मेरा नाम अर्जुन वर्मा है। मैं 28 साल का हूँ और ‘टेक ज़ेन’ नामक एक मिड-लेवल आईटी फर्म का को-फाउंडर और मुख्य डेवलपर हूँ। मेरी दुनिया कोड, डेडलाइन्स और लेट नाइट पिज़्ज़ा पर टिकी थी। इमोशनल ड्रामा के लिए मेरे पास बिल्कुल समय नहीं था। काम में मेरा दिमाग बहुत तेज़ चलता था, लेकिन मेरे निजी जीवन का ‘यूआई’ (User Interface) बहुत बिखरा हुआ था।
और फिर आई अहाना।
वह हमारी समर इंटर्नशिप बैच का हिस्सा थी। 21 साल की, कंप्यूटर साइंस की छात्रा। इंटर्न के आने के पहले दिन, मैंने मीटिंग रूम में प्रवेश किया। मुझे अपनी टीम को ‘सॉफ्टवेयर आर्किटेक्चर’ पर ब्रीफ करना था।
सभी इंटर्न बैठे थे, लेकिन मेरी नज़र बस एक चेहरे पर टिकी—अहाना। सफ़ेद शर्ट, करीने से बाँधे बाल, और एक ऐसी गंभीर एकाग्रता जो आमतौर पर छात्रों में नहीं दिखती। वह मेरी ओर ऐसे देख रही थी, जैसे मैं कोई प्रेरणादायक लीडर नहीं, बल्कि कोई जटिल अल्गोरिद्म हूँ जिसे वह हल करना चाहती हो।
मैंने प्रेजेंटेशन शुरू की। 15 मिनट बाद, मैंने एक मुश्किल तकनीकी सवाल पूछा, जिसका जवाब सीनियर डेवलपर्स भी नहीं दे पाते। “आप में से कोई बता सकता है कि हम इस कंपोनेंट को सर्वरलेस आर्किटेक्चर में कैसे इंटीग्रेट करेंगे?”
पूरे कमरे में सन्नाटा था। लेकिन एक पतला हाथ उठा—अहाना का।
उसने शांत लेकिन आत्मविश्वास भरी आवाज़ में जवाब दिया, “सर, हम इसे ‘लैम्ब्डा फंक्शन्स’ के बजाय ‘ईसीएस’ (ECS) का उपयोग करके कर सकते हैं, क्योंकि इसमें कंटेनर प्रबंधन (Container Management) आसान होगा और विलंबता (Latency) कम होगी।”
उसका जवाब न सिर्फ सही था, बल्कि बेहद परिष्कृत (Sophisticated) भी था। मैं दंग रह गया। मैंने खुद को सँभाला और कहा, “बहुत बढ़िया, अहाना। तुम सही हो।”
उस दिन से, अहाना मेरी सबसे बड़ी ‘डिस्ट्रैक्शन’ बन गई।
मेरी टीम ने उसे मेरे साथ एक मुश्किल प्रोजेक्ट पर लगा दिया। अब वह हर दिन मेरी डेस्क के पास काम करती थी। मैं कोड लिख रहा होता, और मुझे बार-बार ऐसा महसूस होता कि मैं अपनी स्क्रीन पर कम और उसकी ओर ज़्यादा देख रहा हूँ। मेरी कॉन्सेंट्रेशन पावर, जो मेरी सबसे बड़ी ताकत थी, अब बिखरने लगी थी।
एक दिन, मैं अपनी कुर्सी पर बैठकर एक जटिल बग पर झुंझला रहा था। मैंने गुस्से में अपने लैपटॉप को बंद किया। “क्या हुआ, सर?” अहाना ने पूछा। “यह बग मेरे दिमाग को खा रहा है! मुझे कॉफ़ी चाहिए। और मुझे कुछ देर के लिए इस स्क्रीन से दूर जाना है।”
अहाना बिना कुछ कहे उठी और 5 मिनट बाद वापस आई। उसके हाथ में एक मग था—ब्लैक कॉफ़ी, बिल्कुल मेरे पसंद की, बिर्मीज़ बीन्स की।
“यह कॉफ़ी आपको थोड़ी शांति देगी। और बग के लिए, कभी-कभी एक कदम पीछे हटने से रास्ता दिखता है। मैं आपके लिए उस कोड की डिबगिंग (Debugging) शुरू करती हूँ।”
