मेरा नाम अनुष्का है। मैं 23 साल की हु | मुझे अपनी बॉस 35 साल के अर्णव से प्यार हो गया | यह मेरी कहानी है | ऑफिस/जॉब लव स्टोरी (Office Love)

0

मेरा नाम अनुष्का है। मैं 23 साल की, एक ऊर्जावान और जिज्ञासु मार्केटिंग एग्जीक्यूटिव हूँ। मेरी ज़िंदगी सोशल मीडिया ट्रेंड्स और ऑफिस की गपशप में चलती थी। मैं ‘ग्लोबल एडवर्टाइजिंग’ में नई-नई शामिल हुई थी।

और फिर आए हमारी टीम के सीनियर मैनेजर, अर्णव रॉय

अर्णव, 35 साल के, एक ऐसा व्यक्ति थे जिन्हें ऑफिस में कोई नहीं समझता था। वह बेहद शांत थे, किसी से बात नहीं करते थे, और हमेशा अकेले ब्लैक कॉफ़ी पीते हुए दिखते थे। उनकी आँखों में एक अजीब-सी गहराई और उदासी थी, जैसे वह कोई भारी बोझ ढो रहे हों। सब उन्हें ‘मिस्टर रॉय—द घोस्ट’ कहते थे, क्योंकि वह आते-जाते किसी को दिखते ही नहीं थे।

मेरी बॉस ने मुझे एक जटिल, लंबे प्रोजेक्ट पर अर्णव रॉय की सहायता के लिए लगाया। मुझे लगा कि मैं अपनी ऊर्जा इस शांत आदमी के साथ बर्बाद करूँगी।

पहली मीटिंग में, मैंने अपनी प्रेजेंटेशन दी। जब मैंने बोलना ख़त्म किया, तो उन्होंने मेरी ओर देखा। “अनुष्का, तुम्हारा डेटा अच्छा है। लेकिन इसमें इमोशन कहाँ है? तुम ग्राहक को क्या महसूस कराना चाहती हो?”

मैंने कहा, “सर, संतुलन ज़रूरी है।”

उन्होंने मेरी बात अनसुनी कर दी। “बाहर जाओ, इस प्रोजेक्ट को फिर से देखो, और सोचो कि तुम्हें कैसा महसूस होता है।”

मुझे गुस्सा आया। लेकिन, अगली रात, जब मैं देर तक काम कर रही थी, मैंने देखा कि अर्णव अपने कैबिन में नहीं थे। मेज़ पर एक खुली किताब देखी—वह कोई बिज़नेस मैनुअल नहीं, बल्कि एक पुरानी कविता संग्रह थी। मैंने देखा कि वह न सिर्फ़ काम करते हैं, बल्कि भावनाएँ भी रखते हैं

मेरी जिज्ञासा तुरंत आकर्षण में बदल गई। अब अर्णव मेरे लिए सिर्फ़ एक सीनियर नहीं थे; वह एक अनसुलझी पहेली बन गए थे, जिसे मैं हल करना चाहती थी। मैं यह जानने के लिए उत्सुक थी कि इस शांत आदमी के पीछे क्या कहानी है, और क्यों वह अपनी भावनाओं को छुपाता है।

मेरी जिज्ञासा जल्द ही गहरे आकर्षण में बदल गई। मैंने जानबूझकर अर्णव के साथ ज़्यादा समय बिताना शुरू कर दिया, हमेशा काम के बहाने। मैंने उनकी मेज़ पर अपना टिफिन रखा, और हमने अकेले लंच करना शुरू कर दिया। अर्णव चौंकते थे, लेकिन मेरी ऊर्जा उन्हें शांत रखती थी।

एक शाम, जब हम एक नया कैंपेन डिस्कस कर रहे थे, मैंने कहा, “सर, यह डिज़ाइन बहुत ‘फीका’ है।” अर्णव ने पेंसिल उठाई और उस डिज़ाइन के कोने में, छोटे अक्षरों में, एक कविता की लाइन लिखी—“कुछ दर्द ऐसे होते हैं, जिन्हें सिर्फ़ रंगों से छुपाया जा सकता है।”

मैंने उनसे पूछा, “आपकी ज़िंदगी में क्या दर्द है, सर?” उन्होंने चुपचाप टाल दिया।

लेकिन एक दिन, उनका अतीत ख़ुद ही सामने आ गया। एक क्लाइंट मीटिंग थी। एक महिला क्लाइंट ने अर्णव को देखा और अचानक चिल्लाई, “तुम यहाँ क्या कर रहे हो? तुमने मेरी ज़िंदगी बर्बाद कर दी!” वह महिला क्लाइंट उनकी पूर्व पत्नी की वकील थी। मुझे बाद में पता चला कि अर्णव का तलाक़ हो चुका है और वह अपनी पूर्व पत्नी द्वारा लगाए गए झूठे आरोपों के कारण बदनामी झेल रहे थे।

यह जानकर मुझे बहुत दुख हुआ। यह शांत, अच्छा आदमी झूठे आरोपों का बोझ ढो रहा था।

मैंने उसी शाम अर्णव से मुलाक़ात की। “क्या यह सब सच है?”

