मेरा नाम अंकुर है। और मैं अपने बचपन के प्यार नेहा से शादी कर ली | अब बहुत हु

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मेरा नाम अंकुर है। मैं अक्सर सोचता हूँ कि क्या हर प्रेम कहानी में कोई ‘हीरो’ होता है? अगर होता है, तो मेरी कहानी का ‘हीरो’ मैं नहीं, बल्कि मेरा इंतज़ार था।

मेरी कहानी की शुरुआत मेरी सबसे अच्छी दोस्त नेहा से होती है। नेहा और मैं बचपन से साथ हैं—एक ही बिल्डिंग में रहते थे, एक ही स्कूल में पढ़ते थे, और हमारे बीच कोई राज़ नहीं था। कम से कम नेहा के लिए!

नेहा मुझे अपना सबसे अच्छा दोस्त मानती थी। और मैं? मैं उसे बचपन से ही अपनी पूरी दुनिया मानता था। लेकिन यह सच मैंने हमेशा दोस्ती की मोटी चादर के नीचे छिपाकर रखा। मुझे डर था कि अगर मैंने ज़रा सा भी इशारा किया, तो शायद वह मुझसे दूर हो जाएगी। और उसकी दोस्ती खोने का डर, उसके प्यार को पाने की इच्छा से कहीं ज़्यादा बड़ा था।

मुझे याद है, जब हम सातवीं कक्षा में थे, तो नेहा ने पहली बार किसी लड़के के बारे में बात की—हमारी क्लास का सबसे शरारती लड़का। उसने मुझसे पूछा, “अंकुर, वह कैसा है?” मेरे दिल में एक चुभन हुई, पर मैंने अपना दर्द छिपाया और कहा, “अच्छा है।” उस दिन मैंने चुपचाप घर आकर अपनी डायरी में लिखा था: ‘मैं उसका सबसे अच्छा दोस्त हूँ, लेकिन उसकी पहली पसंद कभी नहीं बन पाऊँगा।’

नेहा मेरी हर छोटी-बड़ी चीज़ मुझसे शेयर करती थी। जब वह किसी लड़के से बात करती या किसी पर गुस्सा होती, तो सबसे पहले मेरे पास आती। मैं उसकी बातें सुनता, उसे सलाह देता, और हर बार ख़ुद को समझाता कि ‘दोस्त बनकर रहना ही तेरी किस्मत है, अंकुर।’

स्कूल के बाद, जब नेहा कॉलेज जाने लगी, तो मैंने उससे दूर रहने की कोशिश की, ताकि मैं अपने दिल पर क़ाबू पा सकूँ। मैंने उसके फ़ोन कॉल्स का जवाब देना कम कर दिया। एक दिन वह ख़ुद मेरे घर आई, और उसके चेहरे पर आँसू थे।

“क्या हुआ, अंकुर? क्या तुम मुझसे नाराज़ हो? तुम आजकल बात क्यों नहीं करते?” उसने पूछा।

उसकी आँख में आँसू देखकर मेरा दिल टूट गया। मैं अपनी सारी हिम्मत हार गया। मैं जानता था कि मैं उससे दूर नहीं रह सकता। मैंने तुरंत उसे गले लगाया और कहा, “नहीं, नेहा! मैं कभी तुमसे नाराज़ नहीं हो सकता। शायद मैं पढ़ाई में थोड़ा व्यस्त हूँ।”

उस दिन मुझे एहसास हुआ कि मैं चाहे कितनी भी कोशिश कर लूँ, मैं नेहा के जीवन से दूर नहीं जा सकता। और मुझे यह भी समझ आ गया कि मेरा प्यार एकतरफ़ा हो सकता है, लेकिन मेरा साथ और मेरी दोस्ती उसके लिए हमेशा अटूट रहेगी। और तब मैंने तय किया—ठीक है, अगर मैं उसका पति नहीं बन सकता, तो मैं उसका सबसे मज़बूत दोस्त बनूँगा।

कॉलेज के शुरुआती साल मेरे लिए मुश्किल थे। मैं नेहा से दूर था, लेकिन हर रोज़ उसके जीवन में मौजूद था—सिर्फ़ एक दोस्त बनकर।

इस दौरान, नेहा ने एक लड़के को डेट करना शुरू किया। मुझे याद है, जिस दिन उसने मुझे फ़ोन करके यह ख़ुशी की ख़बर दी थी, मैंने फ़ोन पर ‘बधाई’ कहा, लेकिन मेरे दिल में एक अजीब सा सूनापन छा गया था। मैं जानता था कि मुझे खुश होना चाहिए, लेकिन मेरे अंदर का प्यार सिसक रहा था। उस रात मैं बहुत देर तक सोया नहीं। मैंने खुद को समझाया, “अंकुर, अगर वह खुश है, तो तुझे भी खुश होना चाहिए। तेरा प्यार उसका साथ देने में है, उसे पाने में नहीं।”

