मेरा नाम रिया है।
और मेरी शादी अमन से—
एक पूरी तरह अरेंज शादी थी।
ना उससे पहले कोई मुलाक़ात,
ना रोमांटिक चैट,
ना एक-दूसरे को जानने का समय।
बस दो परिवार मिले,
और मैं एक नए घर,
एक नए रिश्ते में आ गई।
मेरे मन में सिर्फ एक डर था—
“क्या मैं उसे कभी दिल से स्वीकार कर पाऊँगी?”
मुझे नहीं पता था कि
जिस इंसान से अभी-अभी शादी हुई है…
वही मेरे दिल का सबसे खूबसूरत हिस्सा बनने वाला है।
✨ हमारी शादी की पहली रात — जहाँ मेरा डर, उसकी इज़्ज़त में बदल गया
मैं कमरे में दाखिल हुई—
सजधज कर,
सांसें तेज़,
हाथ ठंडे।
कमरा फूलों से भरा था।
माहौल बहुत भारी।
और मैं…
नर्वस थी,
थोड़ी डरी हुई भी।
लेकिन अमन?
वह बिल्कुल उल्टा था।
वह मुस्कुराया भी नहीं,
न मुझे awkward किया,
न कोई गलत उम्मीद रखी।
वह बस खड़ा हुआ और बोला—
“रिया… तुम आराम से बैठो।
आज की रात सिर्फ एक चीज़ होनी चाहिए—
सम्मान।”
उसकी यह लाइन
सीधे मेरे दिल में उतर गई।
✨ वह मेरे पास नहीं आया… बल्कि मेरे पास बैठा — बहुत दूरी बनाकर
उसने चाय बनाई
और मेरे आगे रखते हुए कहा—
“देखो रिया,
हम अभी-अभी मिले हैं।
अजनबी भी हैं।
तो क्यों न शुरुआत दोस्ती से करें?”
उसने ये इतनी सहजता से कहा
कि मैं पहली बार मुस्कुरा दी।
हमने उस रात—
ना शादी पर बात की,
ना future पर।
हमने बस एक-दूसरे को जाना।
उसने मेरी पसंद पूछी,
मेरी hobbies,
मेरे सपने…
और जब मैंने उससे पूछा—
“तुम डर नहीं रहे?”
वह हँसा और बोला—
“बहुत…
पर तुम्हें uncomfortable करके
मैं यह रिश्ता कभी शुरू नहीं करूँगा।”
इतनी इज़्ज़त
मैंने किसी से आज तक नहीं पाई थी।
✨ रात के अंत में… उसने जो कहा, उसने मेरी सोच ही बदल दी
हम दोनों कमरे की opposite side बैठे थे।
उसने धीरे से कहा—
“रिया,
आज की रात सिर्फ यही समझना था—
तुम इस घर की जिम्मेदारी नहीं,
मेरी इज़्ज़त हो।”
मेरी आँखों में हल्की नमी आ गई।
मैंने सोचा—
“इस आदमी से डरना नहीं चाहिए…
यह दिल जीतने वाला इंसान है।”
उस रात
हम दोनों एक ही कमरे में थे,
पर कोई भी एक-दूसरे पर
बोझ नहीं बना।
और यही वह पल था
जिसने मेरे दिल का पहला डर तोड़ दिया।
✨ मैं सोनी लगी… पर एक एहसास जाग गया
उस रात मैंने महसूस किया—
अमन सिर्फ मेरा पति नहीं,
एक ऐसा इंसान है
जो हर चीज़ से पहले ‘सम्मान’ रखता है।
और यही शुरूआत थी…
एक ऐसे रिश्ते की
जिसमें प्यार बाद में आया,
लेकिन भरोसा पहले आ गया।
शादी के बाद मेरी पहली सुबह थी।
नई जगह, नया माहौल,
और मैं सोच रही थी कि
शायद दरवाज़ा खोलते ही
सारे rituals की भारी-भरकम बातें शुरू हो जाएँगी।
लेकिन जब मैंने आँखें खोलीं—
कमरे में शांति थी।
हल्की धूप पर्दों से अंदर आ रही थी।
और सबसे हैरानी की बात?
अमन कमरे में नहीं था।
मैंने घबराकर सोचा—
क्या मैं ज़्यादा देर सो गई?
धीरे-धीरे उठकर बाहर आई।
✨ उसने मेरा इंतज़ार नहीं किया था… बल्कि मेरा ख्याल रखा था
जैसे ही मैं लिविंग रूम पहुँची,
एक खुशबू आई—
चाय की।
और किचन में अमन खड़ा था।
एप्रन पहना हुआ,
बाल थोड़े बिखरे हुए,
लेकिन मुस्कुराहट पूरी।
मैंने हैरान होकर पूछा—
“तुम… चाय बना रहे हो?”
