मेरे पति ने मुझे बचपन से चाहा मुझे पता भी नहीं था | फिर हमने शादी की और आज खुश है

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मेरा नाम प्रिया है।
मैं एक ऐसी लड़की हूँ, जिसकी कहानी बाहर से साधारण लग सकती है, लेकिन अंदर से… बहुत गहरी है।

मेरी ज़िंदगी की सबसे खूबसूरत शुरुआत बचपन से हुई—
एक छोटा-सा घर, माँ की पुकार, स्कूल की घंटी, और मोहल्ले की गलियों में खेलते-खिलखिलाते बच्चे।
उन्हीं बच्चों में से एक था राजेश

राजेश… मेरे बचपन का पहला दोस्त।
हम एक ही स्कूल में पढ़ते, एक ही रास्ते से आते-जाते, और एक ही मैदान में शाम को खेलते थे।
मुझे उस वक्त बस इतना लगता था कि वो मेरा ‘सबसे अच्छा दोस्त’ है।

उसकी हँसी, उसकी शरारतें, और मेरी हर बात पर उसका ध्यान—
मैंने कभी यह नहीं सोचा था कि एक दोस्त इतने सालों तक इतना एक जैसा कैसे रह सकता है।
पर बचपन में इंसान देखता कम है, महसूस ज्यादा करता है…
और मैंने बस महसूस किया था कि उसकी मौजूदगी मुझे अच्छी लगती है।

मैं हमेशा कहती हूँ कि बचपन सबसे सच्चा होता है,
क्योंकि उस उम्र में न कोई फरेब होता है, न कोई डर,
बस साफ दिल और मासूमियत।

और मेरे बचपन में जो भी सबसे प्यारा था—
उसमें राजेश सबसे ऊपर था।

पर तब भी…
मैंने कभी नहीं जाना कि उसके दिल में मेरे लिए क्या था।
मैंने कभी नहीं समझा कि जिस दोस्ती को मैं खेल-कूद में बाँट रही थी,
वो उसके लिए मेरी पूरी दुनिया थी।

यह मेरी कहानी की शुरुआत है।
एक लड़की की, जिसका सबसे करीबी दोस्त…
चुपचाप उससे बचपन से प्यार करता रहा।

राजेश और मेरा रिश्ता बचपन में इतना सहज था कि कभी लगा ही नहीं कि इसमें कुछ खास भी है।
हम दोनों रोज़ मिलते, साथ हँसते, साथ लड़ते, और बिना किसी वजह के मन भी फुला लेते।

पर हर शाम फिर एक ही झूले पर साथ बैठ जाते—
मानो हमारी छोटी-सी दुनिया में दूर जाने का सवाल ही नहीं था।

मुझे याद है, मैं जब भी स्कूल से रोकर आती,
राजेश बिना कुछ पूछे मेरी बेंच पर चुपचाप बैठ जाता।
फिर धीरे से पूछता—
“किसने परेशान किया? मुझे बताओ।”

उसका वो बचपन वाला गुस्सा… और वही अपनापन—
तब मुझे बस अच्छा लगता था।
पर आज समझ आती है कि वो सब सिर्फ दोस्ती नहीं थी।

धीरे-धीरे हम बड़े होते गए।
खेलने की जगह बातों ने ले ली,
और बातों की जगह एक गहरी समझ ने।

लेकिन फिर भी…
मैं उसे सिर्फ दोस्त समझती रही।

राजेश कभी-कभी हल्के मजाक में कह देता—
“देख प्रिया, तुझे किसी और से शादी नहीं करने दूंगा।”
और मैं उसे धक्का देकर हँसते हुए बोलती—
“पागल है क्या? क्यों नहीं करने देगा?”

वो बस मुस्कुराता था,
पर उसकी मुस्कान के पीछे इतनी ईमानदारी छुपी थी…
जो मेरी समझ से बाहर थी।

जब भी मैं किसी और लड़के की बात करती,
उसकी आँखों में एक अजीब-सी बेचैनी दिखती।
पर मैं उस उम्र की थी जहाँ मुझे प्यार की भाषा नहीं आती थी।

मेरे लिए बचपन का साथी होना भी बहुत था…
लेकिन उसके लिए मैं सिर्फ साथी नहीं,
उसकी पूरी कहानी थी।

उसे मेरे हँसने में सबसे ज्यादा खुशी मिलती,
और मेरे रोने में सबसे ज्यादा दर्द।

और मैं…
मैं बस यही सोचती रही कि
“राजेश मुझे क्यों इतना अलग ट्रीट करता है?”

