मेरा नाम साक्षी है।
मैं एक छोटे शहर की बिल्कुल नॉर्मल लड़की हूँ।
मेरी जिंदगी में ज्यादा कुछ खास नहीं था—
घर, पढ़ाई और मेरे अपने छोटे-छोटे सपने… बस।
मैं इंस्टाग्राम बस टाइम पास के लिए खोलती थी।
लेकिन एक दिन एक अजीब सा मैसेज आया—
“Hi, can we be friends?”
नाम था — Ayush singh।
पहले तो मैंने इग्नोर कर दिया।
ऐसे मैसेज का जवाब देना मुझे पसंद नहीं था।
लेकिन अगले दिन फिर मैसेज आया—
“You look very simple… बस एक बार रिप्लाई कर दो।”
मैंने फिर भी जवाब नहीं दिया।
तीसरे दिन उसने मैसेज किया—
“अगर बुरा लगा हो तो सॉरी… सच में तुम्हें देखकर लगा तुम बहुत सच्ची हो।”
वो मैसेज बहुत अलग था।
उसकी भाषा साफ़ थी, उसकी बातों में इज्जत थी।
इस बार मैंने सोचा—
“एक Hi लिख देने में क्या जाता है…”
मैंने पहली बार उसे “Hi” भेजा।
मुझे क्या पता था कि यही एक Hi मेरी पूरी जिंदगी बदल देगा।
उस रात उसने लंबा मैसेज किया—
“मैं मेडिकल की तैयारी कर रहा हूँ। बस तुम्हारी सादगी ने अटकाया, इसलिए मैसेज किया।”
वो बहुत शांत तरीके से बात करता था।
न कोई खराब इरादा, न कोई गंदी बात।
धीर-धीरे रोज़ बात होने लगी।
सुबह “Good Morning”
रात “Good Night”
ये बातें आदत बन गईं।
और शायद…
यहीं से मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी कहानी शुरू हुई।
आयुष से मेरी बात अब रोज़ होने लगी थी।
उसकी एक खास आदत थी—
वो कभी जल्दी बात खत्म नहीं करता था।
अगर मैं लिखती—
“सो रही हूँ, बाद में बात करते हैं”
तो वो जवाब देता—
“ठीक है, लेकिन सोने से पहले एक स्माइल तो भेज दो…”
ये छोटी-छोटी बातें दिल को छू जाती थीं।
धीरे-धीरे वो मेरे बारे में हर छोटी बात जानने लगा—
-
मैं सुबह क्या खाती हूँ
-
मुझे पढ़ाई कब करनी होती है
-
कौन-सा गाना पसंद है
-
कौन-सी फिल्म पसंद नहीं
कभी-कभी मुझे खुद पर हँसी आती थी कि मैं ये सब क्यों बता रही हूँ।
लेकिन उसके शब्द इतने प्यारे और सच्चे लगते थे कि मैं मना नहीं कर पाती थी।
एक दिन उसने कहा—
“साक्षी… अगर मैं एक बात पूछूँ तो बुरा तो नहीं मानोगी?”
मैंने लिखा—
“पूछो।”
उसने तुरंत मैसेज किया—
“क्या तुम मेरी लाइफ में खास बन सकती हो?”
मैं समझ नहीं पाई।
मैंने पूछा—
“मतलब?”
उसने लिखा—
“मैं तुम्हें पसंद करने लगा हूँ।
और मैं शादी भी तुम्हीं से करना चाहता हूँ।”
मैंने फोन की स्क्रीन को थोड़ी देर तक देखा।
ये पहली बार था कि किसी लड़के ने मुझसे इतनी सीधी और साफ बात कही थी।
मैंने जवाब देने में थोड़ा वक्त लिया…
लेकिन उसने फिर लिखा—
“मैं मजाक नहीं कर रहा साक्षी।
तुम जैसे लोग किस्मत से मिलते हैं।”
उसकी बातें बहुत मीठी थीं…
और शायद इसी वजह से दिल मानने लगा था।
उस दिन मेरी नींद जल्दी नहीं आई।
मैं बार-बार सोचती रही—
“क्या सच में वो मुझे इतना पसंद करता है?”
“क्या मैं उसके लिए इतनी मायने रखती हूँ?”
