मेरा नाम अनन्या है।
पहली बार जब मैंने कॉलेज की बड़ी-सी गेट क्रॉस की,
दिल में थोड़ी टेंशन और आँखों में ढेर सारे सपने थे।
नई जगह, नए लोग…
और वहीं पहली बार मैंने उसे देखा —
आर्यन।
वो दोस्तों के साथ हँस रहा था,
हल्की दाढ़ी, आँखों में अजीब-सी चमक…
जैसे कुछ भी हो, ये लड़का लाइफ बदल देगा।
और सच… वही हुआ।
पहली मुलाकात — जो बिल्कुल फिल्मी थी
पहला लेक्चर था।
मैं क्लास में जगह ढूँढ रही थी कि अचानक एक आवाज आई—
“इधर बैठ जाओ, यहाँ खाली है।”
मैंने मुड़कर देखा…
आर्यन ही था।
उस पल दिल में जैसे हल्का-सा झटका लगा।
मैं उसकी बगल में जाकर बैठ गई।
उसने मुस्कुराकर कहा—
“नया एडमिशन?
मैं आर्यन… 2nd year.”
मेहनत से बोली—
“हां… अनन्या।”
उसकी वो पहली स्माइल…
मैं आज भी नहीं भूल पाई।
धीरे-धीरे दोस्ती हो गई… और दोस्ती में छुपा प्यार भी
अब रोज़ कैंटीन में मिलना…
लाइब्रेरी में एक-दूसरे को देखकर स्माइल करना…
कॉल और मैसेज रात तक चलना…
सब आदत बन गया।
वो मुझे पढ़ाई में मदद करता,
मैं उसे असाइनमेंट में।
कभी-कभी हम दोनों साथ कैंटीन के पीछे वाली पहाड़ी पर जाते,
जहाँ से पूरा कैंपस दिखता था।
वहीं एक दिन उसने कहा—
“अनन्या, तुम पता नहीं क्यों इतनी अपनापन देती हो।”
मैं blush होकर बस मुस्कुरा दी।
दिल में तूफान था…
पर होंठ चुप थे।
सबसे प्यारा पल — उसकी एक लाइन ने सब बदल दिया
एक दिन क्लास खत्म होने के बाद
उसने मेरा हाथ पकड़कर कहा—
“चलो, तुम्हें कुछ दिखाना है।”
मैं डर गई पर गई।
वो मुझे उसी पहाड़ी पर ले गया।
वहाँ हवा चल रही थी,
शाम का सूरज डूब रहा था,
महौल बिल्कुल फिल्म जैसा…
और अचानक वो मेरे सामने खड़ा हुआ
और धीरे से बोला—
“अनन्या… I Like You.”
मेरी धड़कन इतनी तेज थी कि
शायद उसे सुनाई दे रही हो।
मैंने धीरे से कहा—
“मैं भी…”
उसने पल भर के लिए मेरी आँखों में देखा,
और पहली बार…
मुझे लगा मैं किसी की पूरी दुनिया बन गई हूँ।
लेकिन कॉलेज लव इतना आसान नहीं होता…
जैसे-जैसे हमारा रिश्ता गहरा होता गया,
वैसे-वैसे लोगों की नज़रें भी हम पर बढ़ने लगीं।
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दोस्तों की बातें
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कुछ लड़कियों की जलन
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टीचर्स की कड़क निगाहें
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घरवालों का दखल
सब बढ़ने लगा।
आर्यन के घर वाले चाहते थे कि वो पढ़ाई पर ध्यान दे…
मेरे घर वाले चाहते थे कि मैं लड़कों से दूर रहूँ।
और इन्हीं दबावों में
हमारी प्यारी कहानी मुश्किलों में फँसने लगी…
आर्यन और मैं अब सिर्फ क्लासमेट या फ्रेंड्स नहीं थे…
हम दोनों एक-दूसरे की आदत बन चुके थे।
कैंटीन में एक कप कॉफ़ी,
लाइब्रेरी में एक शांति वाला कोना,
शाम को कैंपस की पहाड़ी…
सब हमारी जगहें बन चुकी थीं।
लेकिन जैसा हर प्यार की कहानी में होता है…
हमारी कहानी में भी मुश्किलें आने लगीं।
आर्यन की लाइफ में अचानक बहुत बदलाव आने लगे
पहले वो मेरी हर बात पर हंसता था।
अब अक्सर कह देता—
“यार, सिरीयस मत हुआ करो।”
पहले वो देर रात तक बातें करता था।
अब बोलता—
“मुझे पढ़ाई करनी है। बाद में बात करते हैं।”
पहले वो जरा-सी उदासी देख लेता था।
अब कहने लगा—
“तुम न, हर छोटी चीज़ दिल पर ले लेती हो।”
मैं समझ नहीं पा रही थी
कि उसमें ये बदलाव अचानक क्यों आए?
