मेरा नाम आर्यन है। मेरी कहानी किसी और की नहीं, बल्कि मेरी सबसे बड़ी ताक़त और मेरी सबसे बड़ी कमज़ोरी की है। मेरी ताक़त और कमज़ोरी, दोनों ही सोनम थी।
सोनम मेरी ज़िंदगी में उस वक़्त आई, जब मुझे लगा कि मेरी दुनिया में रंगों की कमी है। वह इतनी ज़िंदादिल, इतनी बेफ़िक्र थी कि उसके साथ रहना ही एक रोमांच था। मैंने उसे अपना सब कुछ दे दिया—मेरा भरोसा, मेरी वफ़ादारी, और मेरा दिल, जिसे मैंने अपने दिल के सबसे सुरक्षित लॉकर में रखा था।
हमारा प्यार ज़ोरदार नहीं था, लेकिन वह गहरा और अटूट था। मैंने उसके साथ अपने जीवन के सारे सपने देखे थे—एक छोटा-सा घर, जहाँ हर शाम उसकी चाय की ख़ुशबू आएगी, और एक ऐसी ज़िंदगी, जहाँ हम बुढ़ापे तक एक-दूसरे का हाथ थामे रहेंगे।
सोनम हमेशा कहती थी, “आर्यन, तुम मेरी सबसे शांत जगह हो।” और मैं मानता था कि मैं उसके लिए वह सबसे ज़रूरी शख़्स हूँ, जिसके बिना वह अधूरी है। मेरे लिए, वह मेरी पूरी दुनिया थी, और मैं यक़ीन करता था कि मैं उसकी दुनिया का केंद्र हूँ।
लेकिन पिछले छह महीनों में, चीज़ें धीरे-धीरे बदलने लगीं। सोनम व्यस्त रहने लगी। उसने मुझसे आँखें मिलाना कम कर दिया। हमारे झगड़े होने लगे, जो हमेशा उसकी नाराज़गी से शुरू होते थे और मेरी माफ़ी पर ख़त्म होते थे। जब भी मैं पूछता, “क्या हुआ है?” तो उसका एक ही जवाब होता था, “कुछ नहीं, तुम ज़्यादा सोचते हो।”
उसका जवाब मुझे शांत कर देता था, लेकिन मेरे दिल में एक अजीब-सी घबराहट बढ़ती जा रही थी। मुझे पता था कि कुछ तो है जो वह मुझसे छिपा रही है। मैंने ख़ुद को दिलासा दिया कि शायद वह काम में व्यस्त है, शायद मैं ही ज़्यादा संवेदनशील हूँ।
मैंने इंतज़ार किया, मैंने कोशिश की कि मैं उस पर ज़्यादा दबाव न डालूँ। मैं रोज़ रात को यह प्रार्थना करता था कि अगली सुबह सब ठीक हो जाए, और सोनम फिर से मेरी हो जाए, जैसी वह पहले थी।
लेकिन मेरे दिल की गहराई में एक डर बैठ गया था—वह डर कि जिस दुनिया को मैंने अपने हाथों से इतनी सावधानी से बनाया है, वह एक पल में रेत के महल की तरह ढह सकती है।
एक शाम, मेरे फ़ोन पर उसका मैसेज आया। उसमें सिर्फ़ एक लाइन लिखी थी, जिसने मेरी सारी उम्मीदें तोड़ दीं: “आर्यन, हमें आख़िरी बार मिलना है। आज शाम, उसी कॉफ़ी शॉप पर।”
