हूँ, तो मुझे लगता है जैसे मैं किसी बहुत पुरानी, बहुत ख़ूबसूरत डायरी का पहला पन्ना खोल रही हूँ।

मैं 20 साल की थी, एक साधारण-सी लड़की, जिसकी दुनिया उसकी किताबों, उसकी बालकनी के पौधों और उसकी कल्पनाओं तक सिमटी थी। मेरा जीवन शांत नदी की तरह था—साफ़, स्थिर, और बिना किसी हलचल के बहता हुआ। मैं कभी भी किसी बड़े रोमांच या तूफ़ान की तलाश में नहीं थी।

फिर मेरी मुलाक़ात आर्यन से हुई।

वह हमारे कॉलेज के ड्रामा क्लब की मीटिंग में आया था। मैं कोने में बैठी कुछ नोट्स बना रही थी। दरवाज़ा खुला और एक तेज़ रोशनी अंदर आई… नहीं, रोशनी नहीं, वह आर्यन था।

उसके चलने में एक आत्मविश्वास था, उसकी आँखों में एक शरारत भरी चमक थी जो कहती थी, “देखो! मैं यहाँ हूँ।” जब उसने बोलना शुरू किया, तो उसकी आवाज़ में एक अजीब-सी गर्मजोशी थी, जो सीधी मेरे दिल को छू गई।

वह एक नाटक का विचार बता रहा था। सब हँस रहे थे, पर मैंने देखा कि उसकी बातों में एक गहरी सच्चाई छिपी थी। जब उसने नज़र उठाकर मुझे देखा, तो मेरी साँस थम गई। मेरी नज़रें तुरंत नीचे झुक गईं। वह एक पल था, लेकिन उस एक पल में, मुझे लगा जैसे मेरे अंदर कुछ टूट गया और कुछ नया जुड़ गया।

अगले कुछ हफ़्तों में, आर्यन ने मुझे ढूँढ लिया। वह मेरे पीछे नहीं पड़ा, लेकिन उसने मेरी दुनिया में धीरे से जगह बनाई। वह मेरे शांत स्वभाव को मज़ाक में ‘शांत समंदर’ कहता था।

“शांत समंदर के नीचे हमेशा सबसे गहरे मोती छिपे होते हैं, ईशा,” वह हँसते हुए कहता था।

हमारा प्यार बातों से शुरू हुआ। घंटों-घंटों तक हम कैंटीन के कोने में, या शाम को पार्क की बेंच पर बैठे रहते। वह मुझे अपनी महत्वाकांक्षाएँ बताता—कि वह एक सफल लेखक बनना चाहता है, कि वह दुनिया घूमना चाहता है। मैं चुपचाप सुनती थी, और उसकी हर बात को अपने दिल में जगह देती जाती थी।

मुझे याद है, एक सर्द शाम को, आर्यन ने पहली बार मेरा हाथ थामा था। मेरा दिल इतनी ज़ोर से धड़का कि मुझे लगा कि वह सुन लेगा। उसने मेरी हथेलियों को अपने दोनों हाथों में लिया और बोला, “ईशा, तुम्हारी हथेली इतनी ठंडी क्यों है? क्या तुम… क्या तुम मुझसे डर रही हो?”

मैंने पहली बार अपनी नज़रें उठाकर उसकी आँखों में देखा। मैंने हिम्मत करके कहा, “नहीं, मैं डर नहीं रही हूँ। मैं बस… पहली बार किसी अपने को महसूस कर रही हूँ।”

उसने मुस्कुराकर, बहुत धीरे से, मेरे माथे पर अपना होंठ रखा। उस पल, मुझे लगा जैसे मैं सिर्फ़ ईशा नहीं रही। मैं आर्यन के लिए बनी ईशा बन गई।

उसने मेरी किताबों की दुनिया को हक़ीक़त का रंग दिया। अब हमारी हर मुलाक़ात एक नई कविता थी, हर शाम एक नया गाना। मैं अपने हर सपने में उसे देखती थी, हर योजना में उसे शामिल करती थी। मेरा भविष्य अब ‘मेरा’ नहीं रहा था, वह ‘हमारा’ हो गया था। मैंने सच में विश्वास करना शुरू कर दिया था कि कुछ रिश्ते स्वर्ग में तय होते हैं।

मैं पूरी तरह से उस पर विश्वास करने लगी थी। मेरा हर ख़याल, मेरी हर धड़कन, उसके नाम पर चलती थी। मुझे लगता था कि आर्यन के प्यार ने मुझे मुकम्मल कर दिया है।

यह वह समय था जब प्यार सिर्फ़ एक शब्द नहीं था; यह साँस लेने की प्रक्रिया था। और मुझे पता नहीं था कि यही प्यार, एक दिन, मेरी साँस छीन लेगा।

