मेरा नाम शिव मिश्रा है। मैं 22 साल का, ऊर्जा से भरा, लेकिन दुनियादारी में कच्चा एक इंजीनियरिंग ग्रैजुएट। मैंने अभी-अभी देश के सबसे तेज़ी से बढ़ते रिन्यूएबल एनर्जी स्टार्टअप, ‘ग्रीनवेव टेक’ में इंटर्नशिप शुरू की थी। मेरा पद सबसे छोटा था, मेरा अनुभव शून्य।
और मेरी बॉस थीं मानवी कपूर।
मानवी 30 साल की थीं, कंपनी की सीईओ और को-फाउंडर। वह एक पावरहाउस थीं—हमेशा काले या नेवी ब्लू सूट में, उनकी आवाज़ आत्मविश्वास से भरी, और उनकी बुद्धि बिजली की तेज़ी से काम करती थी। मानवी मेरे लिए किसी दूर के ‘जुपिटर’ ग्रह जैसी थीं: बड़ी, भव्य और पहुँच से बाहर।
पहले ही हफ़्ते, मेरी उनसे सीधी मुलाक़ात हुई, जिसे मैं कभी नहीं भूल सकता।
मैं गलती से एक बड़ी क्लाइंट मीटिंग में पानी गिरा बैठा, और वह पानी मानवी के लैपटॉप पर चला गया। मेरे हाथ-पाँव फूल गए। मैं तुरंत माफ़ी माँगने लगा।
मानवी शांत रहीं। उन्होंने मेरी ओर देखा, और उनकी आँखें मुझे नाप रही थीं। “तुम घबराओ मत, कबीर। लैपटॉप में बैकअप है। लेकिन एक बात याद रखना: इंजीनियरिंग में ग़लतियाँ महँगी पड़ती हैं। पानी की एक बूँद, पूरे सिस्टम को शटडाउन कर सकती है।”
वह उठकर बाहर चली गईं, और मुझे लगा जैसे उन्होंने मेरा करियर भी शटडाउन कर दिया है।
अगले दिन, मैंने सुबह 7 बजे ही ऑफिस पहुँचकर, उनका काम आसान करने के लिए सभी प्रेजेंटेशन फाइल्स को व्यवस्थित कर दिया। मैं उनके कैबिन के बाहर खड़ा था जब वह आईं।
“तुम यहाँ क्या कर रहे हो?” उन्होंने पूछा। “मैम, मैं कल की ग़लती के लिए माफ़ी माँगना चाहता था, और मैंने फाइल्स को क्लाउड पर ट्रांसफर कर दिया है।”
उन्होंने मेरी ओर देखा, और इस बार उनकी नज़रों में हल्की-सी प्रशंसा थी। “तुम मेहनती हो, कबीर। लेकिन अब यहाँ से जाओ और अपनी कॉफ़ी पियो। देर रात तक काम करना सिर्फ दिखावा नहीं होना चाहिए, यह तुम्हारी आदत बननी चाहिए।”
वह चली गईं, और मैं स्तब्ध रह गया। उनकी डाँट में भी एक अजीब-सा आकर्षण था। वह न स तरफ़ मेरी बॉस थीं, बल्कि मेरी सबसे बड़ी प्रेरणा भी थीं।
धीरे-धीरे, मुझे पता चला कि मानवी कितनी अकेली हैं। वह इतनी ऊँची पोस्ट पर थीं कि कोई उनसे खुलकर बात नहीं करता था। सब उनसे डरते थे। मैं अकेला था, जिसके पास खोने के लिए कुछ नहीं था, इसलिए मैं उनसे सीधे बात करता था—काम के बारे में, उनके विचारों के बारे में।
एक शाम, जब वह देर रात को काम कर रही थीं, मैंने हिम्मत करके उनके लिए एक मग में हर्बल टी रखी, न कि कॉफ़ी, क्योंकि मैंने सुना था कि उन्हें अनिद्रा की समस्या है।
उन्होंने चाय को देखा, फिर मुझे देखा। “तुम्हें कैसे पता कि मुझे कॉफ़ी नहीं, यह चाहिए?”