कभी-कभी लगता,
वो मेरी हर बात मुझसे पहले समझ लेता है।
मानो हम दोनों के बीच एक अदृश्य धागा हो,
जिसे मैं कभी देख नहीं पाई…
पर वो सालों से संभालकर पकड़े हुए था।

यह वो दौर था जहाँ दोस्ती गहरी थी,
लेकिन प्यार…
अब भी अनकहा था।

जिंदगी का एक पल…
कितना कुछ बदल देता है —
ये मुझे उस शाम समझ आया जब राजेश ने मुझे अचानक मिलने के लिए बुलाया।

उसकी आवाज़ थोड़ी काँप रही थी,
जैसे अंदर कुछ भारी-सा छुपा हो।
मैंने सोचा शायद किसी बात पर नाराज़ है,
या फिर कोई मजाक करेगा।

पर उस दिन उसकी आँखें बिल्कुल अलग थीं—
गहरी, डर से भरी हुई…
और उतनी ही सच्चाई से चमकती हुई।

उसने सीधे-सीधे कहा—
“प्रिया, मुझे तुमसे एक बात कहनी है… अब और नहीं रोक सकता।”

मैंने उसके चेहरे को देखा।
पहली बार लगा कि वो मेरे बचपन वाला राजेश नहीं,
बल्कि एक ऐसा इंसान है जो कोई बड़ा फैसला ले चुका है।

कुछ सेकंड की चुप्पी के बाद वो बोला—

“अगर तुमने किसी और से शादी की… मैं जी नहीं पाऊँगा।
मैं तुम्हें बचपन से चाहता हूँ, प्रिया।
तुम्हारे बिना मेरी जिंदगी अधूरी है।”

मेरे कान सुन रहे थे…
लेकिन दिमाग समझ नहीं पा रहा था।

राजेश?
जो मेरे साथ खेला, हँसा, झगड़ा…
वो मुझसे इतना गहरा प्यार करता था?

मैं कुछ बोल ही नहीं पाई।
सच में, शब्द जैसे गले में अटक गए।

वो आगे बोला—
“मैंने कभी तुम्हें बताया नहीं,
क्योंकि मुझे डर था कि तुम मुझसे दूर हो जाओगी।
पर अब तुम्हारी शादी की बातें चलने लगी हैं…
और मैं तुम्हें खोने की बात सोच भी नहीं सकता।”

उसकी आवाज़ टूट रही थी,
और मैं पहली बार उसकी आँखों में डर देख रही थी।
मुझे खोने का डर।

उसी पल मुझे हमारे बचपन की हर याद समझ में आने लगी—
उसका हर ख्याल, हर परवाह, हर रोक…
सब प्यार था, सिर्फ मैं अनजान थी।

मैंने उससे वक्त मांगा।
और उस वक्त में मैंने सोचा…
बहुत गहराई से सोचा।

मैंने महसूस किया कि—
जो साथ बचपन से मिला,
जो हँसी में भी और आँसुओं में भी साथ खड़ा रहा,
जो मेरे रोने पर टूट जाता था,
जो मेरी मुस्कान पर खुद खिल उठता था…

वो सिर्फ दोस्त नहीं हो सकता।

कुछ एहसास देर से आते हैं,
पर जब आते हैं…
ज़िंदगी बदल देते हैं।

मुझे समझ आ गया था—
राजेश का प्यार सिर्फ इज़हार नहीं था,
वो सालों का सच था।
एक ऐसा सच, जिसे मैं अब अनदेखा नहीं कर सकती थी।

वो कुछ दिन मेरे लिए बहुत भारी थे।
राजेश का इज़हार मेरे दिल में बार-बार घूम रहा था।
हर याद, हर पल, हर साल मेरे सामने खुलने लगा।

मुझे पहली बार महसूस हुआ कि
मेरी खुशी में जो सबसे पहले हँसता था…
मेरे आँसू में जो सबसे पहले टूटता था…
मेरी हर बात की जो बिना वजह भी सुरक्षा करता था…
वो सिर्फ मेरे लिए ऐसा था।

धीरे-धीरे समझ आने लगा कि
शायद मैं भी उसे हमेशा से अलग जगह देती थी—
बस मैंने कभी उसे नाम नहीं दिया था।

एक शाम मैं उसके पास गई।
वो मुझे देखते ही डर गया,
क्योंकि उसे लगा शायद मैं इंकार कर दूँगी।

मैंने बस इतना कहा—
“राजेश… मुझे भी तुम्हारी आदत पड़ गई है।
और शायद… तुम्हारे बिना मैं भी अधूरी हूँ।”

उसकी आँखें भर आईं।
उसकी मुस्कान… सच कहूँ तो
मेरी जिंदगी की सबसे खूबसूरत याद बन गई।

मैंने हाँ कह दी।
और उस दिन पहली बार मैंने जाना कि
किसी को खुश देखना भी इतना बड़ा सुख हो सकता है।


🌼 हमारी शादी

हमारी शादी बहुत भव्य नहीं थी,
पर उसमें उतनी ही सच्चाई थी जितना हमारा रिश्ता।

लोगों ने कहा—
“बचपन की दोस्ती को शादी में बदलना आसान नहीं होता।”

पर मैं जानती थी—
जिसने मुझे सालों तक बिना किसी उम्मीद के चाहा,
जिसने एक बार भी मुझे पाने के लिए मजबूर नहीं किया,
जिसने सिर्फ मेरे दिल की खुशी चाही…
उसे जीवनसाथी बनाना
मेरे जीवन का सबसे सही फैसला था।