उसने मेरा लैपटॉप लिया और काम में लग गई। उस समय, मुझे लगा कि वह सिर्फ मेरी इंटर्न नहीं है, बल्कि मेरे बिखरे हुए जीवन में आया एक ‘सॉफ्टवेयर अपडेट’ है। उसने न सिर्फ मेरा काम सँभाला, बल्कि मेरे बिखरे हुए दिमाग को भी एक शांति दी।
वह दिन मेरे लिए टर्निंग पॉइंट था। अब मेरा काम सिर्फ प्रोजेक्ट्स को हैंडल करना नहीं था, बल्कि किसी भी तरह अहाना के नज़दीक रहना और उसे प्रभावित करना था। मुझे पता था कि मैं अपने ‘सीईओ’ वाले रुतबे का इस्तेमाल नहीं करूँगा, मैं उसे सिर्फ ‘अर्जुन’ के तौर पर जीतना चाहता था।
अहाना के आने के बाद, मेरा ऑफिस का रूटीन बदल गया था। मैं अब सिर्फ काम नहीं कर रहा था, बल्कि अहाना की दुनिया में घुसने की कोशिश कर रहा था।
हम दोनों एक साथ देर रात तक काम करते थे, क्योंकि वह प्रोजेक्ट बहुत बड़ा था। रात को, ऑफिस शांत हो जाता था, और हमारा ‘बॉस-इंटर्न’ वाला बंधन पिघलने लगता था।
एक रात लगभग 10 बजे, मैं और अहाना एक कमरे में थे, एक जटिल कोडिंग समस्या पर डिबगिंग कर रहे थे। हम घंटों से लगे थे, लेकिन हल नहीं मिल रहा था। मैंने खीझकर कहा, “यह कोड किसी डरावनी पहेली जैसा है।”
अहाना ने अपना लैपटॉप बंद किया और कहा, “सर, दिमाग़ थक गया है। क्या हम 15 मिनट का ‘कोड ब्रेक’ ले सकते हैं? पिज़्ज़ा ऑर्डर करें और किसी और चीज़ पर बात करें।”
यह पहली बार था जब उसने मुझे कुछ ‘ऑर्डर’ दिया था। मुझे अच्छा लगा। हमने पिज़्ज़ा मंगवाया और टेरेस पर आ गए।
रात की ठंडी हवा चल रही थी। मैंने उससे पूछा, “तुम हमेशा इतनी फोकस्ड कैसे रहती हो? तुम्हारी उम्र के लोग तो पार्टी करते हैं।”
अहाना ने ऊपर तारों की ओर देखा, “सर, मेरे लिए कोड सिर्फ काम नहीं है। यह मेरे पापा का सपना था। मैं एक बहुत छोटे शहर से हूँ, जहाँ मौका मिलना मुश्किल है। मुझे पता है कि मेरे पास खुद को साबित करने के लिए बस यह इंटर्नशिप है।”
उसकी आँखों में एक अजीब-सा दृढ़ संकल्प था। मुझे लगा कि वह कितनी गंभीर है, और मैं कितना लापरवाह।
“और तुम?” उसने पूछा, “तुम इतना बड़ा स्टार्टअप चला रहे हो, लेकिन कभी-कभी तुम बहुत अनफोकस्ड लगते हो। जैसे तुम कहीं और हो।”
मैं हँसा। “हाँ, आजकल मेरा फ़ोकस थोड़ा ‘शिफ्ट’ हो गया है। मुझे लगता है कि मैं अब कोड की बजाय, मानव इंटरैक्शन के पैटर्न को समझने की कोशिश कर रहा हूँ।”
मैंने साहस जुटाया और थोड़ा और नज़दीक सरक गया, “अहाना, मैं तुम्हें सिर्फ एक इंटर्न के तौर पर नहीं देखता। मैं तुम्हें एक… सहकर्मी के तौर पर देखता हूँ, एक प्रेरणा के तौर पर देखता हूँ।”
उसने अपनी नज़रें झुका लीं, लेकिन उसके चेहरे पर हल्की-सी लाली थी। “सर, मैं आपकी बहुत इज़्ज़त करती हूँ। आप मेरे मेंटर हैं, मेरे बॉस हैं।”
“प्लीज़, अहाना,” मैंने धीरे से कहा, “अर्जुन। मेरा नाम अर्जुन है। और क्या तुम मुझे सिर्फ इसलिए मना करोगी क्योंकि मेरे पास ‘बॉस’ का बैज है? क्या मैं तुम्हें कभी भी एक ‘इंटर्न’ से ज़्यादा कुछ लगने लायक नहीं हूँ?”