लेकिन सबसे बड़ा सवाल दिमाग में घूम रहा था—
“क्या यह सच में प्यार है… या मैं सिर्फ कल्पना में उड़ रही हूँ?”
मुझे नहीं पता था कि ये सब सवाल कुछ दिनों बाद मेरे पूरे भरोसे को तोड़ देंगे।
पर उस वक्त…
मैं बस मुस्कुरा रही थी।
आयुष से मेरी चैट अब रोज़ की जरूरत बन चुकी थी।
अगर वो एक घंटे तक रिप्लाई ना करे, तो बेचैनी होने लगती थी।
वो कहता था—
“तुम्हें देखे बिना चैन नहीं मिलता… एक दिन मिलोगी ना?”
मैं हर बार मना कर देती थी।
मुझे डर लगता था।
पहली बार किसी से इस तरह जुड़ गई थी और मिलने का नाम ही मुझे नर्वस कर देता था।
लेकिन एक दिन उसने बहुत सीरियस होकर लिखा—
“साक्षी, अगर तुम मुझसे मिलने नहीं चाहती…
तो शायद मैं तुम्हारी लाइफ में मायने नहीं रखता।”
मैंने तुरंत पूछा—
“ऐसा क्यों कह रहे हो?”
उसने जवाब दिया—
“क्योंकि जिस लड़की से मैं शादी का सपना देख रहा हूँ,
कम से कम उससे एक बार आँखें मिलाना चाहता हूँ।”
ये लाइन मेरे दिल में सीधी उतर गई।
मैंने कभी नहीं सोचा था कि कोई लड़का मेरे लिए इतना सीरियस हो सकता है।
और उसी दिन…
मैंने पहली बार “हाँ, ठीक है… हम मिल सकते हैं।” लिख दिया।
उसने तुरंत लोकेशन भेज दी—
दिल्ली का एक कैफे।
मेरे हाथ काँप रहे थे।
दिल ऐसी धड़क रहा था जैसे बाहर आ जाएगा।
पहली मुलाकात का दिन
कैफे के बाहर खड़ी मैं बार-बार अपना फोन देख रही थी कि कहीं उसने मुझे देख लिया हो।
अचानक पीछे से एक आवाज आई—
“साक्षी?”
मैं पलटी…
वो वही था।
बिल्कुल फोटो जैसा, बल्कि उससे भी ज्यादा अच्छा दिख रहा था।
साफ-सुथरे कपड़े, हल्की दाढ़ी, और आँखों में एक अजीब सा भरोसा।
वो मुस्कुराया—
“थैंक यू… मेरे लिए आने के लिए।”
उस पलों में मैं बहुत नर्वस थी।
किसी अनजान लड़के के साथ बैठना मेरे लिए नया था।
लेकिन उसने माहौल इतना हल्का कर दिया कि मैं आराम से घुलने लगी।
उसने मेरे लिए ड्रिंक ऑर्डर की।
पूरी मुलाकात में उसने मुझे एक बार भी असहज महसूस नहीं होने दिया।
वो सिर्फ मेरे बारे में बातें करता रहा,
मेरे सपनों के बारे में,
मेरी फैमिली,
मेरी पढ़ाई…
उसने एक बहुत प्यारी लाइन कही—
“तुम्हें देखकर लग रहा है… मैं सही लड़की से बात कर रहा था।”
मुझे पता ही नहीं चला कब दो घंटे बीत गए।
मुलाकात खत्म होने लगी तो उसने धीरे से कहा—
“साक्षी… मैं तुम्हारे बिना नहीं रह पाऊँगा।
हम शादी करेंगे… मैं वादा करता हूँ।”
उस पल मेरा दिल पिघल गया।
मुझे लगा मैं किसी फिल्म की कहानी जी रही हूँ।
मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी गलती वहीं से शुरू हुई…
घर पहुँचते ही उसने मैसेज किया—
“तुम सच में मेरी हो ना?”