अर्णव ने मेरी आँखों में देखा, और उनकी उदासी टूट गई। “हाँ, अनुष्का। तलाक़ हो गया है, और आरोप सब झूठे थे। लेकिन बदनामी ऐसी होती है कि आप सच बता भी नहीं सकते।”

मैंने उनका हाथ पकड़ा। “मुझे पता है कि आप सच्चे हैं। मैंने आपकी कविताओं और आपके काम में सच्चाई देखी है।” मैंने हिम्मत करके कहा, “अर्णव, मैं आपसे प्यार करती हूँ। मुझे आपकी उदासी से कोई फ़र्क नहीं पड़ता। मैं आपकी ढाल बनना चाहती हूँ, और मैं आपको इस बोझ से बाहर निकालूँगी।”

अर्णव की आँखों में पहली बार आँसू थे। “तुम… तुम इतना अच्छा क्यों हो, अनुष्का? मैं तुमसे 12 साल बड़ा हूँ, और मैं एक ‘बदनाम’ आदमी हूँ।” मैंने कहा, “मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ता। मेरा प्यार आपकी सच्चाई पर भरोसा करता है। अब सवाल यह है, क्या आप मेरा साथ देंगे?”

अर्णव ने मेरे प्यार को स्वीकार कर लिया, लेकिन वह अब भी सहमे हुए थे। हमने तय किया कि हम पहले उनके नाम पर लगे झूठे आरोपों को हटाएंगे। यह हमारी पहली साझेदारी थी—प्यार और सच्चाई की।

हम दोनों ने मिलकर, रात-रात भर काम किया। मैं अपनी ऊर्जा और सोशल मीडिया स्किल्स से, और अर्णव अपनी शांत, विश्लेषणात्मक क्षमता से। हमने उनकी बेगुनाही साबित करने के लिए डेटा और सबूत जुटाए।

ऑफ़िस में तनाव बहुत बढ़ गया। अफ़वाहें उड़ने लगीं, और मेरे मैनेजर ने मुझे चेतावनी दी। लेकिन मैंने किसी की नहीं सुनी। मैंने एक प्रेस रिलीज़ और एक आंतरिक कंपनी मेल तैयार किया, जिसमें मैंने स्पष्ट किया कि मैं अर्णव के साथ रिश्ते में हूँ, और उनके झूठे आरोपों के खिलाफ उनके साथ खड़ी हूँ। यह एक बड़ा जोखिम था, लेकिन अर्णव की बेगुनाही मेरे लिए मेरी करियर से ज़्यादा महत्वपूर्ण थी।

अंत में, हमने पर्याप्त सबूत जुटा लिए और कानूनी कार्रवाई की धमकी दी। उनकी पूर्व पत्नी के वकील पीछे हट गए, और कंपनी ने भी सार्वजनिक रूप से अर्णव के पक्ष में बयान जारी किया। अर्णव का नाम आख़िरकार साफ़ हो गया।


नाम साफ़ होने के बाद, अर्णव ने कंपनी में काम करना असहज पाया और इस्तीफ़ा देने का फ़ैसला किया। लेकिन मैंने उन्हें रोक लिया।

“आप क्यों छोड़ रहे हैं? अब जब आप आज़ाद हैं?” मैंने पूछा।

अर्णव ने मुस्कुराते हुए मेरा हाथ पकड़ा। “मैं अब अपना ख़ुद का ‘शांत’ साम्राज्य बनाना चाहता हूँ, अनुष्का। और मैं तुम्हें अपनी पत्नी और बिजनेस पार्टनर के रूप में चाहता हूँ। मेरे लिए अब सबसे ज़रूरी यह है कि मैं तुम्हें कभी निराश न करूँ।”

मैंने तुरंत हाँ कह दिया। हमने एक छोटी, लेकिन हाई-प्रोफ़ाइल क्रिएटिव एजेंसी शुरू की। अर्णव ने अपनी कविता की किताब से एक लाइन मेरे लिए लिखी—“तुम वह पहली रोशनी हो, जो मेरे सातों दरवाज़े खोल गई।”

हमने शादी कर ली। अर्णव अब भी शांत थे, लेकिन उनकी आँखों में उदासी की जगह प्यार और शांति थी। मैं अब भी जिज्ञासु थी, लेकिन मेरी जिज्ञासा सिर्फ़ अर्णव के लिए थी। हमारे प्यार ने साबित कर दिया कि सच्चाई और जुनून उम्र या कॉर्पोरेट की दीवारों से बड़ी होती है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here