राजेश हर रस्म में मेरे हाथ को ऐसे पकड़ता था
मानो बचपन से लेकर आज तक…
वो सिर्फ इसी पल के लिए इंतज़ार कर रहा था।

वो बार-बार कहता—
“तुमने मुझे दुनिया दे दी, प्रिया।”
लेकिन सच ये था कि
उसने मुझे वो सुरक्षा, वो अपनापन, और वो प्यार दिया
जो हर लड़की अपने पति में ढूँढती है।


🌼 शादी के बाद मेरी नई दुनिया

शादी के बाद मुझे लगा था शायद चीजें बदल जाएँगी।
लेकिन नहीं… राजेश वैसा ही था—
मेरा वही बचपन वाला साथी,
वही ख्याल रखने वाला दोस्त,
और वही इंसान जो मुझे किसी हीरे की तरह संभालता था।

वो हर छोटी बात पर मेरा हाथ पकड़ लेता,
मुझे बिना वजह भी मुस्कुराने पर मजबूर कर देता,
और जब मैं थक जाती,
मेरी आँखों को देखकर ही समझ जाता।

उसका प्यार किसी बड़े शब्दों में नहीं,
उसकी छोटी-छोटी आदतों में था।

कभी मुझे लगता—
“क्या कोई इंसान किसी को इतना संभाल सकता है?”

पर वो असल में ऐसा ही था।
शायद इसलिए क्योंकि उसके लिए
मैं सिर्फ पत्नी नहीं…
उसकी पूरी कहानी थी।

शादी को कई साल हो चुके हैं…
लेकिन अगर कोई मुझसे पूछे कि
मेरी जिंदगी का सबसे खूबसूरत हिस्सा क्या है—
तो मेरा जवाब हमेशा यही होगा:
राजेश।

क्योंकि वो सिर्फ मेरा पति नहीं है…
वो आज भी मेरा वही बचपन वाला दोस्त है।
वही जो मेरी हँसी पर फिदा हो जाता था,
वही जो मेरी आँखों में ज़रा-सी नमी देखकर बेचैन हो जाता था।

शादी के बाद बहुत कुछ बदलता है—
जिम्मेदारियाँ, घर, रिश्तेदार, माहौल…
लेकिन एक चीज़ जो बिलकुल नहीं बदली,
वो है राजेश का मेरे लिए प्यार।


🌼 मुझे उसका प्यार कैसा लगता है?

कभी-कभी मैं रात में उसे सोते हुए देखती हूँ और सोचती हूँ—
ये वही लड़का है जो बचपन में मेरे पीछे-पीछे घूमता था,
मेरी हँसी की वजह बनता था,
और मुझे किसी और के साथ बात करते हुए भी बर्दाश्त नहीं कर पाता था।

आज वो मेरा पति है,
पर आज भी मेरी हर बात को उतने ही ध्यान से सुनता है
जितना बचपन में सुना करता था।

मैं जब परेशान होती हूँ,
तो वो मेरे सिर पर हाथ रखकर बस इतना कहता है—
“तू है ना, बाकी सब ठीक हो जाएगा।”

और सच में…
उस एक बात में मुझे पूरी दुनिया की शांति मिल जाती है।


🌼 हमारा रिश्ता कैसा है?

कहते हैं पति-पत्नी का प्यार धीरे-धीरे कम होने लगता है।
पर हमारा रिश्ता दोस्ती में और मजबूत हो गया।

• वो मेरे कामों में मदद करता है
• मैं उसकी थकान समझ लेती हूँ
• वो मेरी हर बात सुनता है
• मैं उसकी हर मूड को पहचान लेती हूँ

हम दोनों एक-दूसरे के बिना अधूरे से लगते हैं।

मैं अक्सर उसे चिढ़ाती हूँ—
“तू मुझे पत्नी से ज्यादा दोस्त की तरह क्यों रखता है?”
वो हँसकर कहता—
“क्योंकि दोस्त खोए नहीं जाते। पत्नी तो किस्मत से मिलती है…
लेकिन दोस्त दिल से।”

उसके लिए ये एक लाइन होगी,
पर मेरे लिए ये उसकी मोहब्बत का सबसे सच्चा रूप है।


🌼 आज की प्रिया की दिल की बात

कभी-कभी मैं सोचती हूँ,
अगर उस दिन उसने हिम्मत करके मुझे सच न बताया होता…
अगर उसने बचपन की वो चुप्पी न तोड़ी होती…
तो शायद मैं आज सबसे खूबसूरत रिश्ता खो देती।

राजेश सिर्फ एक पति नहीं—
मेरी आदत, मेरा सुकून,
और मेरी ज़िंदगी की सबसे सच्ची खुशी है।

आज मैं गर्व से कहती हूँ—
मुझे सिर्फ एक पति नहीं मिला…
मुझे मेरा बचपन, मेरी दोस्ती, और मेरा सच्चा प्रेम मिला है।

और यह कहानी मैं इसलिए लिख रही हूँ,
क्योंकि कुछ रिश्तों को किसी बड़े चमत्कार की जरूरत नहीं होती—
बस दो दिल चाहिए,
और एक बचपन…
जो कभी खत्म न हो। 💛

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