उस पल, हमने एक-दूसरे की आँखों में देखा। मुझे लगा जैसे हम एक नई कोडिंग भाषा में बात कर रहे थे, जहाँ शब्द ज़रूरी नहीं थे।
उसने अपने हाथ में पकड़ा हुआ पिज़्ज़ा का टुकड़ा मेज पर रखा और मेरी ओर देखा। “नहीं, अर्जुन। ऐसी बात नहीं है। आप सिर्फ मेरे लिए एक बॉस नहीं हैं। लेकिन… मुझे डर लगता है। अगर यह काम नहीं किया, तो मेरा करियर…”
मैंने उसका हाथ पकड़ा, “तुम्हारा करियर तुम्हारी क्षमता पर निर्भर करता है, न कि मेरे फ़ैसलों पर। मैं तुम्हें कभी निराश नहीं करूँगा। और हाँ, अगर हम कभी अलग भी हुए, तो मैं तुम्हें पर्सनली किसी भी बड़ी कंपनी में प्लेस करवाऊँगा। यह मेरा वादा है।”
उसने मेरी आँखों में देखा, और धीरे से मुस्कुराई। वह मुस्कान मेरी सबसे बड़ी जीत थी। “ठीक है, अर्जुन। लेकिन हम यह सीक्रेट रखेंगे। जब तक इंटर्नशिप ख़त्म नहीं होती।”
मैंने राहत की साँस ली। उस रात, हमने बग को डिबग नहीं किया, लेकिन हमने अपने रिश्ते को डिबग कर लिया था।
हमारी सीक्रेट डेटिंग शुरू हो गई थी। हम दोनों ऑफिस में बेहद प्रोफेशनल होते थे, लेकिन शाम होते ही हमारे बीच की केमिस्ट्री तेज़ी से बढ़ती थी। अहाना अब सिर्फ एक फोकस्ड इंटर्न नहीं थी; वह मेरे जीवन की सबसे महत्वपूर्ण ‘फ़ीचर’ बन चुकी थी।
हालांकि, हमारी सावधानी के बावजूद, ऑफिस में लोगों को शक होने लगा था। हमारी इंटर्नशिप समाप्त होने में सिर्फ़ दो सप्ताह बचे थे।
एक दिन, मेरे दूसरे को-फाउंडर, विकास ने मुझे अपने कैबिन में बुलाया। “अर्जुन, मैंने सुना है कि तुम्हारा और अहाना का कुछ चल रहा है। वह तुम्हारी डायरेक्ट रिपोर्ट है। यह हमारी कंपनी की पॉलिसी के ख़िलाफ़ है, और यह तुम्हारी लीडरशिप पर सवाल उठाता है।”
विकास सही था। मैंने हमेशा नियम बनाए थे, और अब मैं ही उन्हें तोड़ रहा था। मैंने उससे कहा, “यह सिर्फ अफ़वाह नहीं है, विकास। मैं अहाना को पसंद करता हूँ।”
विकास ने माथे पर बल डाला। “तो फिर क्या? तुम उसे परमानेंट नौकरी दोगे? लोग कहेंगे कि तुमने पक्षपात किया। या तुम उसे निकाल दोगे?”