मैंने बस इतना लिखा—
“हाँ…”
और यहीं से वो लाइन मेरे लिए जाल बन गई।
क्योंकि उस दिन के बाद
वो मेरी जिंदगी का सबसे अहम हिस्सा बन गया…
और मैं उसे खोने के डर में
अपनी सारी सीमाएँ खुद तोड़ने लगी।
जो आने वाला था,
वो मैंने कभी सपनों में भी नहीं सोचा था…
उस मुलाकात के बाद जैसे सब बदल गया।
मैं और आयुष पहले जितना चैट करते थे, अब उससे भी ज़्यादा।
सुबह उठने से लेकर रात सोने तक…
हर चीज़ में वो शामिल था।
वो कहता—
“साक्षी, तुम मेरी जिंदगी की आखिरी लड़की हो।
मैं तुम्हें छोड़कर कहीं नहीं जा सकता।”
उसकी बातें सुनकर मेरे अंदर एक अजीब सी सुरक्षा का एहसास होने लगा।
पहली बार लगा कि शायद किस्मत ने सच में मुझे किसी अच्छे इंसान से मिलवाया है।
लेकिन यहीं से असली खेल शुरू हुआ…
धीरे-धीरे उसने मुझ पर हक जमाना शुरू कर दिया
पहले वो पूछता था—
“क्या कर रही हो?”
अब वो पूछने लगा—
“किससे बात कर रही हो?”
पहले कहता था—
“तुम जैसी हो अच्छी हो।”
अब कहता—
“ये फोटो मत डालो, लोग देखते हैं। मुझे अच्छा नहीं लगता।”
शुरू-शुरू में मुझे लगा ये प्यार है।
लेकिन धीरे-धीरे मैंने महसूस किया कि वो मुझे कंट्रोल करना चाहता था।
अगर मैं 10 मिनट रिप्लाई न करूँ तो कहता—
“किससे बात कर रही थी?
क्या मैं तुम्हारे लिए इम्पोर्टेंट नहीं?”
मैं परेशान हो जाती, डर जाती और तुरंत माफी मांग लेती।
फिर एक दिन… उसने पहली बार वो बात कही जिससे सब बदल गया
हमारी चैट में थोड़ा रोमांस बढ़ने लगा था।
ये नॉर्मल था… हर कपल में होता है।
लेकिन एक रात उसने अचानक कहा—
“साक्षी, अगर तुम मुझसे प्यार करती हो…
तो खुद को मुझसे दूर क्यों रखती हो?”
मैंने पूछा—
“मतलब?”
वो बोला—
“हम शादी तो करेंगे ही…
तो थोड़ा करीब आओ।
मुझे तुम्हारी जरूरत है।”
मैं दंग रह गई।
मैंने साफ मना कर दिया।
मैंने कहा—
“अभी नहीं… शादी के बाद।”
वो अचानक चुप हो गया…
फिर मैसेज ब्लू टिक पर छोड़कर गायब।
गायब होना उसकी सबसे बड़ी चाल थी
उस रात वो नहीं आया।
अगले दिन भी नहीं।
मैंने कॉल किया तो उसने नहीं उठाया।
तीसरे दिन उसने मैसेज किया—
“ठीक है साक्षी…
मैं समझ गया कि तुम मुझसे प्यार नहीं करती।”
मेरा दिल बैठ गया।
मैंने लिखा—
“ऐसा क्यों बोल रहे हो?”
उसने कहा—
“तुम्हें मुझ पर भरोसा ही नहीं है।
शादी से पहले ये सब करना गलत नहीं होता…
हम तो वैसे भी पति-पत्नी बनने वाले हैं।”
ये बात सुनकर मैं डर गई।
मैंने खुद को समझाने की कोशिश की कि वो मुझसे प्यार करता है, बस थोड़ा इमोशनल है।
लेकिन मैं नहीं चाहती थी।
मैं तैयार नहीं थी।
मैं कमजोर पड़ गई।
फिर उसने अंतिम वार किया—
“अगर तुमने मुझे आज भी मना किया…
तो मैं हमेशा के लिए चला जाऊँगा।”
मेरे हाथ ठंडे पड़ गए।
मेरे कदम रुक गए।
मेरी हिम्मत टूट गई।
मुझे लगा…
“अगर उसने मुझे छोड़ दिया तो मैं क्या करूँगी?”