मेरे हाथ काँपने लगे। मुझे पता था कि ‘आख़िरी बार’ का मतलब क्या है। मेरी दुनिया की सबसे ऊँची इमारत अब गिरने वाली थी, और मैं बस असहाय होकर यह सब देखने वाला था।
मैं काँपते हुए उस कॉफ़ी शॉप पर पहुँचा। यह वही जगह थी जहाँ हमने पहली बार एक-दूसरे का हाथ थामा था। हर मेज, हर कोना, हमारे प्यार की कहानी सुना रहा था।
सोनम पहले से वहाँ बैठी थी। उसने मुझे देखकर हल्का-सा सिर उठाया, लेकिन उस उठान में वह पुरानी उत्सुकता नहीं थी।
मैं उसके सामने बैठ गया। मैं कुछ कह नहीं पाया, मेरे गले में शब्द अटक गए थे। उसकी ख़ामोशी कमरे के संगीत से भी ज़्यादा तेज़ थी।
“सोनम… तुम ठीक तो हो?” मैंने बड़ी मुश्किल से पूछा।
सोनम ने मेरी तरफ़ देखा। उसकी आँखें साफ़ थीं, उनमें कोई आँसू नहीं थे, कोई उदासी नहीं थी—बस एक अजीब-सी शांति थी, जो मुझे और डरा रही थी।
उसने अपनी कॉफ़ी का कप उठाया, एक घूँट लिया और फिर धीरे से कप नीचे रखा। फिर उसने अपने होंठों पर एक ऐसी अभिव्यक्ति लाई, जिसे मैं कभी नहीं भूल सकता—एक शांत, लगभग बेपरवाह मुस्कान।
उसने मुस्कुराते हुए कहा, “आर्यन, हम ख़त्म हो गए।”
मेरे कानों में उसकी बात गूँज गई। “क्या… क्या कह रही हो, सोनम? क्या हो गया है अचानक?”
सोनम की मुस्कान और गहरी हुई। वह मुस्कान इतनी शांत थी कि उसमें ज़रा भी दर्द नहीं झलका, जिससे मुझे लगा कि वह इस फ़ैसले से पूरी तरह से संतुष्ट है।
उसने दोहराया, अपनी आवाज़ को स्थिर रखते हुए, “मैं बस यह कहना चाहती थी कि अब तुम मेरे नहीं रहे। मैं आगे बढ़ गई हूँ। मैंने किसी और को चुन लिया है। और सच कहूँ, तो यह फ़ैसला लेना मेरे लिए उतना मुश्किल नहीं था जितना मैंने सोचा था।”
उसकी बात सुनकर, मेरे शरीर में ख़ून जम गया। ‘किसी और को चुन लिया!’ और ‘मुश्किल नहीं था!’
मैंने उस मुस्कान को देखा, जिसने मेरा दिल तोड़ दिया था। वह मुस्कान बता रही थी कि हमारे चार साल के रिश्ते का उसके लिए कोई महत्व नहीं था। उसने मेरे प्यार को इतना हल्का समझा कि इसे ख़त्म करने के लिए उसे एक आँसू भी बहाना ज़रूरी नहीं लगा।
मैंने अपने गले से दर्द को नीचे धकेला। “ठीक है,” मैंने टूटी हुई आवाज़ में कहा। “मुझे यह जानने का हक़ है… क्या मेरा प्यार काफ़ी नहीं था? क्या मैंने तुम्हें कभी… पूरी दुनिया नहीं दी?”