अगले डेढ़ साल, मैंने सिर्फ़ नेहा को ख़ुश देखा। जब वह ख़ुश होती, तो मैं भी ख़ुश होता। जब वह उस लड़के के लिए मेरे पास सलाह लेने आती, तो मैं एक सच्चा दोस्त बनकर उसे सही सलाह देता। यह मेरे लिए एक अग्निपरीक्षा थी—अपने दिल के दर्द को छिपाकर, उसी इंसान की मदद करना, जिससे मैं बेइंतहा प्यार करता था।

लेकिन कहते हैं न, सच्चा प्यार हमेशा दर्द को पहचान लेता है।

डेढ़ साल बाद, नेहा का ब्रेकअप हो गया। वह लड़का उसे धोखा देकर चला गया।

वह मेरे पास टूटकर आई। वह मेरे कंधे पर सिर रखकर बहुत रोई। उसने सिर्फ़ इतना कहा, “अंकुर, तुम ही थे जो हमेशा सही थे। मुझे उस पर विश्वास नहीं करना चाहिए था।” उसकी हालत देखकर मेरा दिल अंदर से कराह उठा। मैं जानता था कि मेरा दिल अब उससे यह कह सकता था कि ‘मैंने तुम्हें पहले ही चेताया था,’ या ‘मैं तुमसे प्यार करता हूँ, अब मेरे पास आ जाओ।’ पर मैंने कुछ नहीं कहा।

मैंने सिर्फ़ उसका हाथ पकड़ा, और दोस्त की तरह कहा, “नेहा, जो हो गया, उसे भूल जा। तू दुनिया की सबसे प्यारी और मज़बूत लड़की है। मैं तुम्हारे साथ हूँ, हमेशा।”

मैंने उसे उस दर्द से बाहर निकाला। रात-रात भर जागकर उसे फ़ोन पर कहानियाँ सुनाईं। उसके हर छोटे-बड़े काम में उसका साथ दिया। मैंने उसे फिर से हँसना सिखाया। मेरे लिए वह पल सबसे ख़ास था, जब वह फिर से खुलकर मुस्कुराई। उस मुस्कान के आगे, मेरा एकतरफ़ा प्यार भी मुझे हज़ारों बार जीत दिलाता था। मैंने तय कर लिया था कि चाहे कुछ भी हो जाए, मैं नेहा को कभी अकेला नहीं छोडूंगा।

मेरा प्यार खामोश था, लेकिन मेरी मोहब्बत की ताक़त अटूट थी।

ब्रेकअप के बाद, नेहा की दुनिया मैं ही बन गया था। मैंने उसे हँसने की हर वजह दी, लेकिन इस दौरान, मैंने महसूस किया कि अब उसकी नज़र में बदलाव आ रहा है। वह अब मुझे सिर्फ़ ‘सहारा’ नहीं, बल्कि मेरे समर्पण को भी देखने लगी थी।

उसे समझ आने लगा था कि कोई दोस्त अपने एग्ज़ाम छोड़कर, अपने सपनों को रोककर, किसी और के लिए इतना त्याग नहीं करता। एक दिन हम रात को फ़ोन पर बात कर रहे थे। वह अपने एक्स-बॉयफ्रेंड की बात कर रही थी और अचानक रुक गई।

उसने बहुत धीरे से पूछा, “अंकुर, तुम इतने अच्छे क्यों हो? तुम कभी मुझ पर गुस्सा क्यों नहीं होते? तुमने कभी किसी को डेट क्यों नहीं किया?”

यह मेरे लिए पहला मौका था, जब नेहा ने सीधे मेरे दिल पर दस्तक दी थी। मैंने गहरी साँस ली और पहली बार हिम्मत जुटाई। मैंने कहा, “नेहा, मैं इसलिए किसी को डेट नहीं करता, क्योंकि मैं जानता हूँ कि मेरे जीवन में पहले से ही कोई है। और मैं इसलिए गुस्सा नहीं होता, क्योंकि तुम्हारा दर्द मुझसे देखा नहीं जाता।”

वह दूसरी तरफ़ खामोश हो गई। उसे शायद पहली बार एहसास हुआ था कि मेरे शब्दों के पीछे कितनी बड़ी सच्चाई छिपी है। अगले कुछ हफ़्तों तक हमारे बीच एक अजीब सी खामोशी छा गई। वह मेरे साथ बैठती थी, पर अब वह पहले जितनी बेफ़िक्र नहीं थी। वह अब मुझे सिर्फ़ दोस्त नहीं मानती थी; वह अब वरुण को देख रही थी—वह इंसान जिसने अपनी पूरी जवानी उसकी दोस्ती के लिए कुर्बान कर दी थी।