और उसी डर ने
मुझे मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी गलती करवाने पर मजबूर कर दिया।
उस रात… मैंने वो हद पार कर दी जो कभी सोच भी नहीं सकती थी
मैंने रोते हुए कहा—
“ठीक है… लेकिन एक ही बार।”
उसने कहा—
“बस एक ही बार… फिर कभी नहीं कहूँगा।”
और मैंने अपने सारे डर, अपनी सारी सीमाएँ, अपनी सारी इज्जत
उसके प्यार के नाम पर कुर्बान कर दी।
लेकिन मुझे क्या पता था…
मेरी ये कुर्बानी
उसके लिए सिर्फ शुरुआत थी।
उस रात के बाद मेरी जिंदगी बदल गई थी।
मुझे लगा था कि अब वो मुझे और भी ज़्यादा प्यार करेगा…
मेरी कद्र करेगा…
मेरी इज्जत समझेगा।
लेकिन हुआ उसका उल्टा।
जिस दिन मैंने अपनी हदें तोड़ीं, उसी दिन से उसने मेरी इज्जत तोड़नी शुरू कर दी।
अब वो पहले जैसा आयुष नहीं रहा था
पहले वो हर छोटी बात पर खुश हो जाता था।
अब कहता—
“तुम ठीक से समझ नहीं पाती।
मुझे बार-बार समझाना पड़ता है।”
पहले वो मेरा हर मैसेज सेकंडों में देख लेता था।
अब घंटों तक जवाब नहीं देता था।
पहले वो कहता था—
“मैं सिर्फ तुम्हारा हूँ।”
अब कहने लगा—
“मेरी लाइफ में बहुत काम है, हर वक्त तुम्हें ही टाइम नहीं दे सकता।”
मुझे पहली बार लगा जैसे
मैंने जिसे प्यार समझा था…
वो असल में सिर्फ एक खेल खेल रहा था।
वो मुझे अपनी ‘चीज़’ की तरह ट्रीट करने लगा
अगर मैं थोड़ी देर रिप्लाई करूं, तो कहता—
“मैंने तुम्हें इतना अपनापन दिया और तुम मेरे लिए इतना भी नहीं कर सकती?”
अगर मैं फोन कट कर दूँ, तो कहता—
“मुझसे बात करने में दिक्कत है? किसी और से बात कर रही हो?”
अगर मैं बाहर जाऊँ, तो पूछता—
“किसके साथ गई? फोटो भेजो।”
पहले मुझे लगता था कि ये प्यार है…
लेकिन अब ये कंट्रोल बन चुका था।
मैं डरती थी उससे कुछ भी कहने में।
मुझे लगता था—
“कहीं वो नाराज न हो जाए… कहीं मुझे छोड़ न दे।”
और इसी डर में
मैं खुद को खोती जा रही थी।
सबसे बड़ा झटका — उसकी एक फोटो से सच का पहला दरवाज़ा खुला
एक दिन उसने गलती से अपनी गैलरी स्क्रीनशेयर कर दी।
और मैंने एक लड़की के साथ उसकी सेल्फी देखी।
मैं काँप गई।
मैंने पूछा—
“ये कौन है?”
वो तुरंत गुस्से में बोल पड़ा—
“तुम्हें हर चीज़ में शक क्यों होता है?”
“ये मेरी कज़िन है!”
उसकी आवाज़ में इतना गुस्सा था
कि मैं चुप हो गई।
लेकिन कुछ तो गलत था।
उसकी आँखें झूठ की तरह लग रही थीं।
पहली बार मुझे उसके चेहरे में एक ऐसी ठंडक दिखी
जो प्यार में नहीं होती।
इसके बाद तो उसका व्यवहार और भी अजीब हो गया
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वो रात को किसी को कॉल करता था और मुझसे कहता — “नेटवर्क खराब है।”
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वो दिन के टाइम ऑनलाइन रहता था पर मेरे मैसेज का जवाब नहीं देता था।
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उसने अचानक अपने इंस्टाग्राम पर पासवर्ड बदल दिया।
-
पिछली फोटो मिटा दीं।
-
मुझे अपनी स्टोरी हाइड कर दी।
जब मैंने पूछा—
“तुम मुझे इतनी बातें क्यों छिपा रहे हो?”