क्या वो मुझसे दूर हो रहा था?
या कोई बड़ी परेशानी थी?
और फिर कॉलेज में एक नई लड़की आई…
उसका नाम था रिया।
स्मार्ट, मॉडर्न, कॉन्फिडेंट…
और हाँ, खूबसूरत भी।
रिया और आर्यन एक ही प्रोजेक्ट ग्रुप में आ गए।
शुरू-शुरू में मुझे कोई दिक्कत नहीं थी।
लेकिन धीरे-धीरे—
-
आर्यन रिया से बातें करने लगा
-
कैंटीन में उसी के साथ बैठने लगा
-
लाइब्रेरी में भी वो हमेशा उसके साथ होता
-
और मुझे देखता भी नहीं था
पहले मैं खुद को समझाती रही कि
“ये बस दोस्ती है।”
लेकिन एक दिन…
रिया ने मेरे सामने उसकी शर्ट ठीक की और बोली—
“तुम जल्दी गुस्सा हो जाते हो…”
और आर्यन ने एक हल्की स्माइल दी।
वो छोटा-सा सीन
मेरे दिल पर बहुत बड़ा वार था।
मुझे लगा… कहीं मैं उसे खो तो नहीं रही?
उस रात मैंने पहली बार आर्यन से पूछा—
“क्या तुम बदल गए हो?
अब पहले जैसा प्यार नहीं करते?”
वो चुप रहा।
उसकी चुप्पी ने मुझे डरा दिया।
कुछ देर बाद उसने कहा—
“अनन्या… तुम बहुत इमोशनल हो जाती हो।
थोड़ा स्पेस दो।”
स्पेस?
मैं डर के मारे कांप गई।
मेरे दिमाग में बस एक ही बात घूम रही थी—
“क्या रिया की वजह से?”
लेकिन मैंने चुप रहना चुना।
क्योंकि प्यार में अक्सर इंसान
सवाल से ज्यादा डरता है…
सच सामने आने से ज्यादा।
और फिर… पहली बार उसने मुझसे मिलने से मना कर दिया
मैंने मैसेज किया—
“शाम को पहाड़ी चलें? बहुत दिन हो गए…”
उसने रिप्लाई किया—
“नहीं यार, प्रोजेक्ट है।”
मैं समझ गई।
वो प्रोजेक्ट रिया के साथ ही कर रहा होगा।
मेरी आँखें भर आईं।
दिल में एक अजीब सा डर फैल गया।
पहली बार लगा—
हमारा College Love शायद परफेक्ट नहीं है।
रिया के आने के बाद
मेरी और आर्यन की कहानी धीरे-धीरे बदल रही थी।
मैं जितना उसे पकड़कर रखना चाहती थी,
वो उतना ही मुझसे दूर होता जा रहा था।
और प्यार में दूरियाँ
कभी अचानक नहीं बढ़तीं…
धीरे-धीरे दिल में जमा होती हैं
और एक दिन फट जाती हैं।
एक दिन मैंने वो देखा… जिसने मेरा दिल बैठा दिया
कैंटीन की कतार में खड़ी थी मैं,
तभी मेरी नजर रिया और आर्यन पर पड़ी।
रिया हंस-हंसकर कुछ कह रही थी
और आर्यन उसे देखकर मुस्कुरा रहा था
— वो मुस्कान,
जो पहले सिर्फ मेरे लिए हुआ करती थी।
फिर रिया ने उसके कंधे पर हाथ रखा
और वो हटाया भी नहीं।
उस पल ऐसा लगा जैसे
मेरे सीने में किसी ने पत्थर डाल दिया हो।
मैं तुरंत कैंटीन से निकल गई।
उस रात मैंने खुद को समझाया… पर दिल नहीं मान रहा था
मैंने खुद को बार-बार समझाया—
“वो सिर्फ क्लास में साथ काम कर रहे हैं।”
“मैं गलत सोच रही हूँ।”
“वो ऐसा नहीं कर सकता।”
पर दिल…
दिल दिमाग की नहीं सुनता।
उसी रात मैंने हिम्मत करके मैसेज किया—
“आर्यन, क्या हम बात कर सकते हैं?”