सोनम ने अपने बाल सँवारे और फिर उसी हल्की, बेपरवाह मुस्कान के साथ कहा:
“आर्यन, तुम बहुत अच्छे हो, और तुम्हारा प्यार सच्चा है। लेकिन मैं बदल गई हूँ, और मुझे अब तुम्हारा साथ नहीं चाहिए। यह फ़ैसला मेरा है, और मैं ख़ुश हूँ।”
उसकी मुस्कान ने मुझे एहसास कराया कि मैं उसके लिए कभी प्यार नहीं था, बस एक रुकावट था जिसे उसने पार कर लिया था।
वह खड़ी हुई। उसने मुझे एक आख़िरी बार देखा, अपनी कुर्सी पीछे खींची, और मेरी तरफ़ देखती रही, अपनी मुस्कान नहीं छोड़ी।
मैंने उसे जाने दिया। मैं वहीं बैठा रहा, उस कॉफ़ी शॉप में, जहाँ हमारी कहानी शुरू हुई थी, और जहाँ सोनम ने मुस्कुराकर मेरी दुनिया को हमेशा के लिए ख़त्म कर दिया था।
सोनम के जाने के बाद, मैं वहीं बैठा रहा। मेरे शरीर में कोई हलचल नहीं थी, लेकिन मेरे अंदर एक भयानक तूफ़ान चल रहा था। मेरा दिल टूटकर चूर हो चुका था, लेकिन सबसे ज़्यादा तकलीफ़ मुझे उस मुस्कान ने दी।
आँसू बाद में आए, लेकिन पहले वह असहनीय शांति आई जो तब होती है जब आपकी आत्मा का कोई हिस्सा आपसे छीन लिया जाता है।
मैं घर पहुँचा। मेरा कमरा, जो कभी मेरी सबसे शांत जगह था, अब एक खाली और गूँजने वाली गुफा जैसा लग रहा था। मैंने फ़ोन उठाया और सोनम को कॉल करने की कोशिश की, फिर मुझे उसकी मुस्कान याद आई—वह शांत, बेपरवाह मुस्कान। मुझे एहसास हुआ कि वह अब चली गई है, और उसे मेरी तकलीफ़ से कोई फ़र्क नहीं पड़ता।
अगले कई हफ़्तों तक, मैंने उस मुस्कान को अपने दिमाग़ से निकालने की कोशिश की। मैं रोया, मैंने ख़ुद को अकेला रखा। मैं हर रात उस सवाल से जूझता था: “वह कैसे इतनी आसानी से, मुस्कुराते हुए, सब कुछ ख़त्म कर सकती है?”
मुझे लगता था कि अगर वह रोती, अगर वह उदास होती, तो मुझे कम दर्द होता। कम से कम मुझे यह तसल्ली होती कि उसे मेरे जाने का अफ़सोस है। लेकिन उस मुस्कान ने मुझे सिखाया कि मैं उसके लिए कभी उतना ज़रूरी था ही नहीं। मैं बस एक अध्याय था, जिसे उसने बिना किसी पछतावे के, बिना किसी भावना के बंद कर दिया था।
धीरे-धीरे, मैंने जीना सीखा। मैंने अपनी भावनाओं को दबाया।
लेकिन उस मुस्कान का घाव हमेशा रहा। जब भी मैं किसी को हँसते हुए देखता, तो मुझे सोनम की वह मुस्कान याद आती, और मेरे अंदर का घाव फिर से हरा हो जाता। वह मुस्कान मेरे लिए नफ़रत या ग़ुस्से का प्रतीक नहीं बनी, बल्कि अस्वीकार्यता का प्रतीक बनी—एक गहरी अस्वीकार्यता, जिसने मेरे आत्मविश्वास को पूरी तरह तोड़ दिया।
आज, मैं आगे बढ़ गया हूँ। मैं काम करता हूँ, लोगों से मिलता हूँ। लेकिन अब मैं प्यार पर भरोसा नहीं कर पाता। जब कोई मेरे करीब आने की कोशिश करता है, तो मुझे डर लगता है। मुझे डर लगता है कि कहीं मैं फिर से किसी के लिए एक छोटा-सा अध्याय न बन जाऊँ, जिसे वह मुस्कुराकर ख़त्म कर दे।
सोनम ने मेरे रिश्ते को तोड़ दिया, लेकिन उसने अनजाने में मुझे एक कड़वा सबक़ सिखाया: किसी पर इतना भरोसा मत करो कि उसके चले जाने पर तुम्हारी ज़िंदगी ही ख़त्म हो जाए।
उसकी आख़िरी मुस्कान मेरे दिल पर एक स्थायी निशान है, जो मुझे हर रोज़ याद दिलाता है कि सबसे बड़ा दर्द वह नहीं होता जो रोने से आता है, बल्कि वह होता है जो मुस्कुराकर दिया जाता है।