वो बोला—
“तुम बहुत सोचती हो, इसलिए तुम्हें सब नहीं बताता… शादी के बाद सब पता चल जाएगा।”
यह लाइन सुनते ही मैं और डर गई।
क्योंकि ये बात प्यार से नहीं,
एक धमकी की तरह लगी।
और फिर… एक दिन उसने ऐसा कहा कि मेरा पूरा शरीर सुन्न हो गया
उसने मैसेज किया—
“साक्षी, अगर तुम सच में मुझसे प्यार करती हो ना…”
“…तो तुम्हें ये सब सवाल पूछने की जरूरत ही नहीं होनी चाहिए।”
मैंने लिखा—
“लेकिन मैं तुम्हारी होने वाली पत्नी हूँ, तुम मुझसे बातें क्यों छिपा रहे हो?”
वो बोला—
“शादी होगी तभी…
अगर तुमने अपनी आदतें सुधारीं तो।”
मेरे हाथ कांपने लगे।
मेरे दिमाग में एक ही सवाल घूम रहा था—
“क्या मैं उसकी जिंदगी में सिर्फ एक चीज़ हूँ?
क्या वो सच में मुझसे शादी करना चाहता भी है?”
उस पल मुझे एहसास हुआ…
वो मुझसे दूर होता जा रहा है।
उसकी बातें, उसका प्यार, उसके वादे—
सब बदल रहे थे।
और सबसे डरावना हिस्सा यह था—
मैं सिर्फ बदलते हुए उसे देख रही थी…
पर कुछ कर नहीं पा रही थी।
आयुष के बदलते व्यवहार ने मुझे अंदर से हिला दिया था।
मैं दिनों तक यही सोचती रहती—
“क्या मैं गलत हूँ?”
या
“क्या सच में वो मुझे छोड़ देगा?”
प्यार में इंसान खुद को ही दोष देने लगता है…
और मैंने भी वही किया।
लेकिन सच ज्यादा दिन छिपा नहीं रहता।
एक मैसेज ने मेरा शक पक्का कर दिया
एक रात हम बात कर रहे थे।
अचानक उसके फोन पर नोटिफिकेशन आया—
“Baby, call me…”
मैं स्तब्ध रह गई।
मैंने पूछा—
“ये किसका मैसेज था?”
वो एक सेकंड के लिए चुप हो गया।
फिर बोला—
“मेरी कज़िन है… मजाक कर रही थी।”
उसकी आवाज में घबराहट साफ थी।
पहली बार मुझे लगा…
वो झूठ बोल रहा है।
उसने मेरे सवालों का जवाब देना बंद कर दिया
मैंने थोड़ा और पूछना चाहा,
लेकिन वो हर बार टॉपिक बदल देता।
अगर मैं कहूँ—
“मुझे सच बताओ।”
वो लिखता—
“तुम मुझे पागल कर दोगी एक दिन।”
अगर मैं कहूँ—
“मैं बस जानना चाहती हूँ।”
वो गुस्से में बोलता—
“कितनी बार कहा है… मुझ पर भरोसा करो!”
अब उसके गुस्से में प्यार नहीं,
एक अजीब सा डर महसूस होने लगा था।
एक दिन उसने मुझसे कहा — “मुझे 2 दिन के लिए बाहर जाना है”
मैंने पूछा—
“कहाँ?”
वो बोला—
“जरूरी काम है, बताना जरूरी नहीं समझता।”
“तुम बस चुपचाप रहो… और मुझ पर शक मत करो।”
ये सुनते ही मेरा दिल बैठ गया।
मैंने इतनी बेइज्जती कभी नहीं सुनी थी उससे।
फिर भी…
मैंने कुछ नहीं कहा।
मैं डर चुकी थी।
इस रिश्ते को खोने का डर…
मुझे सच देखने ही नहीं दे रहा था।
उसके 2 दिन ‘गायब’ रहने में मुझे कुछ बहुत गलत लगा
वो न ऑनलाइन आया,
न कॉल किया,
न एक मैसेज भेजा।
बस दो दिन…
पूरी तरह गायब।
मैंने उसका Instagram खोला—
उसकी प्रोफ़ाइल पर एक नई फॉलोइंग दिखी।
एक लड़की…
काफ़ी ग्लैमरस, स्मार्ट, और मॉडल टाइप।
मेरे पेट में जैसे कोई चीज़ धंस गई।
मैंने उस लड़की की प्रोफाइल खोली।
उसकी एक स्टोरी में…
मुझे एक कलाई का ब्रेसलेट दिखा
जो ठीक वैसा ही था जैसा मैंने आयुष को दी थी।
मेरी सांसें रुक गईं।
क्या वो उसके साथ था???