वह मुस्कुराया—
“हाँ।
तुम्हारी पहली सुबह है…
सोचा आज की शुरुआत
आराम से होनी चाहिए।”
मैं एकदम चुप रह गई।
कोई husband,
वो भी arranged marriage में,
पहली ही सुबह
अपनी पत्नी के लिए चाय बनाए—
ये मैंने कभी सोचा भी नहीं था।
✨ उसने मेरे लिए “breakfast” भी बनाया था
टेबल पर—
✔ toast
✔ हल्की-सी poha
✔ और गर्म चाय
सब सजा हुआ था।
मैंने कहा—
“अमन… ये सब तुमने—”
वह धीरे से बोला—
“रिया, तुम नए घर में हो।
तुम्हारे लिए चीज़ें आसान बनाना
मेरा फर्ज़ नहीं…
मेरा प्यार है।”
मेरे दिल में
कुछ धीरे-धीरे पिघल रहा था।
✨ फिर उसने वो किया… जिसके लिए मेरे शब्द रुक गए
मैं खाना खाने बैठी
तो उसने चुपचाप मेरी प्लेट आगे खिसकाई
और बोला—
“तुम्हें तीखा पसंद नहीं है,
इसलिए कम मिर्च डाली है।”
मैंने चौंककर उसे देखा—
“तुम्हें कैसे पता?”
वह मुस्कुराया—
“पहली रात तुमने खाने में नमक–मिर्च taste करते हुए
जो expression दिए थे…
उन्हें देखकर अंदाज़ा लगा लिया था।”
मुझे महसूस हुआ—
वह सिर्फ मुझे देखता नहीं,
मुझे समझता और observe भी करता है।
✨ मेरी सासू माँ का आशीर्वाद—और अमन का मेरे पीछे खड़ा होना
थोड़ी देर बाद
अमन की माँ आइँ।
उन्होंने मुझे प्यार से गले लगाया
और कहा—
“पहली सुबह है, जल्दी उठना था न?”
मुझे थोड़ी शर्म आई।
मैंने हल्का सा सिर झुका लिया।
लेकिन ठीक उसी पल
अमन आगे बढ़ा और बोला—
“माँ, मैंने उसे सोने दिया।
कल रात बहुत थक गई थी।”
उन्होंने मुस्कुरा कर कहा—
“अच्छा किया बेटे।”
अमन ने मेरी तरफ देखा—
जैसे कह रहा हो—
“चिंता मत करो… मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ।”
और पहली बार
मैंने महसूस किया—
“मैं अकेली नहीं हूँ।”
✨ उसके छोटे-छोटे gestures… मेरे दिल पर बड़े असर कर रहे थे
-
उसने मेरे लिए पानी भी डाला
-
मेरी कुर्सी आगे खिसकाई
-
घर का हर छोटा काम बिना बोले कर दिया
-
और हर बार मेरी तरफ हल्की, सुकून देने वाली मुस्कान दी
यह सब छोटा लग सकता है,
लेकिन मेरे लिए…
ये मेरे दिल पर हल्की-हल्की चांदनी जैसा था।
🌙 और उस शाम… मेरी माँ ने पूछा— “अमन कैसा है?”
मैंने बस इतना कहा—
“माँ…
मैं जानती नहीं कि मुझे उससे प्यार कब होगा…
लेकिन इतना जानती हूँ कि
वह मेरे प्यार का हक़दार ज़रूर है।”
शायद यह मेरे दिल में
प्यार की पहली असली दस्तक थी।
शादी के बाद
हर दिन अमन मुझे
एक नए तरीके से अपना बना रहा था।
कभी चाय बना देता,
कभी मेरा bag उठा लेता,
कभी बस यूँ ही पूछता—
“रिया, तुम ठीक हो न?”
इन छोटे-छोटे gestures ने
मेरे भीतर कुछ बदल दिया था,
जो मैं खुद से भी छुपा रही थी।
लेकिन दिल…
दिल कब तक छुपता?
✨ एक सुबह — एक ऐसी घटना हुई जिसने मेरे दिल की सच्चाई उभार दी
अमन ऑफिस जाने वाला था।
तभी उसकी फ़ोन पर कॉल आई।
वह हंसते हुए बोला—
“अरे, तुम जिद्दी हो अभी भी?”