यह एक कठिन ‘डिप्लॉयमेंट’ (Deployment) था। मुझे एक ऐसा हल निकालना था, जहाँ किसी का करियर खतरे में न पड़े, और न ही हमारा रिश्ता।
अगले सप्ताह, अहाना को अपनी इंटर्नशिप का फाइनल प्रोजेक्ट प्रेजेंट करना था। यह प्रोजेक्ट इतना शानदार था कि इंडस्ट्री में चर्चा का विषय बन सकता था। प्रेजेंटेशन वाले दिन, पूरा मैनेजमेंट बोर्ड और सभी सीनियर्स हॉल में मौजूद थे।
अहाना मंच पर आई। उसने न सिर्फ़ प्रोजेक्ट की सफलता दिखाई, बल्कि एक नया ओपन-सोर्स फ्रेमवर्क भी प्रस्तुत किया, जिसे उसने इंटर्नशिप के दौरान विकसित किया था। प्रेजेंटेशन ख़त्म हुई, और हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूँज उठा।
बोर्ड मेंबर ने मुझसे पूछा, “अर्जुन, आपका क्या मानना है? क्या हमें इसे परमानेंट रोल देना चाहिए?”
मैंने माइक लिया। मैं मंच पर अहाना के पास गया। उसने मुझे घबराए हुए अंदाज़ में देखा।
“मैं मानता हूँ कि अहाना असाधारण है। वह न सिर्फ़ कंपनी के लिए, बल्कि पूरी इंडस्ट्री के लिए एक संपत्ति है।”
मैंने एक पल के लिए साँस ली। “लेकिन मैं उसे परमानेंट नौकरी नहीं दे सकता।”
पूरे हॉल में सन्नाटा पसर गया। अहाना की आँखें भर आईं।
मैंने तुरंत आगे कहा, “हम उसे ‘टेक ज़ेन’ में परमानेंट नौकरी नहीं दे सकते, क्योंकि मैं नहीं चाहता कि कोई उसकी प्रतिभा को मेरे नाम से जोड़े।“
मैंने अहाना की ओर देखा। “अहाना, मैं तुम्हें अपनी कंपनी में एक इंटर्न या कर्मचारी के रूप में नहीं, बल्कि बराबर के पार्टनर के रूप में चाहता हूँ।”
मैंने अपनी जेब से एक छोटी सी, ख़ूबसूरत कोड रिंग निकाली—जिस पर बाइनरी कोड में ‘I Love You’ लिखा था।
“आज तुम्हारी इंटर्नशिप ख़त्म होती है, लेकिन मेरी और तुम्हारी पार्टनरशिप शुरू होती है। मैं न सिर्फ़ तुम्हें अपनी ज़िंदगी का पार्टनर बनाना चाहता हूँ, बल्कि ‘टेक ज़ेन’ का नया को-फाउंडर भी बनाना चाहता हूँ, जो मेरे साथ मिलकर कंपनी को आगे बढ़ाए।”
मैंने घुटनों पर बैठकर रिंग आगे की। “क्या तुम मेरे साथ हमेशा के लिए ‘कोड’ लिखोगी, अहाना?”
अहाना की आँखों से खुशी के आँसू बह रहे थे। उसने ज़ोर से सिर हिलाया। “हाँ, अर्जुन! हाँ!”
उसने मुझे उठाया और गले लगा लिया, तालियों की आवाज़ ने पूरे हॉल को भर दिया। विकास अपनी सीट से उठा और मुस्कुराते हुए हमारे पास आया।
“ठीक है, अर्जुन। तुमने सिर्फ़ पॉलिसी नहीं तोड़ी, बल्कि उसे अपग्रेड कर दिया। वेलकम, अहाना, नई को-फाउंडर।”
आज, अहाना और मैं सिर्फ़ एक कपल नहीं थे; हम एक टीम थे। मेरा ‘अनफोकस्ड’ जीवन अब उसके ‘फोकस्ड’ प्यार से पूरी तरह से ‘डिप्लॉय’ हो चुका था। मेरा ऑफिस रोमांस ख़त्म नहीं हुआ, बल्कि एक ऐसी साझेदारी में बदल गया जो काम और प्यार दोनों में हमारी सबसे बड़ी सफलता थी।