मैंने हिम्मत करके पूछा — “तुम कहाँ थे?”
उसने ठंडे शब्दों में कहा—
“तुम्हें क्या मतलब?”
मेरी आँखों में आँसू आ गए।
मैंने लिखा—
“मेरी चिंता नहीं होती तुम्हें?”
वो बोला—
“तुम्हें हक नहीं है यूँ सवाल करने का।”
हक नहीं?
मैं जिसके लिए घरवालों से लड़ रही थी…
जिसके लिए अपनी मर्यादा तक तोड़ दी थी…
जिससे शादी के सपने देख रही थी…
उस इंसान के लिए मुझे कोई हक ही नहीं था?
इस लाइन ने मेरा दिल तोड़ दिया।
मुझे पहली बार लगा…
मैं शायद उसकी जिंदगी में कुछ भी नहीं हूँ।
और फिर… सबसे बड़ा झटका
उस रात देर से उसने मैसेज किया—
“साक्षी, अगर तुम्हें मेरा साथ चाहिए तो सवाल मत किया करो।”
“तुम जिंदगी भर मेरे फैसले मानोगी तभी मैं शादी करूँगा।”
मेरा पूरा शरीर सुन्न हो गया।
अब वो मुझे प्यार से नहीं…
शर्तों पर चलाना चाहता था।
मैंने उस वक्त पहली बार महसूस किया—
यह रिश्ता अब प्यार नहीं, ज़बरदस्ती बन चुका था।
और सबसे डरावनी बात ये थी—
सवाल उठाने पर वो मुझे छोड़ने की धमकी देता था…
और चुप रहने पर मैं खुद को खो रही थी।
आयुष के शब्द मेरे दिमाग में हथौड़े की तरह बज रहे थे—
“मेरे फैसले मानोगी तभी मैं शादी करूँगा।”
इस एक वाक्य ने मुझे झकझोर दिया।
मैंने पहली बार सोचा—
“क्या शादी एक रिश्ता है… या उसके लिए एक सौदा?”
लेकिन दिल इतनी आसानी से हार नहीं मानता।
मैंने खुद को समझाया कि शायद वो स्ट्रेस में है…
शायद किसी परेशानी में है।
ये सब सोचकर मैं फिर उसकी बातों को नजरअंदाज करती रही।
लेकिन बदले में मुझे सिर्फ दुख मिलता रहा।
फिर एक दिन… वो गलती कर बैठा
शाम के वक्त हम बात कर रहे थे।
वो कुछ जल्दबाज़ी में था।
शायद कहीं जाने की तैयारी कर रहा था।
अचानक वह वीडियो कॉल पर आया।
पीछे से एक लड़की की आवाज़ आई—
“जल्दी चलो ना, लेट हो रहे हैं!”
मैं सुन्न रह गई।
मेरी सांस जैसे रुक गई हो।
आयुष अचानक घबरा गया।
फटाफट फोन नीचे रखकर बोला—
“साक्षी, वो मेरी कज़िन है। बेवजह मत सोचो।”
पर इस बार उसकी आवाज़ में वो वाला कॉन्फिडेंस नहीं था
जो पहले हुआ करता था।
मैंने पहले तो कुछ नहीं कहा…
लेकिन उस एक आवाज़ ने
मेरे दिल के सारे अलार्म बजा दिए थे।
मैंने खामोशी से जांच शुरू की
उसी लड़की की प्रोफ़ाइल मैंने दोबारा देखी।
फोटो में वही ब्रेसलेट…
वही गाड़ी…
और वही जगहें
जहाँ आयुष अक्सर फोटो खींचकर मुझे भेजता था।
मैंने उसकी एक स्टोरी में देखा—
आयुष की परछाई साफ़ दिख रही थी।
इस बार मुझे शक नहीं,
यकीन हुआ—
वो लड़की सिर्फ कज़िन नहीं थी।
कुछ और थी। बहुत ज्यादा।
लेकिन आयुष को शक न हो,
इसलिए मैंने चुप्पी साध ली।
और फिर… असली झटका मुझे उसके एक दोस्त से मिला
आयुष की एक बार इंस्टाग्राम पर एक फोटो थी
जिसमें एक लड़का उसके साथ था।
स्माइलिंग, दोस्त जैसा।
मैंने उसे मैसेज किया—
“हेलो, आप आयुष को जानते हो?”