“मैम, मैंने सुना था… और मुझे लगा कि आपको थोड़ी शांति चाहिए।”
वह मुस्कुराईं, और उनकी मुस्कान सूरज की पहली किरण जैसी थी—दुर्लभ और अद्भुत। “धन्यवाद, कबीर। शायद मुझे भी मेरी ज़िंदगी में थोड़े ‘जेनरेटर्स’ की नहीं, बल्कि ‘शांति’ की ज़रूरत है।”
उस दिन, मैंने ठान लिया कि मैं इस ‘जुपिटर’ ग्रह तक पहुँचकर रहूँगा। मेरे दिल में उस 30 वर्षीय बॉस के लिए प्यार और सम्मान का एक ऐसा कॉकटेल बन चुका था, जिसने मेरे 22 वर्षीय दिमाग को पूरी तरह से अव्यवस्थित कर दिया था।
मानवी को हर्बल टी देने के बाद, हमारे बीच एक अजीब-सी नज़दीकी आ गई थी। ऑफिस में हम अभी भी ‘सीईओ और इंटर्न’ थे, लेकिन पर्दे के पीछे हमारे रिश्ते में एक अनकहा तालमेल बन रहा था।
मानवी ने मुझे एक व्यक्तिगत प्रोजेक्ट पर काम करने को दिया, जिसके लिए हमें अक्सर देर रात तक साथ बैठना पड़ता था। यह प्रोजेक्ट मेरे करियर के लिए महत्वपूर्ण था, लेकिन मेरे लिए यह मानवी के साथ समय बिताने का बहाना था।
देर रात की हमारी बातचीत अब सिर्फ़ रिन्यूएबल एनर्जी की नहीं होती थी।
एक रात, मैंने उनसे पूछा, “मानवी… क्या आपको कभी लगता है कि आप अपनी उम्र से ज़्यादा काम कर रही हैं?”
वह हँसीं, “यह अच्छा सवाल है, कबीर। मुझे कभी-कभी लगता है कि मैं अपनी उम्र से 10 साल आगे हूँ… और तुम अपनी उम्र से 10 साल पीछे हो।”
“मैं ऐसा क्यों हूँ?” मैंने उत्सुकता से पूछा।
“तुम बहुत उत्साहित हो, बहुत मासूम हो। तुम दुनिया को देखते हो, लेकिन उसकी कड़वाहट को समझते नहीं हो। यह अच्छी बात है, लेकिन कॉर्पोरेट जगत में यह तुम्हें चोट पहुँचा सकता है।”
मैंने साहस जुटाया, “और क्या आपको नहीं लगता कि आपकी ’10 साल आगे की’ गंभीरता, आपकी व्यक्तिगत ज़िंदगी को चोट पहुँचा रही है?”