पर जवाब आया—
“Busy हूँ। Project चल रहा है।”
“Project…”
अब ये शब्द मेरे लिए डर बन चुका था।
अगले दिन क्लास में वो मेरे बगल से ऐसे गुजरा… जैसे मैं कोई थी ही नहीं
उसकी नज़रें मुझसे मिली भी नहीं।
न “Hi”, न “Good morning।”
कुछ भी नहीं।
ये वो आर्यन नहीं था
जिसने मेरा हाथ पकड़कर “I Like You” कहा था।
मैंने पहली बार महसूस किया…
कुछ बहुत गलत हो रहा है।
शाम को मैंने आर्यन का इंतजार किया… और सबसे बड़ा झटका मिला
मैं पहाड़ी पर बैठी उसका इंतजार कर रही थी।
ये वही जगह थी जहाँ हमने पहली बार हाथ पकड़ा था,
जहाँ उसने पहली बार अपनी फीलिंग्स बताई थीं।
लेकिन उस दिन…
वो आया ही नहीं।
45 मिनट बाद
नीचे से हंसी की आवाज़ आई।
मैंने नीचे देखा—
आर्यन
और रिया
एक साथ बाइक पर निकल रहे थे।
रिया उसके पीछे बैठी थी
और उसने उसका शर्ट पकड़ रखा था।
मेरी सांस रुक गई।
आँखें भर आईं।
दुनिया वहीं के वहीं रुक गई।
उस रात मैं टूट गई… और झगड़ा होना तो तय था
मैंने उसे मैसेज किया—
“क्या तुम रिया के साथ थे?”
उसने तुरंत देखा
लेकिन जवाब नहीं दिया।
मैंने लिखा—
“कह दो अगर तुम मुझसे दूर जाना चाहते हो।”
तभी उसका मैसेज आया—
“पागल मत बनो। हर चीज़ में शक मत किया करो।”
मैंने रोते हुए लिखा—
“मैंने तुम्हें किसी और के साथ देखा।”
वो बोला—
“रिया को प्रोजेक्ट समझ नहीं आ रहा था। छोड़ने गया था बस।”
मैंने कहा—
“तो मुझे बताने में क्या दिक्कत थी?”
उसने इतनी ठंडी लाइन लिखी कि दिल चीर गया—
“हर बात बताना जरूरी नहीं होता…
थोड़ा मैच्योर बनो।”
मैं बस फूट-फूटकर रो पड़ी।
उसी रात हमारा पहला बड़ा झगड़ा हुआ
मैंने लिखा—
“क्या तुम मुझे प्यार करते भी हो?”
उसने लिखा—
“अभी ये सवाल मत पूछो… मैं थक गया हूँ।”
थक गया?
हमारे प्यार से?
या मुझसे?