पहले तो उसने रिप्लाई नहीं किया।
फिर 2 घंटे बाद लिखा—
“हाँ… लेकिन अब ज्यादा बात नहीं होती।”
मैंने पूछा—
“क्या वो ठीक है?”
उसने कुछ सेकंड बाद जवाब दिया—
“तुम कौन हो?”
मैंने लिखा—
“मैं उसकी गर्लफ्रेंड हूँ।”
उसने typing शुरू किया…
रुक गया…
फिर शुरू किया…
फिर रुक गया…
आखिर में उसने लिखा—
“आप अकेली नहीं हो।”
मेरे हाथ से फोन गिरते-गिरते बचा।
मैंने घबराकर लिखा—
“मतलब???”
उसने जवाब दिया—
“मुझे लगेगा कि मैं तुम्हें कुछ गलत बता रहा हूँ…
तुम पहले खुद उसके बारे में पता करो।”
मेरा दिल धड़कना भूल गया।
ये लाइन मेरे कानों में गूंज रही थी—
“आप अकेली नहीं हो।”
इसका मतलब क्या था?
क्या और भी लड़कियाँ थीं?
क्या मैं सिर्फ एक नंबर थी?
एक टाइमपास?
मेरा दिमाग शोर से भर गया।
आंखों के सामने धुंध छा गई।
आयुष उसी रात कॉल पर आया… और उसका एक-एक शब्द अब झूठ लगता था
वो बोला—
“सॉरी, आज टाइम नहीं दे पाया।”
“थोड़ा बिजी था।”
“तुम नाराज़ हो क्या?”
मैं उसकी आवाज़ सुन रही थी…
लेकिन अब पहली बार
उसके हर शब्द के पीछे छुपी चाल समझ आ रही थी।
उसके “सॉरी” में प्यार नहीं था।
उसके “बिजी हूँ” में सच्चाई नहीं थी।
उसके “तुम नाराज़ हो?” में इमोशन नहीं था।
सब बनावटी…
सब नकली…
सब झूठ।
और मेरे अंदर बस एक ही बात घूम रही थी—
“मैं अकेली नहीं थी…”
वो किसी और से भी यही सब कह रहा था।
शायद सिर्फ एक से नहीं…
कईयों से।
उस रात मैं रोई नहीं।
सिर्फ चुप रही।
क्योंकि कभी-कभी दर्द इतना गहरा होता है
कि आँसू भी बाहर आने से डरते हैं।
उस दोस्त की एक लाइन
मेरी नसों में गूंज रही थी—
“आप अकेली नहीं हो।”
मैंने पूरी रात जागकर सिर्फ एक ही बात सोची—
“अगर मैं अकेली नहीं हूँ…
तो और कौन है?”
आयुष से पूछने की हिम्मत नहीं हुई।
क्योंकि अब उसकी हर बात डर देने लगी थी।
उसकी आवाज़, उसका गुस्सा, उसका कंट्रोल—
सब मुझे कमजोर बना देते थे।
लेकिन उस रात…
मेरे अंदर कुछ टूट गया था।
अब मैं सच्चाई जानना चाहती थी।
मैंने सबसे पहले उस लड़की की पूरी प्रोफाइल खंगाल डाली
जिस लड़की की स्टोरी में आयुष की परछाई दिखी थी,
मैंने उसकी हर फोटो, हर कैप्शन, हर फॉलोइंग देखी।
और वहीं…
मुझे पहला बड़ा झटका लगा।
उसके बायो में लिखा था—
“Taken ❤️”
और उसके कई पोस्ट में एक ही कैप्शन बार-बार लिखा था—
“My Man.”
मेरा दिल जैसे जोर से गिरा हो।
मेरी सांस अटक गई।
मेहनत से धड़क रही थी।
क्या Ayush ही वो “My Man” था?