एक शाम, नेहा को उसके ऑफ़िस के एक कलीग ने प्रपोज़ किया। नेहा ने मुझे फ़ोन किया और बताया। उसके चेहरे पर कोई खुशी नहीं थी, बल्कि एक उलझन थी।

“अंकुर, मुझे क्या करना चाहिए? वह बहुत अच्छा है,” उसने पूछा।

मेरा दिल टूट गया। यह मेरी सहनशक्ति का आख़िरी किनारा था। मैंने तय कर लिया था कि आज या तो मेरा प्यार हमेशा के लिए हार जाएगा, या जीत जाएगा।

मैंने अपनी आवाज़ को स्थिर किया और कहा, “नेहा, तुम जानती हो कि तुम्हें क्या करना चाहिए। तुमने मुझे हमेशा एक दोस्त माना। मैंने तुम्हें वह सब दिया जो एक दोस्त देता है—लेकिन मेरा प्यार… वह दोस्ती से बहुत ऊपर है।”

मैंने हिम्मत जुटाकर कहा, “मैं तुम्हें बचपन से प्यार करता हूँ, नेहा। जब तुम मेरे सामने किसी और को डेट कर रही थी, तब भी। मैंने तुम्हें इसीलिए नहीं बताया क्योंकि मुझे डर था कि तुम मुझसे दूर चली जाओगी। पर अब… मैं और नहीं सह सकता।”

मेरी आँखों में आँसू थे। मैंने कहा, “अगर तुम किसी और से शादी करोगी, तो मेरा दिल टूट जाएगा। और अगर तुम किसी और के साथ अपना जीवन शुरू करोगी, तो मैं अपनी दोस्ती की कसम खाकर कहता हूँ… मैं तुम्हें देख नहीं पाऊँगा। यह मेरे लिए मुमकिन नहीं होगा। मेरा प्यार तुम्हें खोकर ज़िंदा नहीं रह सकता।”

यह मेरा प्यार का आख़िरी दाँव था। मैंने उसे कोई धमकी नहीं दी, मैंने सिर्फ़ अपने दिल का सारा दर्द उसके सामने उड़ेल दिया। मैंने उसे फ़ैसला लेने के लिए छोड़ दिया, यह जानते हुए कि इस सच को सुनकर हमारा रिश्ता हमेशा के लिए बदल जाएगा। अब बस नेहा को फ़ैसला करना था—क्या मेरा वर्षों का इंतज़ार महज़ एक दोस्ती थी, या वह अनमोल प्यार, जिसकी कीमत उसने अब तक नहीं समझी थी?

मेरे दिल का दर्द उड़ेलने के बाद, मैंने आँखें बंद कर ली थीं। मैं नहीं देखना चाहता था कि नेहा क्या प्रतिक्रिया देती है—क्या वह नाराज़ होगी? क्या वह मुझे हमेशा के लिए खो देगी? कुछ पल की वह खामोशी मुझे सालों की लग रही थी।

फिर मैंने महसूस किया कि नेहा ने मेरे हाथों को कसकर पकड़ लिया है। जब मैंने आँखें खोलीं, तो उसके चेहरे पर दुःख नहीं था, बल्कि एक गहरी समझ थी। उसकी आँखें आँसुओं से भरी थीं, पर वह मुस्कुरा रही थी।

उसने धीरे से कहा, “अंकुर, तुम हमेशा कहते थे कि मैं नादान हूँ। और तुम सही थे। तुम इतने अनमोल हो, और मैंने तुम्हें सिर्फ़ एक दोस्त की लिस्ट में डाल रखा था। मुझे माफ़ कर दो।”

उसने आगे कहा, “जब मेरा ब्रेकअप हुआ, तो मैं टूट गई थी। उस लड़के ने मुझसे वादा किया था, पर वह मुश्किल में मेरा साथ छोड़कर चला गया। और तुम? तुमने अपना सब कुछ दाँव पर लगा दिया, सिर्फ़ मेरी ख़ुशी के लिए। मुझे उसी दिन समझ जाना चाहिए था कि सच्चा प्यार ऐसा ही होता है—जो बिना किसी शर्त के, सालों तक इंतज़ार करता है।”

नेहा ने अपनी आँखों के आँसू पोंछे और मेरी तरफ़ देखा। “तुमने कहा था कि अगर मैं किसी और से शादी करूँगी, तो तुम मर जाओगे। पर अंकुर, मेरा दिल भी तुम्हें खोकर ज़िंदा नहीं रह सकता। मेरा हर रास्ता… हर सपना… कहीं न कहीं तुमसे ही जुड़ा है।”