मेरी उंगलियाँ काँप रही थीं।
दिल टूट रहा था, पर सवाल रुक नहीं रहे थे।
मैंने आखिरी बार पूछा—
“क्या रिया की वजह से तुम बदल गए हो?”
उसने जो जवाब दिया
वो मेरे लिए हथौड़े से कम नहीं था—
“अनन्या, तुम बहुत ओवरथिंक करती हो।
अगर ऐसे ही चलना है, तो ये रिश्ता मुश्किल हो जाएगा।”
यही था वो पल…
जहाँ मैंने समझ लिया कि
हमारा रिश्ता अब बच नहीं रहा।
उस रात के झगड़े ने
हमारे रिश्ते की नींव हिला दी थी।
पहले जो बातें हमें करीब लाती थीं,
अब वही बातें हमें एक-दूसरे से दूर कर रही थीं।
मैंने पूरी रात सोचा—
“क्या सच में मैं ओवरथिंक कर रही हूँ?”
“या वो बदल गया है… और मैं सच देखने से डर रही हूँ?”
सुबह आँखें भारी थीं,
दिल और भी भारी।
अगले दिन कॉलेज में जो हुआ… उसने मेरी सारी हिम्मत तोड़ दी
मैं क्लास के बाहर खड़ी थी
कि सामने से रिया और आर्यन आते हुए दिखे।
रिया हँसते हुए बोली—
“यार, कल तो बहुत मजा आया ना?”
और आर्यन मुस्कुराते हुए बोला—
“हाँ, बहुत।”
मेरे कदम वहीं रुक गए।
दिल धड़कने लगा,
आवाज़ें जैसे दूर होने लगीं।
कल मजा आया…?
तो उसने मुझसे झूठ बोला था।
वो रिया को “छोड़ने” नहीं गया था—
वो उसके साथ था
और मज़े कर रहा था।
मेरी आँखें भर आईं।
लेकिन मैंने खुद को सँभाला।
मैंने आर्यन से बात करने की कोशिश की… और दिल फिर टूट गया
मैंने धीरे से कहा—
“आर्यन, दो मिनट बात करोगे?”
वो बोला—
“अभी नहीं, क्लास है।”
पहले तो उसने मुझे देखकर ही मुस्कुरा दिया था,
आज मेरी आवाज़ सुनकर भी नहीं रुका।
रिश्ता किसी तीसरे की वजह से नहीं टूटता,
रिश्ता तब टूटता है
जब आपका इंसान
आपको नज़रअंदाज़ करने लगे।
कैंटीन में बैठी थी, तभी रिया मेरे पास आई
मैंने कभी सोचा नहीं था
कि वो खुद मेरे पास आएगी।
वो बोली—
“देखो अनन्या… मैं तुम्हें कुछ बताना चाहती हूँ।”
मैंने धीरे से कहा—
“हाँ?”
वो मेरी आँखों में देखकर बोली—
“मुझे और आर्यन को लेकर तुम गलत सोच रही हो।”
मेरा दिल तेज़ी से धड़कने लगा।
मैंने पूछा—
“मतलब?”
रिया ने गहरी साँस ली और कहा—
“मैं आर्यन को पसंद करती हूँ…
लेकिन आर्यन मुझे सिर्फ दोस्त समझता है।
वो तुम्हें सच में चाहता है।”
मैंने हैरानी से उसे देखा।
उसने आगे कहा—
“कल हम बस समय गुजार रहे थे,
लेकिन उसने तुम्हारे बारे में इतनी बातें बताईं कि…
मुझे समझ आ गया…
वो तुम्हें कितना मिस कर रहा है।”
मेरी आँखों में आँसू आ गए।
मैंने सोचा था रिया वजह है।
पर असल में…
वजह मेरे और आर्यन के बीच की दूरियाँ थीं।
रिया ने धीरे से कहा—
“तुम दोनों एक-दूसरे को खो दोगे
अगर यहीं मत रुके तो।”
वो चली गई…
लेकिन उसकी बातें मेरे दिल में उतर गईं।
अब मेरी बारी थी — सब गलतफहमियाँ दूर करने की
शाम को मैंने आर्यन को मैसेज किया—
“पहाड़ी पर मिलोगे?