हमारा प्यार तीन साल तक सूरज की रोशनी की तरह सुनहरा रहा। इन तीन सालों में, आर्यन मेरी आदत, मेरी ज़रूरत और मेरी पहचान बन चुका था। मैंने अपने कमरे में एक छोटा-सा बक्सा रखा था, जिसमें हमारी पुरानी फ़ोटो, सिनेमा की टिकटें और उसके दिए हुए ख़त थे। मैं हर रात उसे देखती थी—ये महज़ चीज़ें नहीं थीं, ये हमारे अटूट बंधन के प्रमाण थे।

लेकिन, प्यार का मौसम हमेशा एक जैसा नहीं रहता।

आर्यन ने कॉलेज ख़त्म होने के बाद एक बड़ी मार्केटिंग फ़र्म में काम शुरू किया। उसका जीवन अचानक व्यस्त हो गया। शुरुआती हफ़्तों में, मैं समझती थी—नई नौकरी का दबाव होता है।

पर धीरे-धीरे, चीज़ें बदलने लगीं।

पहले वह हर रात फ़ोन करता था। फिर दो दिन में एक बार। फिर, मैं पहल करती, तो बात होती। जब मैं उससे मिलती, तो उसकी आँखों में वह पुरानी चमक नहीं थी। उसकी हँसी अब ज़ोरदार और बेफ़िक्र नहीं थी; वह एक थकी हुई मुस्कान में बदल गई थी।

एक शाम, वह मेरे घर आया। मैं उसके लिए उसका पसंदीदा केक बनाकर इंतज़ार कर रही थी। मैंने उसे हँसाने की बहुत कोशिश की, अपने कॉलेज के दिनों के मज़ाक सुनाए, लेकिन वह फ़ोन पर व्यस्त था।

“आर्यन,” मैंने धीरे से उसका हाथ पकड़ा। “तुम कब से इतना बदल गए? तुम अब वो नहीं रहे।”

उसने बिना फ़ोन देखे, खीझते हुए अपना हाथ वापस खींच लिया। “क्या है ईशा? तुम क्यों हर बात को इतना बढ़ा-चढ़ाकर देखती हो? मैं काम कर रहा हूँ। मेरे पास तुम्हारे बेतुके सवालों का जवाब देने का वक़्त नहीं है।”

उसकी बात सुनकर मेरे दिल में एक गहरी चोट लगी। ‘बेतुके सवाल’? मेरा प्यार उसके लिए ‘बेतुका’ हो गया था?

अगले कुछ हफ़्ते इसी तरह बीत गए। मैं रोज़ रात को बिस्तर पर रोती थी, उसकी पुरानी बातें याद करके। मैं ख़ुद से पूछती थी, “क्या मैंने कुछ ग़लत किया? क्या मेरा प्यार काफ़ी नहीं था?”

फिर वह रात आई, जिसने मेरी दुनिया को हमेशा के लिए अंधेरे में धकेल दिया।

हम उसी पुरानी पार्क बेंच पर बैठे थे, जहाँ हमने पहली बार एक-दूसरे का हाथ थामा था। मैंने अपना सारा साहस जुटाया और पूछा, “आर्यन, प्लीज़ सच बताओ। क्या तुम अब मुझसे प्यार नहीं करते?”

वह चुप रहा। उसकी चुप्पी मेरे लिए हज़ार शब्दों से ज़्यादा दर्दनाक थी।

फ़िर उसने बहुत ही ठंडी और अनजानी आवाज़ में कहा, “देखो ईशा, चीज़ें बदल गई हैं। मैं अब और कमिटमेंट (ज़िम्मेदारियाँ) नहीं चाहता। मुझे मेरा स्पेस चाहिए। मुझे लगता है… हमें यहीं रुक जाना चाहिए।”

‘रुक जाना चाहिए।’ यह सुनकर, मुझे लगा जैसे मेरे पैर के नीचे से ज़मीन खिसक गई हो। मेरे देखे हुए सारे सपने, मेरा सारा भविष्य, एक पल में रेत की तरह मुट्ठी से फिसल गया

“तुम… क्या कह रहे हो?” मेरी आवाज़ में कोई रोना नहीं था, बस एक खोखलापन था।

“मैं माफ़ी चाहता हूँ,” उसने कहा, अपनी नज़रों को ज़मीन पर गड़ाए हुए। “तुम एक अच्छी लड़की हो, और तुम्हें कोई ऐसा शख़्स मिलेगा जो तुम्हें ख़ुशी दे सके।”

उसने मुझे सांत्वना देने की कोशिश की, लेकिन उसके शब्द मेरे लिए ज़हर थे। वह मुझे ‘अच्छी लड़की’ कह रहा था, जैसे मैं कोई अवॉर्ड थी जिसे उसने अब अस्वीकार कर दिया हो।

मैं उस वक़्त एक शब्द भी नहीं कह पाई। मेरे अंदर एक तूफ़ान चल रहा था, लेकिन बाहर मैं पूरी तरह से जम गई थी। वह उठा, एक आख़िरी बार मेरी तरफ़ देखा (या शायद नहीं भी देखा), और चला गया।