उसने मेरे हाथ को अपने गाल पर रखा और कहा, “तुम मेरी ज़िंदगी का सबसे अच्छा हिस्सा हो, अंकुर। तुम सिर्फ़ मेरे दोस्त नहीं, तुम मेरा प्यार हो। हाँ, मैं तुमसे शादी करूँगी।”

यह मेरे वर्षों के इंतज़ार की जीत थी। उस पल मेरे दिल से सारा दर्द, सारा डर बाहर निकल गया। मैं ख़ुशी से नेहा को गले लगा लिया। वह मेरी थी। हमेशा के लिए।

हमने यह बात अपने परिवारों को बताई। वे बिल्कुल भी हैरान नहीं हुए। हमारे माता-पिता तो बरसों से यही चाहते थे। उन्हें पता था कि हमारी दोस्ती का बंधन इतना मज़बूत है कि यह किसी भी नए रिश्ते से ज़्यादा अटूट होगा।

बहुत जल्दी, हमारी शादी तय हो गई। शादी के दिन, जब मैं दूल्हे के रूप में नेहा को देख रहा था, तो मुझे वो बचपन के दिन याद आए जब मैं उसके टिफिन से चुपके से उसका खाना खा लिया करता था। और आज, वह मेरी जीवनसंगिनी बनने जा रही थी। यह सफ़र दोस्ती की तकरार से शुरू होकर, प्यार के अनमोल समर्पण तक पहुँचा था।

शादी के बाद, मेरे दोस्तों ने मज़ाक में पूछा, “अंकुर, कैसा लग रहा है? दोस्ती का सफ़र अब पति-पत्नी के रिश्ते में बदल गया है।” मेरा जवाब हमेशा एक ही होता था—“मैं अब भी उसका दोस्त ही हूँ, बस अब मेरा इंतज़ार ख़त्म हो गया है।”

और यही हमारे रिश्ते की सबसे बड़ी ख़ासियत है। हमारी शादी किसी बड़े फ़ैसले का नतीजा नहीं थी, बल्कि हमारे बचपन के अटूट रिश्ते का अगला पड़ाव थी।

मैंने हमेशा सुना था कि शादी के बाद रिश्ते खराब होने लगते हैं। रोमांस खत्म होता है और छोटी-छोटी बातों पर तकरार शुरू हो जाती है। लेकिन हमारे साथ ऐसा नहीं हुआ। क्योंकि नेहा और मेरे बीच की नींव इतनी मज़बूत है।

जब कभी हम किसी बात पर असहमत होते हैं (क्योंकि बहसें तो दो दोस्तों के बीच भी होती हैं), तो मैं पति की तरह अधिकार जताने के बजाय, उसका दोस्त बनकर बात करता हूँ। मैं जानता हूँ कि नेहा को कब शांत रहना है और कब उसे खुलकर बोलना है। मैं उसकी हर खामोशी का मतलब जानता हूँ, और वह मेरे हर समर्पण को समझती है।

वह मुझे अक्सर कहती है, “अंकुर, तुम मुझे एक पति से ज़्यादा, एक दोस्त की तरह प्यार करते हो, और इसीलिए हमारा रिश्ता इतना सच्चा है।” यह बात सच है। मैं उसे पत्नी की तरह तो प्यार करता हूँ, लेकिन मेरा प्यार उस दोस्त से शुरू हुआ था, जिसके साथ मैं पूरी ज़िंदगी बिताना चाहता था।

मुझे अब पूरी तरह समझ आ गया है कि दिक्कत शादी की नहीं होती, दिक्कत तो शादी के बाद रिश्ते को निभाने की होती है। और रिश्ता निभाना आसान हो जाता है, जब आपका पार्टनर सिर्फ़ आपका जीवनसाथी नहीं, बल्कि आपका बचपन का सबसे अच्छा दोस्त भी हो। वह दोस्त, जिसने आपके लिए अपने पूरे जीवन का इंतज़ार किया हो, वह कभी भी आपका साथ नहीं छोड़ सकता।

मेरा सालों का इंतज़ार आज एक खूबसूरत जीत में बदल गया है। नेहा के साथ बिताया हर पल मुझे एहसास दिलाता है कि मैंने अपनी ज़िंदगी में जो सबसे अनमोल चीज़ चाही थी—उसकी दोस्ती और उसका प्यार—वह अब हमेशा के लिए मेरी है। और मैं उस दोस्ती को हमेशा प्यार से सींचता रहूँगा।

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