मानवी स्तब्ध रह गईं। उन्होंने ग्लास में बचा पानी पिया, और अपनी नज़रें झुका लीं। “तुम बहुत साहसी हो, कबीर। इतना साहस तुम्हें हमेशा आगे ले जाएगा।”
एक वीकेंड पर, कंपनी ने एक टीम आउटिंग रखी। यह पहला मौक़ा था जब मैंने मानवी को उनके प्रोफेशनल कवच के बिना देखा—एक साधारण डेनिम और टी-शर्ट में। वह खूबसूरत लग रही थीं।
हम एक साथ लंबी वॉक पर निकले। सब लोग दूर थे।
मानवी ने धीरे से कहा, “तुम जानते हो, कबीर, बाहर सब यही बात कर रहे होंगे कि मैं तुम्हें क्यों इतना समय देती हूँ। ‘एज गैप’, ‘सीईओ-इंटर्न’, ‘कॉन्फ़्लिक्ट ऑफ़ इंटरेस्ट’।”
“मुझे परवाह नहीं है,” मैंने तुरंत कहा। “मुझे सिर्फ़ आपकी परवाह है। और मेरे लिए, उम्र सिर्फ़ एक संख्या है… अनुभव के सामने।”
मैंने रुककर गहरी साँस ली, “मैं आपके जुनून से प्यार करता हूँ, आपके साहस से प्यार करता हूँ, और उस इंसान से प्यार करता हूँ जो आप इस सूट के पीछे छुपाती हैं।”
मानवी रुक गईं, और मेरी ओर देखा। उनकी आँखें अब नमी से भरी थीं। “तुम एक मुश्किल इंसान हो, कबीर,” उन्होंने कहा। “तुम हर वो चीज़ कहते हो जो मैं सुनना नहीं चाहती, लेकिन मुझे सुनना पड़ता है। तुम वो ‘ख़तरा’ हो जिसे मैं अपनी ज़िंदगी में नहीं ले सकती, लेकिन… जिसे मैं दूर भी नहीं कर सकती।”
उन्होंने अपना हाथ बढ़ाया और मेरे गाल को छुआ। वह छूना 8 साल के फ़ासले को मिटा गया।
“कबीर,” उनकी आवाज़ काँप रही थी, “तुम बहुत छोटे हो। और मैं… मैं तुम्हारे साथ यह रिस्क नहीं ले सकती। यह मेरे करियर के लिए बहुत कुछ दाँव पर लगा सकता है। लेकिन… मुझे भी यह डर है कि अगर मैंने तुम्हें अभी जाने दिया, तो मैं शायद अपने जीवन का सबसे अच्छा ‘इन्वेस्टमेंट’ खो दूँगी।”
उस रात, हमारा रिश्ता एक नाजुक संतुलन पर टिका था। हम एक-दूसरे को चाहते थे, लेकिन ‘बॉस और इंटर्न’ का टैग और ‘एज गैप’ की सामाजिक सीमाएँ हम दोनों को रोक रही थीं। अब हमें इस बंधन को तोड़कर एक साथ आने का हल खोजना था।
इंटर्नशिप के आख़िरी हफ़्ते, हमारी स्थिति असहनीय हो गई थी। ऑफिस में तनाव इतना बढ़ गया था कि लोगों ने हमारी नज़दीकी पर फुसफुसाना शुरू कर दिया। मानवी पर दबाव बढ़ रहा था।
एक दिन, एचआर हेड ने मानवी से औपचारिक रूप से पूछा कि क्या वह कबीर को पूर्णकालिक (Full-time) नौकरी दे रही हैं। मानवी ने सीधे जवाब दिया, “नहीं।”
यह सुनकर मेरा दिल टूट गया। मुझे लगा कि उन्होंने हमारे रिश्ते की कीमत पर अपना करियर चुन लिया।
शाम को, मैं मानवी के कैबिन में गया। वह अपनी मेज़ पर बैठी थीं, उनका चेहरा थका हुआ था। “तुमने मुझे नौकरी क्यों नहीं दी?” मैंने पूछा, मेरी आवाज़ में नाराज़गी थी।
मानवी ने अपनी आँखें उठाईं, “क्योंकि मैं तुम्हारी इंटर्नशिप से तुम्हारे करियर को परिभाषित नहीं होने देना चाहती थी। लोग कहते कि तुमने ‘सीईओ की सिफ़ारिश’ से नौकरी पाई है।”
“लेकिन इससे हमारा क्या होगा?” मैंने पूछा। “यह तो एक अंत है।”
मानवी उठीं और मेरे पास आईं। उनकी आँखों में वही दृढ़ संकल्प था जो मैंने पहली बार उनमें देखा था। “नहीं, कबीर। यह अंत नहीं है, यह नया आर्किटेक्चर है।”
अगले दिन, ‘ग्रीनवेव टेक’ की बोर्ड मीटिंग थी। मानवी को कंपनी के सबसे बड़े प्रोजेक्ट का नेतृत्व करने के लिए वोट मिलना था।
मीटिंग शुरू हुई, और मानवी ने अपनी प्रेजेंटेशन दी। वह शानदार थीं, हर सवाल का जवाब आत्मविश्वास से दे रही थीं।
प्रेजेंटेशन के अंत में, बोर्ड के चेयरमैन ने उनसे पूछा, “मानवी, हम आपकी क्षमता पर पूरा भरोसा करते हैं। लेकिन हमें एक बात स्पष्ट करनी है—आपका और कबीर का रिश्ता कंपनी में एक अनैतिक माहौल बना रहा है। आप इस पर क्या कहेंगी?”