जब उसकी पीठ दरवाज़े से बाहर निकली, तो मैंने अपने सीने पर हाथ रखा। मेरा दिल धड़क रहा था, बहुत ज़ोर से, लेकिन अब उसमें प्यार नहीं था। अब उसमें सिर्फ़ दर्द का कंपन था।

मैंने महसूस किया कि उसने सिर्फ़ मेरा साथ नहीं छोड़ा था; उसने मेरे अंदर की उस लड़की को मार दिया था, जिसने प्यार करना सीखा था। उसने मेरा विश्वास, मेरी उम्मीद, और मेरी पहचान छीन ली थी।

आर्यन के चले जाने के बाद, मेरी ज़िंदगी एक ऐसी किताब बन गई जिसके सारे पन्ने जला दिए गए हों। वह गया नहीं था; उसने मेरे अंदर की सारी रोशनी छीन ली थी।

शुरुआत के दिन भयानक थे। मैं एक ज़ोंबी की तरह जी रही थी। मैं खाती नहीं थी, सोती नहीं थी, और अगर सोती भी थी, तो हर बार उसके नाम की चीख़ के साथ उठती थी।

मेरा कमरा, जो कभी हमारी यादों का मंदिर था, अब एक यातना गृह बन गया था। दीवारों पर उसकी हँसी गूँजती थी। हर कोने में उसकी उपस्थिति थी। मैं महीनों तक उस छोटी सी जगह में क़ैद रही, जहाँ मैं दर्द से भाग नहीं सकती थी।

सबसे मुश्किल काम था ‘सामान्य’ होने का दिखावा करना।

जब कोई मुझसे पूछता, “कैसी हो?” तो मैं मुस्कुराकर कहती, “मैं ठीक हूँ।” लेकिन अंदर ही अंदर, मैं चिल्ला रही होती थी कि मैं टूट चुकी हूँ, कि मेरा दिल धड़कना भूल गया है। मैंने अपने दोस्तों से, अपने परिवार से दूरी बना ली।

अकेलापन मेरा सबसे अच्छा दोस्त बन गया।

मैं रोज़ आर्यन के फ़ोन या मैसेज का इंतज़ार करती थी। मैं सोचती थी कि शायद उसे अपनी गलती का एहसास होगा। वह अचानक दरवाज़े पर आकर कहेगा, “ईशा, मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकता।” यह उम्मीद, यह झूठी उम्मीद, मुझे हर सुबह बिस्तर से उठने की ताक़त देती थी।

पर वह कभी नहीं आया।

एक रात, मैं अपने कमरे में बैठी थी। मैंने अचानक महसूस किया कि मैं पूरी तरह से थक चुकी हूँ—इस दर्द से, इस इंतज़ार से, और इस उम्मीद से।

मैंने धीरे-धीरे अपना बक्सा खोला, जिसमें हमारी यादें थीं। मैंने उसकी तस्वीर उठाई, और पहली बार, मैं उस पर मुस्कुराई नहीं, बल्कि उसकी आँखों में देखा और महसूस किया कि यह व्यक्ति अब सिर्फ़ एक याद है, हक़ीक़त नहीं।

मैंने धीरे-धीरे उसकी हर चीज़ को बक्से में वापस रखा। मैंने उसे दूर नहीं फेंका। मैंने उसे अपने जीवन से पूरी तरह से मिटाया नहीं। मैंने सिर्फ़ उसे बंद कर दिया। मैंने स्वीकार किया कि यह कहानी ख़त्म हो चुकी है, और मैं अब इस टूटे हुए अंत के साथ जीऊँगी।

यह स्वीकार्यता सबसे दर्दनाक थी। यह मानना कि जिस व्यक्ति ने तुम्हें ज़िंदा रहने का मतलब सिखाया, वही अब तुम्हारी ज़िंदगी से ख़ामोशी बनकर चला गया है।

मैंने उस दिन तय किया कि मैं अब उसके इंतज़ार में अपनी ज़िंदगी बर्बाद नहीं करूँगी।

मैं अब भी शांत हूँ। लेकिन मेरी शांति अब कमज़ोरी नहीं है; यह मेरी ताक़त है। यह उस तूफ़ान के बाद की स्थिरता है, जिसने सब कुछ तबाह कर दिया, पर अब मैं अपने पैरों पर खड़ी हूँ।

मैं अब भी प्यार पर यक़ीन करती हूँ। लेकिन अब मैं जानती हूँ कि प्यार का मतलब सिर्फ़ ‘पाना’ नहीं होता। यह भी होता है कि आप टूटने के बाद भी, खुद को जोड़कर फिर से मुस्कुरा सकें

आर्यन चला गया, लेकिन उसने मुझे एक चीज़ सिखाई: मेरा दिल टूट सकता है, पर मेरी हिम्मत नहीं।

“उसने मुझे सिखाया कि मैं पूरी दुनिया का प्यार किसी दूसरे इंसान में ढूँढ रही थी, जबकि वह प्यार हमेशा से मेरे अंदर था।”

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