एक बार बात करनी है।”
पहली बार उसने तुरंत लिखा—
“हाँ… आ रहा हूँ।”
जब वो आया,
शाम का सूरज ढल रहा था
और हवा ठंडी थी—
ठीक उस दिन जैसी
जब हम पहली बार यहाँ आए थे।
हम कुछ देर चुप रहे।
फिर मैंने धीरे से कहा—
“क्या हम दोनों बदल गए हैं?”
वो बोला—
“पता नहीं… शायद हाँ।”
मैंने कहा—
“रिया की वजह से?”
उसने सिर हिलाया—
“नहीं।
रिया बहुत अच्छी है…
लेकिन तुम… तुम मेरे लिए अलग हो।”
उसकी आवाज़ टूट रही थी।
मेरी आँखों में आँसू थे।
मैंने कहा—
“तो हम लड़ क्यों रहे हैं?”
वो बोला—
“शायद इसलिए कि हम दोनों एक-दूसरे को ज्यादा चाहते हैं।”
मुझे हँसी भी आई…
और आँसू भी।
हम दोनों रोते-रोते हँस दिए।
और पहली बार
उसने डरते हुए कहा—
“अनन्या…
क्या तुम मेरे साथ हो?
अभी भी?”
मैंने उसका हाथ पकड़कर कहा—
“हमेशा।”
उसने मुझे खींचकर गले लगा लिया।
बहुत देर तक…
जैसे सब दर्द बहता जा रहा हो।
उस पहाड़ी पर
शाम के उस आखिरी उजाले में
हमारी सारी गलतफहमियाँ
धीरे-धीरे मिटने लगीं।
पहाड़ी वाली उस शाम के बाद
मैं और आर्यन फिर से करीब आ गए।
गलतफहमियाँ दूर हो गई थीं,
दिल हल्का हो गया था,
और प्यार…
प्यार पहले से भी गहरा हो चुका था।
लेकिन कॉलेज लाइफ में
खुशियाँ कभी ज्यादा देर टिकती नहीं।
अब हमारा असली इम्तिहान शुरू होने वाला था—
Exams, Career और Future का।
एग्ज़ाम टाइम — हम दोनों का बदला हुआ रूप
पहले हम साथ पढ़ते थे,
अब पढ़ाई इतनी ज़रूरी हो चुकी थी कि
आर्यन खुद को रूम में बंद कर लेता था।
मैं उसे मैसेज करती—
“ब्रेक ले लो थोड़ा।”
वो लिखता—
“नहीं, मुझे फोकस करना है।”
मुझे उसकी कमी महसूस होती थी,
लेकिन मैं उसके सपने से बड़ी नहीं बनना चाहती थी।
कई बार हम दिन भर बात नहीं करते थे।
लेकिन रात को एक छोटा सा मैसेज आता—
“Good night… proud of you.”
और वही मैसेज
मेरे लिए काफी होता था।
लेकिन फिर आया वो दिन… जब सब खत्म होने जैसा लगा
एक हफ्ते बाद
आर्यन बहुत अजीब सा दिख रहा था—
नींद नहीं, भूख नहीं, बस टेंशन।
मैंने पूछा—
“क्या हुआ?”
वो बोला—
“अनन्या… मुझे एक बड़े कॉलेज से स्कॉलरशिप मिल सकती है।
लेकिन वो शहर बहुत दूर है…
और मुझे वहीं शिफ्ट होना पड़ेगा।”
मेरी सांस रुक सी गई।
दूर शहर…
मतलब हमारी रोज़ की मुलाकातें नहीं।
हमारी शामें नहीं।
हमारी पहाड़ी नहीं।
मैंने धीरे से पूछा—
“तो तुम क्या सोच रहे हो?”