मानवी ने एक गहरी साँस ली, “मैं स्वीकार करती हूँ कि मेरा और कबीर का रिश्ता है। लेकिन मैं यह भी दावा करती हूँ कि यह रिश्ता मेरे किसी भी फ़ैसले को प्रभावित नहीं करता।”
वह रुकीं और मंच पर खड़ी रहीं, “लेकिन मैं नहीं चाहती कि मेरे सबसे बेहतरीन इंटर्न—जो भविष्य का लीडर है—या मेरी खुद की इंटीग्रिटी पर कोई सवाल उठे। इसलिए, मैंने एक फ़ैसला लिया है।”
उन्होंने मेरी ओर देखा, और उनकी आँखों में एक असाधारण चमक थी। “मैं ‘ग्रीनवेव टेक’ के सीईओ पद से इस्तीफ़ा देती हूँ।”
पूरे हॉल में सन्नाटा छा गया। 30 साल की मानवी ने 22 साल के इंटर्न के लिए अपना पद छोड़ दिया!
मानवी ने माइक मेरे हाथ में दिया। मैं मंच पर खड़ा था, मेरे दिमाग में तूफ़ान चल रहा था।
“मानवी ने मुझे सिखाया कि इंजीनियरिंग में ग़लतियाँ महंगी पड़ती हैं। लेकिन मैं भी उन्हें सिखाना चाहता हूँ कि प्यार में रिस्क लेना सबसे बड़ा रिवॉर्ड देता है।”
मैंने अपनी बात पूरी की, “आज, हम दोनों ने एक बड़ा फ़ैसला लिया है। हम दोनों मिलकर एक नई रिन्यूएबल एनर्जी कंसल्टिंग फ़र्म शुरू कर रहे हैं। मानवी की विशेषज्ञता और मेरे जुनून को मिलाकर, हम एक ऐसी कंपनी बनाएंगे जो सिर्फ़ एनर्जी नहीं, बल्कि भविष्य बनाएगी।”
मैंने मानवी की ओर देखा, “अब, न तुम मेरी बॉस हो, न मैं तुम्हारा इंटर्न। हम बराबर के पार्टनर हैं। और 8 साल का फ़ासला? यह सिर्फ़ 8 साल का अतिरिक्त अनुभव है, जो हमारे बिज़नेस को और मज़बूत बनाएगा।”
मानवी ने सबके सामने मेरा हाथ पकड़ा। उनकी आँखों में आँसू थे, लेकिन वे खुशी के थे। उन्होंने दुनिया को दिखा दिया था कि करियर उनके लिए ज़रूरी था, लेकिन मैं उनकी ज़िंदगी की सबसे बड़ी और ज़रूरी ‘एनर्जी’ था।
मेरा ऑफिस रोमांस एक ‘सीईओ-इंटर्न’ ड्रामा से शुरू हुआ, लेकिन ख़त्म हुआ एक ऐसी साझेदारी में जहाँ हम दोनों अपने-अपने जुनून को समान रूप से आगे बढ़ा सकते थे। अब, मेरी ‘जुपिटर’ मेरे साथ, मेरी धरती पर थी।