इतना नरम tone
मैंने कभी किसी के लिए उससे नहीं सुना था।
मैंने सोचा—
कौन है ये?
मैं पास से गुज़री,
और उसने थोड़ी दूर जाकर बात की।
नज़रें फोन में गड़ी थीं,
और चेहरे पर हल्की, प्यारी-सी मुस्कान…
मेरे दिल में
एक हल्की-सी चुभन हुई।
पहली बार।
✨ **मैंने खुद से पूछा—
“क्या हो रहा है मुझे?”**
अमन कमरे में वापस आया।
मैं kitchen में थी।
उसने कहा—
“रिया, तुम्हारे लिए नाश्ता बना दिया है।”
मैंने सिर हिलाया।
दिल में अभी भी हल्की बेचैनी थी।
उसने पूछा—
“क्या हुआ?”
मैंने कहा—
“कुछ नहीं… बस नींद कम हुई।”
वह मेरे झूठ को सुनकर भी
जबरदस्ती नहीं पूछता,
बस हल्के से बोला—
“ठीक है… मैं हूँ न।”
और इस मैं हूँ न ने
मेरे अंदर छिपी सारी भावनाएँ
और उभार दीं।
✨ शाम को ऑफिस से आए तो वही नाम दोबारा सुना
दरवाज़े पर खड़े-खड़े
वह फोन पर बोला—
“हाँ मीरा… हाँ, बिल्कुल।”
मीरा।
नाम सुनकर मेरा दिल धक् से रह गया।
मीरा कौन है?
दोस्त?
ऑफिस से?
या कोई… खास?
मैं चाहती थी कि वो बताए—
पर मैं पूछ भी नहीं रही थी।
ये क्या था?
मुझे क्यों फर्क पड़ रहा था?
सीधा सा जवाब—
क्योंकि मैं उससे प्यार करने लगी थी।
✨ और उस रात—मेरी jealousy साफ़ दिख गई
हम दोनों डिनर कर रहे थे।
वह मुस्कुराता जा रहा था,
हल्का खुश था।
मैंने casually पूछा—
“आज ऑफिस में बहुत busy थे?”
वह बोला—
“हाँ… मीरा आई थी न, तो थोड़ा ज्यादा काम हो गया।”
मीरा।
फिर वही नाम।
मेरे मुँह से अनायास निकला—
“ओह, अच्छी दोस्त लगती है तुम्हारी।”
अमन ने मेरी आँखों में देखकर कहा—
“रिया… jealous हो क्या?”
मैं चौंक गई।
चेहरा गरम हो गया।
“नहीं! मैं क्यों—”
वह मुस्कुराया—
“क्योंकि तुमने मुझसे ये सवाल
पहली बार इतने interest से पूछा है।”
मैं कुछ कह ही नहीं पाई।
✨ और वहीं—अमन ने मेरे दिल की हालत पढ़ ली
वह अचानक serious हो गया।
कुर्सी आगे खिसकाकर
मेरे पास बैठा
और बोला—
“रिया,
मीरा मेरी सहकर्मी है।
बस इतना ही।”
मैंने नज़रें नीचे कर लीं।
उसने बहुत धीरे कहा—
“रिया… तुम अगर jealous हो गई…
तो इसका मतलब है तुम मुझे अपना मानने लगी हो।”
मेरी सांस जैसे रुक गई।
मैंने धीरे से कहा—
“तुम्हें कैसे पता?”