उसने सिर नीचे कर लिया—
“मैं Confused हूँ…”
मैंने दिल पर हाथ रखकर कहा—
“अगर ये मौका तुम्हारे करियर के लिए सही है…
तो जाना चाहिए।”
मेरे होंठ मुस्कुरा रहे थे,
लेकिन अंदर दिल काँप रहा था।
शायद किस्मत को हमें फिर से आज़माना था
दो दिन बाद
उसका फाइनल इंटरव्यू था।
वो बस स्टॉप पर खड़ा था,
मैं उसके पास गई और बोली—
“लाइफ तुम्हें जहाँ ले जा रही है,
वहाँ जाओ…
मैं हमेशा साथ हूँ।”
उसने मेरी आँखों में देखा और कहा—
“क्या तुम Long Distance संभाल लोगी?”
मैं हँस पड़ी—
“अगर तुम्हें झेल सकती हूँ
तो ये भी झेल लूँगी।”
वो भी हँसा।
लेकिन उसकी आँखों में हल्की नमी थी।
इंटरव्यू के बाद… आर्यन ने मुझे कॉल नहीं किया
मैं पूरा दिन फोन हाथ में लेकर बैठी रही।
न कॉल, न मैसेज, कुछ नहीं।
शाम होते-होते
दिल घबराने लगा।
आखिर रात 9 बजे उसका मैसेज आया—
“छत पर आ सकती हो? जरूरी है।”
मैं भागती हुई गई।
उसकी आँखें लाल थीं,
चेहरा थका हुआ था।
मैंने पूछा—
“क्या हुआ?”
वो बोला—
“अनन्या…
मुझे Admission मिल गया है।”
मैं खुश होने लगी
पर वो आगे बोला—
“लेकिन मुझे Addmission के साथ Hostel मिल रहा है…
और मैं अगले महीने जाना पड़ेगा।”
मेरे कदम वहीं रुक गए।
पलभर के लिए सब शांत हो गया।
फिर उसने वो बात कही
जिसने मेरा दिल चीर दिया—
“अगर तुम चाहो…
तो हम यहीं ये सब खत्म कर दें।”
मुझे लगा
जैसे दिल जमीन पर गिर गया हो।
मैंने धीरे से पूछा—
“क्या तुम मुझसे दूर जाना चाहते हो?”
वो बोला—
“नहीं…
लेकिन मैं तुम्हें दुख में नहीं रखना चाहता।”
मेरी आँखों से आँसू बहने लगे।
मैं उसके पास गई
और हाथ पकड़कर कहा—
“प्यार दूरी से नहीं टूटता,
प्यार टूटता है छोड़ देने से।”
मैंने उसकी हथेली कसकर पकड़ी—
“अगर तुम नहीं छोड़ोगे,
तो मैं कभी नहीं छोड़ूँगी।”
आर्यन की आँखे भर आईं।
उसने मुझे जोर से गले लगा लिया।
Graduation Day — हमारी कहानी का सबसे खूबसूरत अंत
1 साल बाद,
उसका कॉलेज पूरा हुआ,
मेरा भी।
वो मिलने आया—
उसी पहाड़ी पर,
जहाँ हम पहली बार करीब आए थे।
हवा पहले जैसी,
सूरज पहले जैसा,
पर हम…
हम पहले से ज्यादा मजबूत।
वो मेरी आँखों में देखकर बोला—
“Long Distance मुश्किल था…
लेकिन तुम्हारे बिना जीना उससे भी ज्यादा।”
वो घुटनों पर बैठ गया—
“अनन्या…
क्या तुम मेरी ज़िंदगी बनोगी?”
मेरी आँखों से खुशी के आँसू निकल आए।
मैंने मुस्कुराकर कहा—
“Yes… हमेशा।”
उसने मुझे कसकर गले लगाया
और उसी शाम
हमारी College Love Story
हैप्पी एंडिंग के साथ पूरी हो गई।