मैंने वापस उसकी स्टोरीज़ देखीं।
जीन्स, शूज़, बाइक…
सब कुछ आयुष के जैसा।
अब शक नहीं…
यकीन था।
आयुष सिर्फ मेरा नहीं था।
वो उसकी जिंदगी में भी था।
मैंने अपनी आँखें बंद कर लीं।
दिल जब टूटता है, आवाज नहीं करता…
लेकिन रूह जरूर चीखती है।
अगले ही दिन… एक और लड़की मिली
मैंने आयुष के पुराने पोस्टों के लाइक में जाकर
कुछ प्रोफाइल्स चेक कीं।
एक लड़की का अकाउंट प्राइवेट था…
लेकिन उसकी DP देख कर मेरी सांस रुक गई।
वो लड़की भी आयुष के साथ एक फोटो में थी।
कंधे पर हाथ, मुस्कुराती हुई।
मैंने डरते हुए मैसेज किया—
“Hi, क्या आप आयुष को जानती हैं?”
पहले तो उसने seen कर दिया।
फिर 20 मिनट बाद रिप्लाई आया—
“तुम कौन?”
मैंने लिखा—
“उसकी गर्लफ्रेंड।”
उसने सिर्फ एक लाइन भेजी—
“हम सब उसकी गर्लफ्रेंड हैं।”
मैं वहीं टूट गई।
कुर्सी पकड़कर बैठना पड़ा।
मेरी आँखों में आँसू भर आए।
हाथ काँप रहे थे।
उसका अगला मैसेज—
“तुम तीसरी हो।
या शायद चौथी।
हमें भी नहीं पता।”
मेरा पूरा शरीर ठंडा पड़ गया।
अब मेरी जिंदगी का सबसे बड़ा धोखा साफ हो चुका था
आयुष—
-
दो लड़कियों को अपने साथ रिलेशन में रख चुका था
-
एक को शादी का सपना दिखा रहा था
-
एक के घरवालों तक से बात कर चुका था
-
और मेरे जैसी और भी लड़कियों को लाइन में रखे था
मैं सिर्फ एक स्टेप थी।
एक टाइमपास।
एक प्लान।
प्यार नहीं…
एक खेल।
जिसे मैं अपनी जिंदगी मान बैठी थी,
वो किसी और के लिए भी वैसा ही कह रहा था।
उस रात पहली बार… मैंने उससे सवाल पूछने की हिम्मत की
मैंने लिखा—
“आयुष, तुम्हें मुझसे एक सच बताना है।”
वो बोला—
“क्या?”
मैंने सीधे पूछा—
“क्या तुम सिर्फ मेरे साथ हो?”
5 सेकंड… 10 सेकंड… 30 सेकंड…
नो रिप्लाई।
फिर उसने लिखा—
“तुम्हें ये सवाल पूछने की हिम्मत कैसे हुई?”
मैं स्तब्ध।
वो आगे लिखता गया—
“मैंने तुम्हें सब कुछ दिया।
और तुम?
मुझ पर शक कर रही हो?”
मैंने लिखा—
“मैंने तुम्हारी हर बात मानी…
अपनी मर्यादा तक तोड़ी…
बस सच्चाई जानना चाहती हूँ।”
उसने जवाब दिया—
“अगर तुम्हें भरोसा नहीं…
तो ये रिश्ता यहीं खत्म।”
और उसने कॉल कर दिया।
मेरी आँखे जम गईं।
अब वो साफ-साफ कह रहा था—
या तो चुप रहो,
या रिश्ता खत्म।
उसने मेरे प्यार को
मेरी कमजोरी बना दिया था।
उसके बाद जो हुआ… उसने मेरी दुनिया पूरी तरह हिला दी
उसने मुझे ब्लॉक नहीं किया।
क्योंकि उस पर पूरा कंट्रोल चाहिए था।
लेकिन अगला झटका
अगले दिन आया—
वो सुबह से शाम तक ऑनलाइन था
पर मुझे एक मैसेज भी नहीं किया।
और उसी बीच…
उस लड़की की स्टोरी में
आयुष की पूरी झलक दिख गई।
अब ये साफ था—
वो उसके साथ था…
और मुझे इस्तेमाल कर रहा था।
ये वो पल था
जब मेरा प्यार
मेरी सबसे बड़ी गलती बन गया।