वह बोला—
“क्योंकि तुमने पहली बार
मेरी बातों में किसी की वजह से
खामोशी महसूस की।”
मेरी आँखें नम हो गईं।
✨ अमन ने मेरे हाथ पर हाथ रखा और बोला—
“रिया,
अगर मुझे किसी को explain करना ज़रूरी है…
तो वो सिर्फ एक इंसान है—
‘तुम’।
बाकियों की कोई जरूरत नहीं।”
मैंने उसकी ओर देखा—
उसकी आँखों में इतनी सच्चाई थी
कि मेरा दिल पूरी तरह पिघल गया।
उसने आगे कहा—
“और अगर तुम्हें डर लग रहा है
कि तुम मुझे खो दोगी…
तो एक बात याद रखना—
मैं खुद को तुम्हें खोने नहीं दूँगा।”
उसकी यह लाइन
मेरे दिल पर सीधा उतर गई।
🌙 **उस रात…
मैंने पहली बार खुद से स्वीकार किया—**
“रिया,
तू अब सिर्फ शादी से नहीं…
अमन से प्यार करने लगी है।”
और यह एहसास—
धीरे-धीरे मेरे जीवन का
सबसे खूबसूरत सच बनने वाला था।
🌙 हमारे रिश्ते में अब डर नहीं… जुड़ाव बढ़ रहा था
मीरा वाली बात के बाद
अमन मुझे और भी ज़्यादा समझने लगा था।
हमारे बीच अब awkwardness कम,
और comfort ज़्यादा हो चुका था।
मैं उसकी हर बात observe करती—
उसका बोलने का तरीका,
मेरा ध्यान रखने की आदत,
और हर छोटी चीज़ जो वह बिना बोले कर देता था।
मैं खुद को रोक भी नहीं पा रही थी—
मुझे उससे प्यार होने लगा था।
धीरे-धीरे…
गहराई से…
लेकिन असली मोड़
अभी आने वाला था।
✨ एक सुबह—मेरे सिर में तेज़ दर्द हुआ और मैं बेहोश हो गई
उस दिन मैं घर पर ही थीं।
अमन ऑफिस जाने की तैयारी में था।
अचानक मेरे सिर में
बहुत भारी दर्द हुआ
और पलभर में आँखों के आगे अंधेरा छा गया।
मैं गिरती, उससे पहले—
अमन ने मुझे पकड़ लिया।
वह घबरा गया।
पूरी तरह।
“रिया!! रिया आँखें खोलो… क्या हुआ!?”
मैंने आँखें खोलीं
तो वह मेरे चेहरे पर पानी के छींटे मार रहा था।
उसके चेहरे पर
डर साफ़ दिख रहा था—
जैसे कुछ मुझसे हो गया तो
वह खुद को कभी माफ़ नहीं करेगा।
✨ वह घबराहट में मुझे गोद में उठाकर डॉक्टर के पास ले गया
हाँ—गोद में।
बिना एक पल सोचे।
नीचे आते हुए पड़ोस वाली आंटी बोलीं—
“अरे, क्या हुआ बहू को?”
अमन ने सिर्फ इतना कहा—
“मेरी पत्नी है वो।
उसकी तबियत खराब है।
कृपया रास्ता दीजिए।”
इस “मेरी पत्नी” ने
मेरे कानों में कुछ ऐसा किया
जिसने मेरे दिल को पूरी तरह पिघला दिया।
क्योंकि पहली बार
उसने मुझे इतने अधिकार से बुलाया था।
✨ डॉक्टर बोले— तनाव और कमजोरी की वजह से faint हुआ है
अमन पूरा समय
मेरे बगल में खड़ा था
जैसे मैं गिर न जाऊँ।
डॉक्टर ने कहा—
“आज इन्हें rest चाहिए।
ध्यान रखना पड़ेगा।”
अमन तुरंत बोला—
“मैं ही ध्यान रखूँगा।”
उसकी आवाज़ में
प्रीमियम level की चिंता थी।
मैंने उसको देखा—
उसकी आँखों के नीचे हल्की लकीरें थीं,
जैसे वह रोने ही वाला था।
✨ घर आते ही उसने मुझे बिस्तर पर लेटाया—बिल्कुल प्यार से
मैंने कहा—
“अमन… मैं ठीक हूँ।”
वह सख्त होकर बोला—
“रिया, प्लीज।
एक बार मेरी बात मान लो।
अच्छे से आराम करो।”
मैं चुप हो गई।
उसने मेरे सिर पर हाथ रखा
और बोला—
“तुम पर कुछ भी आए,
मुझसे सहा नहीं जाएगा।”
मेरी आँखें भर आईं।
✨ उसने मेरे लिए खिचड़ी बनाई—खुद हाथ से
खाना बनाना उसका hobby नहीं था,
पर आज वह मेरे लिए
सबसे सादा,
सबसे आसान खाना बना रहा था।
बीच-बीच में कमरे में आता
और पूछता—
“दर्द कम हुआ?”
“पानी पियोगी?”
“तुम्हें ठंड तो नहीं लग रही?”
मुझे लगा—
कोई इतना care क्यों करेगा
जब तक वह सच में
दिल से न जुड़ा हो?
✨ मैंने उससे पूछा— “तुम इतना क्यों कर रहे हो?”
वह मेरे पास बैठा
और बोला—
“क्योंकि तुम मेरी wife हो…
और मैं तुम्हारी responsibility नहीं—
तुम्हारी सुरक्षा हूँ।”
मैंने काँपते हुए पूछा—
“अगर मैं तुम्हें कभी खो दूँ तो?”
वह तुंरत बोला—
“रिया, तुम मेरी जिंदगी में सबसे important हो।
तुम्हारे बिना मैं… कुछ नहीं।”
उसके कहने का तरीका
जबरदस्ती वाला नहीं था…
वो डर था—
मुझे खो देने का डर।
और उस डर ने
मेरे दिल में प्यार की बाढ़ ला दी।
🌙 और उस रात… मैंने पहली बार अपने दिल से कहा—
“रिया…
तुझे अब अमन से ही प्यार है।
वो चाहे जाने या न जाने…
तू उसके बिना एक दिन भी नहीं रह सकती।”
उसकी caring ने
मेरी सारी boundaries तोड़ दीं।
मैं उसकी हो चुकी थी—
पूरी तरह।
🌙 **मेरी बीमारी ने नहीं…
अमन की फिक्र ने मुझे हिला दिया था**
पूरा दिन वह मेरी देखभाल करता रहा।
दवा, खाना, पानी—
हर पाँच मिनट में पूछता था।
उसकी आँखों में नींद नहीं थी,
बस डर और प्यार था।
उस रात
वह मेरे बगल में बैठा
धीरे-धीरे मेरे बालों को सहला रहा था।
उसे पता नहीं था—
मेरा दिल उसी पल
पूरी तरह उसके नाम हो रहा था।
✨ **अमन ने सोचा मैं सो गई हूँ…
पर मैं उसकी बात सुन रही थी**
वह मुझे देख रहा था
और खुद से धीरे बोला—
“भगवान… बस इसे ठीक कर दो।
अगर रिया को कुछ हुआ न…
मैं टूट जाऊँगा।”
मेरी आँखें बंद थीं,
पर आँसू चुपचाप बाहर निकल आए।
उसके प्यार की गहराई
अब पहली बार सच में महसूस हुई थी।
✨ मैंने उसके हाथ पकड़कर कहा— “अमन…”
वह चौंक गया—
“रिया!? तुम जाग रही थी?”
मैंने सिर हिलाया।
उसकी आँखें डर से भर गईं
मुझे रोता देखकर।
“रिया, क्यों रो रही हो?
कहीं दर्द—”
मैंने उसकी बात काट दी।
✨ **और पहली बार…
मैंने वो कहा जिसका उसे महीनों से इंतज़ार था**
“अमन…”
मेरी आवाज़ काँप रही थी।
“मैं तुम्हें प्यार करती हूँ।”
वह वहीं
जैसे पत्थर की तरह रुक गया।
उसके होंठ खुले,
आँखें भर आईं,
चेहरा लाल हो गया…
“रिया… तुमने… तुम… सच?”
उसका गला भर आया था।
✨ मैंने उसकी उंगलियाँ पकड़ीं और कहा—
“हाँ अमन।
शादी से पहले नहीं…
पर शादी के बाद
मुझे तुमसे सच्चा प्यार हो गया है।”
उसने मेरी बात सुनकर
अपना चेहरा दोनों हाथों में छिपा लिया—
जैसे कोई बच्चा अचानक रो पड़े।
मैंने पूछा—
“अमन, रो क्यों रहे हो?”
उसने काँपती आवाज़ में कहा—
“क्योंकि मैं महीनों से
ये सुनने के लिए तरस रहा था, रिया।”
मेरे दिल में एक तेज़ हलचल हुई।
✨ फिर उसने मुझे धीरे से अपने करीब खींचा
बहुत हल्के से…
बिना किसी ज़रूरत से ज़्यादा touch के
सिर्फ एक सुकून वाली दूरी पर।
उसने मेरे माथे पर
बहुत नर्मी से हाथ रखा और बोला—
“मैं भी तुम्हें प्यार करता हूँ, रिया…
पहले दिन से।”
मेरे आँसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे।
✨ **उस रात हमने पहली बार
पति–पत्नी की तरह नहीं,
दो सच्चे प्यार करने वालों की तरह बातें कीं**
-
उसने कहा उसे मुझसे डर लगता है—
मुझे खो देने का। -
मैंने कहा मुझे भी डर लगता है—
उसे कहीं और न खो दूँ। -
उसने कहा मुझे देखकर उसे घर जैसा लगता है।
-
मैंने कहा उसके बिना अब घर खाली लगता है।
हम दो नहीं रहे…
एक हो गए थे।
🌙 और फिर… उसने मेरा हाथ पकड़कर कहा—
“रिया,
तुम मेरी शादी नहीं…
मेरी किस्मत हो।”
उस एक लाइन ने
मेरी सालों की खाली जगह
भर दी।















